Monday, December 16, 2024

17 दिसंबर

17 दिसंबर 
राष्ट्रीय पेंशनर्स दिवस
प्रति वर्ष 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस मनाया जाता है।सर्वोच्च न्यायालय के 5 जजों की पीठ ने कई वर्षों तक सुनवाई करते हुए 17 दिसंबर 1982 को पेंशनर समाज के पक्ष मे फैसला दिया था। उसी के उपलक्ष में सारे भारतवर्ष में 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस मनाया जाता है । सेवानिवृत्त पेंशनरों के सम्मान में प्रतिवर्ष 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस मनाया जाता है। इस दिन, सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा पेंशनभोगियों के लिए कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाते हैं। पेंशनर्स दिवस मनाने की शुरुआत 1982 में हुई थी। उस दिन, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसमें पेंशनभोगियों को कई लाभों के लिए पात्र माना गया था। इस फैसले को देखते हुए, भारत सरकार ने 17 दिसंबर को पेंशनर्स दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
पेंशनर्स दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है जो उन सभी सेवानिवृत्त नागरिकों को सम्मानित करता है जिन्होंने देश की सेवा की है। यह दिन सभी नागरिकों के लिए एक प्रेरणा है कि वे अपने देश की सेवा करें और अपने बुढ़ापे में भी सक्रिय रहें।

राइट ब्रदर्स डे

17 दिसंबर का दिन पूरी दुनिया के लिए बेहद खास महत्व रखता है। साल 1903 में इसी दिन राइट ब्रदर्स (Wright Brothers) ने पहली बार वो कारनामा किया था जिसके बाद लोगों को किसी उड़ने वाली चीज के बारे में पता चला था। ऑरविल और विल्बर राइट ने 17 दिसंबर, 1903 को उत्तरी कैरोलिना के किट्टी हॉक के पास पहली सफल उड़ान भरी थी। जबकि अन्य आविष्कारकों ने उड़ने वाले विमान बनाए, ऑरविल और विल्बर ने पहला यांत्रिक रूप से चालित हवाई जहाज़ का आविष्कार किया। उनसे पहले आए उन आविष्कारकों ने भी राइट बंधुओं को कई तरह से प्रेरित किया। ये एक तरह का विमान था जिसका नाम 'द फ्लायर' था। 'द फ्लायर' (The Flyers) की सिर्फ 12 सेकेंड की थी और इस दौरान विमान ने 120 फीट की दूरी तय की थी। इसके पीछे मेहनत और लगन थी विल्बर राइट (Wilbur Wright) और ऑरविल राइट (Orville Wright) नाम के दो भाइयों की। इन दोनों भाइयों ने अपने सपने को हकीकत में पूरा किया था, जिसे देखकर दुनिया हैरान थी। महज 12 सेकेंड की पहली उड़ान के लिए दोनों भाइयों ने कई सालों तक कड़ी मेहनत की थी।17 दिसंबर 1903 ही वो दिन था जिसके बाद आसमान में विमानों का उड़ना संभव हो पाया था। आज राइट ब्रदर्स के आधार पर बनाए गए विमानों की बदौलत इंसान ना सिर्फ दुनिया के किसी भी कोने में जाने में सक्षम है बल्कि अंतरिक्ष के पार जाने वाले रॉकेट भी इसको ही आधार मानते हुए इजाद किए गए। राइट बंधुओं को जो कामयाबी मिली थी उसके पीछे उनकी कई बार की विफलता और कड़ी मेहनत थी। लगातार नाकामी मिलने के बाद भी उन्‍होंने हार नहीं मानी और लगातार अपने सपने को पूरा करने में लगे रहे।

भारत का प्रथम टेस्ट शतक दिवस 
भारतीय क्रिकेट के लिए 17 दिसंबर का दिन बेहद खास है. इसी दिन 1933 में भारत के लिए पहला टेस्ट शतक महान खिलाड़ी वाला अमरनाथ ने जमाया था। सबसे खास बात यह थी कि वे टेस्ट डेब्यू कर रहे थे। हालांकि भारतीय टीम को इंग्लैंड ने इस मैच में 9 विकेट से हराया था। क्रिकेट इतिहास में आधिकारिक रूप से पहला टेस्ट मैच साल 1877 में खेला गया था लेकिन भारतीय टीम ने अपना पहला टेस्ट साल 1932 में खेला. भारत की तरफ से पहला टेस्ट शतक साल 1933 में लगाया गया जो कमाल लाला अमरनाथ ने मुंबई में किया था। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ उस सीरीज के पहले टेस्ट मैच में 17 दिसंबर को यह उपलब्धि हासिल की थी। हालांकि तब भारत आजाद नहीं हुआ था। सीके नायडू की कप्तानी में खेल रहे भारत ने इस मैच की पहली पारी में 219 रन बनाए। इसके बाद इंग्लैंड टीम ने पहली पारी में 438 रन का विशाल स्कोर बना दिया। भारत की दूसरी पारी 258 रन पर सिमटी जिससे इंग्लैंड को जीत के लिए मात्र 40 रन का लक्ष्य मिला। इंग्लैंड ने 1 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। लाला अमरनाथ ने दूसरी पारी में शतक जमाया। उन्होंने 118 रन की शानदार पारी खेली जिसमें 21 चौके शामिल थे।

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