29 दिसंबर
बलिदान दिवस
29 दिसंबर 1857 को मेरठ के पास धौलाना में क्रांतिवीरों को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। इसकी याद में प्रति वर्ष इस दिन बलिदान दिवस मनाया जाता है। 10 मई, 1857 को गाय और सूअर की चर्बी लगे कारतूसों को मुंह से खोलने से मना करने वाले भारतीय सैनिकों को जेल में बंद कर दिया गया. इसके बाद हजारों लोगों ने मेरठ आकर जेल पर धावा बोलकर उन सैनिकों को छुड़ा लिया.इसके बाद सबने अधिकारियों के घरों पर धावा बोलकर लगभग 25 अंग्रेजों को मार डाला.बहुत से लोगों ने धौलाना के थाने में आग लगा दी. मेरठ तब तक पुनः अंग्रेजों के कब्जे में आ चुका था. जिलाधिकारी ने सेना की एक बड़ी टुकड़ी यह कहकर धौलाना भेजी कि अधिकतम लोगों को फांसी देकर आतंक फैला दिया जाए, जिससे भविष्य में कोई राजद्रोह का साहस न करे. अंग्रेजों ने बौखलाकर सभी क्रांतिवीरों को 29 दिसम्बर, 1857 को पीपल के पेड़ पर फांसी लगवा दी. प्रतिवर्ष 29 दिसम्बर को हजारों लोग वहां एकत्र होकर उन क्रांतिवीरों को श्रद्धांजलि देते हैं.
No comments:
Post a Comment