नववर्षारंभ दिवस
1 जनवरी ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार वर्ष का पहला दिन है। लगभग पूरी दुनिया 1 जनवरी को नए साल का दिन मनाती है। यह साल की सबसे ज़्यादा मनाई जाने वाली छुट्टियों में से एक है। नया साल हज़ारों सालों से मनाया जाता रहा है। आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व में इस्तेमाल किए जाने वाले रोमन कैलेंडर में जनवरी का महीना नहीं था। लगभग 700 ईसा पूर्व, नूमा पोम्पिलियस ने कैलेंडर की शुरुआत में जनवरी और कैलेंडर के अंत में फरवरी जोड़कर 12 महीने का कैलेंडर बनाया। नए साल के जश्न का सबसे पहला रिकॉर्ड बेबीलोन के समय में दर्ज किया गया था। हालाँकि, 1 जनवरी हमेशा से ही तय दिन नहीं था। उदाहरण के लिए, एक समय में वसंत विषुव के बाद पहला नया चाँद नए साल की शुरुआत करता था। ये उत्सव मार्टियस (मार्च) में होते थे, जो शुरुआती रोमन कैलेंडर का पहला महीना था, जिसमें केवल दस महीने थे।बाद में राजा पोम्पिलियस ने जनवरी (जिसका नाम द्वार, दरवाज़े और शुरुआत के बुतपरस्त देवता जेनस के नाम पर रखा गया) और फरवरी महीने जोड़े जिससे कैलेंडर 12 महीने का हो गया। जूलियस सीज़र ने जूलियन कैलेंडर बनाया था, जो आज दुनिया के ज़्यादातर हिस्सों में प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर से काफ़ी मिलता-जुलता है।जनवरी के महीने में वर्ष के पहले दिन का जश्न मनाते हुए, रोमन लोग जेनस को बलिदान चढ़ाते थे, उपहार देते थे और आम मौज-मस्ती करते थे। अपने दो चेहरों की मदद से, देवता जेनस अतीत की ओर और भविष्य की ओर देखने में सक्षम थे।
विश्व परिवार दिवस
Global Family Day
1 जनवरी को नववर्ष के पहले खास दिन के साथ हर साल विश्व परिवार दिवस भी मनाया जाता है। इसे विश्व शांति दिवस के नाम से भी जाता है। 1997 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1 जनवरी को वैश्विक परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दिन को मनाने का विचार बच्चों की एक पुस्तक वन डे इन पीस – 1 जनवरी 2000 से आया था। इसके बाद दुनिया भर में इस दिन को बढ़ावा देने के लिए लिंडा ग्रोवर जो कि एक शांति कार्यकर्ता है, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद 2001 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिवस को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में स्थापित कर दिया और तब से हर साल 1 जनवरी को वैश्विक परिवार दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है लोगों में वैश्विक एकता और सद्भाव के विचारों को बढ़ावा देना। जैसा कि हम जानते हैं कि विश्व में शांति की स्थापना करने के लिए एक सुखी परिवार का निर्माण करना सबसे महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से विश्व में बढ़ती हिंसा को भी कम किया जा सकता है। दुनिया भर में संस्कृतियाँ और धर्म अलग-अलग हो सकते हैं।
लेकिन सच्चाई तो यह है कि पूरी तरह से मानव जाति एक बड़ा परिवार है जो एकजुट होकर ही जीवित रह सकता है और सफल हो सकता है।
भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस
1 जनवरी 1818 को, महाराष्ट्र के पुणे के पास स्थित भीमा नदी के किनारे हुए संघर्ष में अछूत माने जाने वाली महार जाति के लगभग 500 सैनिकों ने अंग्रेजों के साथ मिलकर पेशवा की 20,000 सैनिकों की सेना को शिकस्त दी थी। इस ऐतिहासिक युद्ध में जीत ने दलित समुदाय की आत्म-गरिमा को नई दिशा दी और पेशवा शासन के जातिवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण संदेश दिया। यह दलित समुदाय की संघर्ष की पहचान को याद करने का दिन है।
इस युद्ध का महत्व तब समझ में आता है, जब हम पेशवा शासन में महार समुदाय की दयनीय स्थिति को देखते हैं। पेशवा सरकार में महारों को सार्वजनिक स्थलों पर घड़ा और झाड़ू बांधकर चलने की मजबूरी थी, ताकि उनकी थूक और पैरों के निशान सार्वजनिक स्थानों को अपवित्र न कर सकें। इस अत्याचार के खिलाफ महार समुदाय ने बगावत की और पेशवा की विशाल सेना को हराया। यह विजय दलितों के आत्म-सम्मान की लड़ाई की एक मील का पत्थर बन गई। भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस ने भारतीय संविधान निर्माता, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर को प्रेरित किया, जिन्होंने इस युद्ध से मिली प्रेरणा से समता सैनिक दल की स्थापना की और 1 जनवरी 1927 को महार सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। बाबासाहेब ने इस दिन संकल्प लिया था कि वे भारत में ब्राह्मणवाद का अंत करेंगे और समता पर आधारित समाज की स्थापना करेंगे।आज भी इस दिन को याद करते हुए लाखों लोग भीमा कोरेगांव पहुंचते हैं और अपने गौरवमयी इतिहास को याद करते हैं। हर साल इस दिन विभिन्न दलित आंदोलन, समानता के पक्षधर और जातिवाद के खिलाफ लड़ने वाले लोग यहां एकत्र होते हैं।
डीआरडीओ दिवस
1 जनवरी को डी.आर.डी.ओ. यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन का स्थापना दिवस मनाया जाता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी। यह देश का सबसे प्रमुख रक्षा संगठन है। डीआरडीओ का काम सुरक्षा बलों के लिए अत्याधुनिक हथियार, सेंसर, और उपकरणों का डिज़ाइन, विकास, और उत्पादन करना है। डी.आर.डी.ओ. ने अपना पहला बड़ा प्रोजेक्ट 1960 के दशक में प्रोजेक्ट इंडिगो के नाम से शुरू किया था। प्रोजेक्ट इंडिगो का संबंध सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से था। डी.आर.डी.ओ. का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।(विविध स्रोत)
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