Monday, March 10, 2025

11 मार्च

11 मार्च 

बलिदान दिवस छत्रपति सम्भाजी
11 मार्च 1689 को हिन्दू नववर्ष के दिन औरंगजेब ने संभाजी और उनके साथी के शरीर के टुकडे-टुकड़े करवा दिए थे। छत्रपति शिवाजी के बड़े पुत्र सम्भाजी का जन्म 14 मई, 1657 को मां सोयराबाई की कोख से हुआ था. तीन अप्रैल, 1680 को शिवाजी के देहान्त के बाद सम्भाजी ने हिन्दवी साम्राज्य का भार संभाला। संभाजी अपने वीर सैनिकों के बल पर औरंगजेब को सदा छकाते रहे. वे अपने 500 सैनिकों के साथ संगमेश्वर में ठहरे थे, तब किसी मुखबिर की सूचना पर मुकर्रब खान ने 3,000 मुगल सेना के साथ उन्हें घेर लिया. संभाजी ने युद्ध करते हुए रायगढ़ की ओर जाने का निश्चय किया.इस प्रयास में दोनों ओर के सैकड़ों सैनिक मारे गये. सम्भाजी के कुछ साथी तो निकल गये, पर संभाजी और उनके मित्र कवि कलश मुगलों के हत्थे चढ़ गये. औरंगजेब यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ. उसने संभाजी को अपमानित करते हुए अपने सामने लाने को कहा.औरंगजेब उनका मनोबल तोड़कर हिन्दू शक्ति को सदा के लिये कुचलना चाहता था. अतः उसने सम्भाजी को कहा कि यदि तुम मुसलमान बन जाओ, तो तुम्हारा राज्य वापस कर दिया जाएगा और वहां से कोई कर नहीं लिया जाएगा. पर सम्भाजी ने उसका प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया कि सिंह कभी सियारों की जूठन नहीं खाते. मैं हिन्दू हूं और हिन्दू ही मरुंगा. औरंगजेब ने तिलमिला कर उन्हें यातनाएं देना प्रारम्भ किया. औरंगजेब ने 11 मार्च, 1686 (फागुन कृष्ण अमावस्या) का दिन उनकी हत्या के लिये निर्धारित किया. अगले दिन वर्ष प्रतिपदा (गुडी पाड़वा) का पर्व था. औरंगजेब इस दिन पूरे महाराष्ट्र को शोक में डुबो देना चाहता था.

राष्ट्रीय अभिलेखागार स्थापना दिवस 
राष्ट्रीय अभिलेखागार, संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक संलग्न कार्यालय है। इसकी स्थापना 11 मार्च, 1891 को कोलकाता (कलकत्ता) में इंपीरियल रिकॉर्ड विभाग के रूप में की गई थी। साल 1911 में राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने के बाद राष्ट्रीय अभिलेखागार के मौजूदा भवन का निर्माण साल 1926 में किया गया था, जिसके वास्तुकार सर एडविन लुटियन्स थे। कलकत्ता से नई दिल्ली तक सभी अभिलेखों का स्थानांतरण का कार्य साल 1937 में पूरा हुआ। राष्ट्रीय अभिलेखागार सार्वजनिक अभिलेख अधिनियम- 1993 और सार्वजनिक अभिलेख नियम- 1997 के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी भी है। राष्ट्रीय अभिलेखागार के भंडार में अभी सार्वजनिक अभिलेखों के 34 करोड़ से अधिक पृष्ठों का संग्रह है। इनमें फाइलें, खंड, मानचित्र, भारत के राष्ट्रपति की ओर से स्वीकृत बिल, संधियां, दुर्लभ पांडुलिपियां, प्राचीन रिकॉर्ड, निजी दस्तावेज, कार्टोग्राफिक रिकॉर्ड्स, राजपत्रों व विवरणिका का महत्वपूर्ण संग्रह, जनगणना रिकॉर्ड, विधानसभा व संसद की बहस, गैर-कानूनी या प्रतिबंधित साहित्य, यात्रा खाते आदि शामिल हैं। प्राचीन अभिलेखों का एक बड़ा हिस्सा संस्कृत, फारसी और ओड़िया भाषा में है।

वर्ल्ड प्लंबिंग डे
हर साल 11 मार्च को दुनियाभर में वर्ल्ड प्लंबिंग डे मनाया जाता है। इन दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है लोगों को प्लंबिंग के महत्व के बारे में बताना और प्लंबरों के काम के प्रति सम्मान देना। गौरतलब है कि प्लंबिंग स्वच्छ पानी और स्वच्छता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके जरिए इस खूबसूरत दुनिया को गंदा होने से बचाया जाता है। ऐसे में इस विशेष दिन में दुनियाभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को पानी के संरक्षण और स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित किया जा सके।
2010 में वर्ल्ड प्लंबिंग काउंसिल (WPC) ने इस दिवस की शुरुआत की थी। यह भी बता दें WPC एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य है विश्वभर के प्लंबिंग इंडस्ट्री के माध्यम से दुनिया के लिए सर्वोत्तम पॉसिबल प्लंबिंग हासिल करना। आज, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका महाद्वीपों में इस दिवस के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वहीं चीन, इंग्लैंड, जर्मनी, भारत, कनाडा, उत्तर और दक्षिण अमेरिका और कई अन्य जगहों की सरकारें भी वर्ल्ड प्लंबिंग डे को बढ़ावा दे रहे हैं।(लीवरेज एडु)

कोरोना विश्व महामारी घोषित 
11 मार्च 2021 के दिन विश्व में 11 करोड़ से ज्यादा लोगों के कोरोना महामारी से पीड़ित होने की खबर आई थी। जबकि 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था और पूरी मानव जाति के अस्तित्व पर मंडराते इस खतरे से मुकाबले के लिए सारी दुनिया एकजुट हो गई थी. 
भारत में 31 जनवरी को कोरोना का पहला मरीज सामने आया और 31 जनवरी को ही इसे डब्ल्यूएचओ ने स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया. उसके बाद आने वाले हर दिन के साथ इस बीमारी का प्रकोप बढ़ता रहा और अगले करीब एक साल तक दुनिया इससे जूझती रही।

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