Monday, December 30, 2024

30 दिसंबर

30 दिसंबर 
राष्ट्रीय संकल्प योजना दिवस 
हर साल 30 दिसंबर को दुनिया भर में राष्ट्रीय संकल्प योजना दिवस मनाया जाता है। यह संकल्प लेने का दिन है जिसमें कई लोग अगले वर्ष के लिए अपने लक्ष्य को निर्धारित करते हैं। इस अवसर पर देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों आयोजन किए जाते हैं जिनमें लोग अपने संकल्पों के बारे में बात करते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए सुझाव देते हैं।

बलिदान दिवस 
30 दिसंबर को मेघालय के क्रांतिकारी उ कियांग नांगवा के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 18वीं शती में उन्होंने मेघालय की पहाड़ियों में अंग्रेजों से लोहा लिया और जनजातीय लोगों की सेना बनाकर जोनोई की ओर बढ़ रहे अंग्रेजों का मुकाबला किया और उन्हें पराजित कर दिया.अंग्रेजों ने वर्ष 1860 में सारे क्षेत्र पर दो रुपये गृहकर लगा दिया. जयन्तिया समाज ने इस कर का विरोध किया. उ कियांग नांगवा ने वंशी की धुन के साथ अपने समाज को तीर और तलवार उठाने का आह्वान किया । उ कियांग के आह्वान पर किसी ने कर नहीं दिया. इस पर अंग्रेजों ने उन भोले वनवासियों को जेलों में ठूंस दिया. इसके बाद उ कियांग ने योजना बनाकर एक साथ सात स्थानों पर अंग्रेज टुकड़ियों पर हमला बोला. सभी जगह उन्हें अच्छी सफलता मिली. अंग्रेजों ने पैसे का लालच देकर उ के साथी उदोलोई तेरकर को अपनी ओर मिला लिया और उन्हें पकड़ लिया। 30 दिसम्बर, 1862 को अंग्रेजों ने मेघालय के इस वनवासी वीर को सार्वजनिक रूप से जोनोई में ही फांसी दे दी। 

रिज़ल दिवस 
रिज़ल दिवस फिलीपींस में 30 दिसंबर को वहां के राष्ट्रीय नायक जोस रिज़ल के जीवन और कार्यों की याद में मनाया जाता है। 30 दिसंबर की तारीख़ मनीला के बागुम्बायन में 1896 में रिज़ल की फांसी की सालगिरह है।डॉ. जोस रिज़ल को स्पेनिश उपनिवेशवादियों के खिलाफ़ क्रांति शुरू करने में अहम भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है। उनका जन्म 19 जून, 1861 को कैलाम्बा शहर में हुआ था। रिज़ल एक डॉक्टर और उपन्यासकार थे। 1887 में प्रकाशित अपने उपन्यास "नोली मी टैंगर" में उन्होंने स्पेनियों द्वारा फिलीपींस के भ्रष्ट शासन की निंदा की। कई इतिहासकार इस बात से सहमत हैं कि उस उपन्यास और "एल फ़िलिबस्टरिस्मो" (लालच का शासन) में उनके द्वारा उठाए गए विचारों ने क्रांति को प्रेरित किया।30 दिसंबर 1896 को, रिज़ल को बागुम्बायन मैदान में फायरिंग दस्ते द्वारा मार दिया गया। हालाँकि उन्होंने कभी किसी लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। 1898 में, फिलीपींस के पहले राष्ट्रपति एमिलियो एगुइनाल्डो ने रिज़ल और फिलीपींस के स्पेनिश औपनिवेशिक शासन के सभी हताहतों के लिए राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में पहला रिज़ल दिवस मनाया। 1 फरवरी, 1902 को, फिलीपीन आयोग ने अधिनियम संख्या 345 को अधिनियमित किया, जिसने आधिकारिक तौर पर 30 दिसंबर को रिज़ल दिवस के रूप में घोषित किया। 9 जून, 1948 को राष्ट्रपति एल्पिडियो क्विरिनो ने गणतंत्र अधिनियम संख्या 229 पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बना दिया ताकि इस आयोजन की गंभीरता सुनिश्चित की जा सके। यह कानून हर 30 दिसंबर को मुर्गों की लड़ाई, घुड़दौड़ और जय-अलाई पर प्रतिबंध लगाता है और पूरे देश में पूरे दिन झंडे आधे झुके रहथे हैं। (विविध स्रोत)

No comments: