20 मार्च
अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस
20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें प्रसन्नता को अधिक प्राथमिकता दिए जाने का आह्वान किया गया है।2011 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया , जिसमें खुशी को एक “मौलिक मानवीय लक्ष्य” के रूप में मान्यता दी गई और “आर्थिक विकास के लिए एक अधिक समावेशी, न्यायसंगत और संतुलित दृष्टिकोण का आह्वान किया गया, जो सभी लोगों की खुशी और कल्याण को बढ़ावा दे।” 2012 में खुशी पर पहला संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें यह तय किया गया कि हर साल 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस मनाया जाएगा। इसे पहली बार 2013 में मनाया गया था।
विश्व गौरैया दिवस
हर साल 20 मार्च के दिन 'विश्व गौरैया दिवस' मनाया जाता है। पहली बार विश्व गौरैया दिवस 2010 में मनाया गया था। पिछले कुछ सालों से प्रतिवर्ष 20 मार्च विश्व गौरैया दिवस को लोगों में गौरैया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। गौरैया को शहर के मुकाबले गांव में रहना अधिक पसंद आता है। सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद मोहम्मद ई. दिलावर के प्रयासों से तथा अन्य लोगों यानी जो पर्यावरण और वन्य जीव के प्रति जागरूक हैं, उन्हीं के कारण दुनिया भर में 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, ताकि लोग इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें।गौरैया संरक्षण के लिए पर्यावरणविद दिलावर द्वारा नेचर फॉर सोसाइटी नामक एक संस्था बनाई गई और उन्हीं के द्वारा शुरू की गई इस पहल पर आज बहुत से लोग गौरैया बचाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।तेजी से बढ़ते प्रदूषण, बाज-चील, पतंगों से समेत अन्य कई कारणों से गौरेया की संख्या में बहुत कमी आई है। जिसकी वजह से अब नन्ही चिड़ियां का अस्तित्व खत्म होने की कगार है, जिसे हम सबको मिलकर बचाना है। गौरैया की लगातार घटती संख्या को लेकर एक रिपोर्ट में बताया गया कि इस पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने के लिए इंसान ही जिम्मेदार है।विश्व गौरैया दिवस मनाने का एक उद्देशय यह भी है कि हमारे युवा और प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों को गौरैया से प्रेम करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसाइटी आफ प्रोटेक्शन आफ बर्डस‘ ने इस चुलबुली और चंचल पक्षी को ‘रेड लिस्ट‘ में डाल दिया है. दुनिया भर में ग्रामीण और शहरी इलाकों में गौरैया की आबादी घटी है।
विश्व कथावाचन दिवस
1991 में स्वीडन में एक कहानी दिवस मनाया गया था। इस आयोजन के पीछे की भावना दुनिया भर में फैल गई, और अब हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व कहानी दिवस मनाते हैं। कहानी सुनाना लगभग उतना ही पुराना है जितना कि मानव जाति का इतिहास। वास्तव में, हम बिना कथा के अपने आस-पास की दुनिया को समझ नहीं सकते, कहानी सुनाने की शक्ति के बिना हम सब कुछ समझ नहीं सकते। हमारा दिमाग कहानियों को समझने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए बना है!जिस तरह से कहानियाँ साझा की जाती हैं और अपना जीवन जी लेती हैं, उसी तरह विश्व कहानी दिवस धीरे-धीरे समय के साथ बढ़ता गया और पूरी दुनिया में फैल गया। इसकी शुरुआत 1991 में स्वीडन में हुई, जब मार्च विषुव के समय अल्ला बेरेटारेस डे (सभी कहानीकार दिवस) मनाया गया। और जल्द ही दुनिया के बाकी हिस्सों ने भी इसे अपना लिया। 1997 तक यह उत्सव ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका तक पहुंच गया था और 2002 तक यह स्कैंडिनेविया के बाकी हिस्सों में फैल गया था। 2009 में पहली बार यह सभी छह महाद्वीपों (अंटार्कटिका को छोड़कर) में मनाया गया। अब विश्व कहानी दिवस हर वर्ष मनाया जाता है और हर बार एक अलग विषय पर केंद्रित होता है, उदाहरण के लिए सपने, पेड़ और यात्राएं।विश्व कहानी दिवस का उद्देश्य मौखिक कहानी कहने की कला का जश्न मनाना है, जिसमें दुनिया भर के ज़्यादा से ज़्यादा लोग एक ही दिन अपनी भाषा में कहानियाँ सुनाएँ और सुनें। इसमें भाग लेने वाले लोग दुनिया भर के उन लोगों से जुड़ सकते हैं जो इसमें योगदान दे रहे हैं, जिससे यह एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय उत्सव बन जाता है जो नई दोस्ती बनाता है और दुनिया भर की संस्कृतियों की सकारात्मक समझ को बढ़ावा देता है।
विश्व मुख स्वास्थ्य दिवस
World Oral Health Day
विश्व मुख स्वास्थ्य दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है जो मौखिक स्वच्छता, इसके महत्व और मौखिक रोगों में योगदान देने वाले कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। मौखिक स्वास्थ्य मुंह, दांतों और ऑरोफेशियल संरचनाओं की स्थिति है जो व्यक्तियों को बोलने, सांस लेने और खाने जैसे आवश्यक कार्य करने में सक्षम बनाती है। विभिन्न परिवर्तनीय जोखिम कारक, जैसे कि चीनी से भरपूर भोजन का सेवन, खराब मौखिक स्वच्छता, तंबाकू और शराब का सेवन, मौखिक विकारों को जन्म देते हैं। हार्मोनल बदलावों के कारण गर्भवती महिलाओं के मसूड़ों में प्लाक होने का खतरा अधिक होता है। 12 सितम्बर 2007 को विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस की स्थापना फ्रांसीसी संगठन फेडरेशन डेंटेयर इंटरनेशनेल (एफडीआई) विश्व दंत चिकित्सा महासंघ द्वारा एफडीआई के संस्थापक डॉ. चार्ल्स गोडोन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में की गई थी। हालांकि, सितंबर में होने वाले एफडीआई वर्ल्ड डेंटल कांग्रेस के साथ संभावित टकराव से बचने के लिए, तारीख को 20 मार्च 2013 तक बढ़ा दिया गया, और तब से यह जारी है।
वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे
वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य सिर और दिमाग में लगने वाली चोटों (Traumatic Brain Injury) के जोखिम के बारे में लोगों को जानकारी देना है। सिर में चोट लगने के मुद्दे को पहले समाज में गंभीरता से नहीं उठाया जाता था, लेकिन जैसे-जैसे रोड एसिडेंट्स, खेलने के दौरान चोट लगने और घरों में होने वाले हदसे के कारण सिर में चोट लगने की समस्या बढ़ने लगी, वैसे-वैसे लोगों को सिर में चोट लगने की गंभीरता को लेकर जागरुक किया जाने लगा। ऐसे में हर साल 20 मार्च को इस दिन को मनाने का फैसला किया गया, ताकि सिर की चोटों के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं और मृत्यु दर को कम किया जा सके। वर्ल्ड हेड इंजरी अवेयरनेस डे का आयोजन अलग-अलग स्वास्थ्य संगठनों, एनजीओ और सरकार द्वारा किया जाता है, जो सिर की चोटों के इलाज, बचाव और सुरक्षा से जुड़े उपायों के बारे में लोगों तक जानकारी फैलाते हैं।
(विविध स्रोत)
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