26 फरवरी
अहमदाबाद स्थापना दिवस
गुजरात की कभी राजधानी रहे अहमदाबाद शहर की स्थापना 26 फरवरी को हुई मानी जाती है। हालांकि स्थापना दिवस को लेकर अलग-अलग मत हैं, लेकिन इतिहासकार मिरात-ए-अहमदी की लिखी हुई किताब में इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से 26 फरवरी 1411 को अहमदाबाद का स्थापना दिवस माना गया। शहर की स्थापना का श्रेय अहमद शाह को दिया जाता है। उन्हीं के नाम पर शहर का नाम अहमदाबाद पड़ा। सन् 1411 ई. में गुजरात के तत्कालीन शासक सुल्तान अहमद शाह ने प्राचीन हिन्दू शहर असावल के पास अहमदाबाद की स्थापना की थी। इससे पहले शहर के कई नाम रहे हैं। मसलन, आशावल, आशापल्ली, गर्दाबाद, कर्णावती आदि। आज अहमदाबाद गुजरात ही नहीं, देश के प्रमुख औद्योगिक शहरों में शुमार है। ऐतिहासिक रूप से अहमदाबाद भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष का मुख्य मैदान भी रहा, क्योंकि महात्मा गांधी ने यहां साबरमती आश्रम की स्थापना की और इसके बाद स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कई आंदोलनों की शुरुआत यहीं से हुई।प्राचीन समय में इस शहर की लगभग आधी आबादी सूती वस्त्र उद्योग तथा अन्य लघु उद्यमों पर निर्भर थी, लेकिन अब यहां दुनिया भर के उद्योगों की भरमार है। आज औद्योगिक शहर के रूप में अहमदाबाद आसमान की बुलंदियों पर है। यह लगातार व्यापार और वाणिज्य के मुख्य केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। (दैनिक भास्कर)
1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम दिवस
26 फरवरी के दिन 1857 में देश में आजादी की पहली चिंगारी भड़की थी। दरअसल ब्रिटिश सरकार ने दिसंबर, 1856 में पुरानी बंदूकों के स्थान पर नई राइफल का प्रयोग शुरू किया, जिसके कारतूस पर लगे कागज को मुंह से काटना पड़ता था। बंगाल की सेना को पता चला इस कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी मिली हुई है। चर्बी वाले कारतूसों के प्रयोग के खिलाफ सर्वप्रथम बहरामपुर के सैनिकों ने 26 फरवरी, 1857 को विद्रोह कर दिया और विद्रोह की यह आंच देखते देखते एक जन विद्रोह में बदल गई। इसे देश में अंग्रेजों के खिलाफ पहली जनक्रांति कहा जाता है।व्यापारी के रूप में भारत में आए अंग्रेजों ने धीरे-धीरे जिस बर्बर और घृणित तरीके से अपनी साम्राज्यवादी चालों को आकार देना शुरू किया, उसका समाज के प्रत्येक वर्ग ने अपने अपने तरीके से विरोध किया। अंतत: यही असंतोष 1857 के जन विद्रोह के रूप में सामने आया, जिसने अंग्रेजी शासन की जड़ों पर प्रहार किया। आजादी के लिए कसमसाते देश में उठी विद्रोह की यह पहली चिंगारी बंगाल से भड़की।
बालाकोट एयर स्ट्राइक दिवस
26 फरवरी 2019 को भारतीय वायु सेना के मिराज-2000 विमानों ने रात के अंधेरे में नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर पाकिस्तान के पूर्वोत्तर इलाके खैबर पख्तूनख्वाह के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके बाद भारत के तत्कालीन विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि इस स्ट्राइक में बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी, उनको प्रशिक्षण देने वाले, संगठन के बड़े कमांडर और फिदायीन हमलों के लिए तैयार हो रहे जिहादियों को खत्म कर दिया गया। अगले दिन पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की। भारत ने दावा किया कि डॉग-फाइट में भारतीय वायुसेना के मिग-21 ने पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 को मार गिराया। पाकिस्तान ने भी मिग-21 को मार गिराया और विंग कमांडर अभिनंदन को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि दबाव में दो दिन बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। दरअसल 14 फरवरी 2019 को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में जोरदार विस्फोट हुआ था। निशाने पर था केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 78 वाहनों का काफिला। विस्फोट में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस पर पूरे देश में दुख और आक्रोश की लहर थी। 26 फरवरी को उसी हमले का बदला भारत ने लिया था।
वीर सावरकर स्मृति दिवस
वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को नासिक के भागपुर गांव में हुआ था और उनकी मृत्यु 26 फरवरी, 1966 को बम्बई (अब मुंबई) में हुई थी। उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, लेखक, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे। सावरकर को काला पानी की जेल के चलते भी याद किया जाता है. अंग्रेजों ने उनको अंडमान की सेलुलर जेल में रखा था. जहां लगभग 12 साल तक वह कैद रहे थे. वीर सावरकर ने भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा वह हिंदू महासभा के बड़े नेताओं में से एक थे. भारत की स्वतंत्रता और अखंडता के लिए उनकी वीरता की भावना और अटूट समर्पण को देश हमेशा याद रखेगा। (विविध स्रोत)
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