10 फरवरी
टेडीबियर डे
वेलेंटाइन वीक का चौथा दिन है 'टेडी डे'। टेडी बियर सिर्फ बच्चों को ही नहीं बल्कि प्यार करने वाले जोड़ों को भी खूब पसंद आते है। आपने अक्सर प्रमी-प्रेमिकाओं को एक-दूसरे को टेडी बियर तोहफे में देते देखा ही होगा। ये खिलौना या सजावट का सामान इतना खास हो गया की प्यार की निशानियों के तौर पर दिया जाने लगा। टेडीबियर और प्यार के बीच एक और भी रिश्ता है, वो है कोमलता का। यकीनन आप भी अपने साथी के प्रति प्यार की कोमल भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए टेडीबियर से कोमल उदाहरण नहीं दे पाएंगे। हुआ न यह रिश्ता बेहद गहरा और कोमल ! बस इसलिए ही टेडीबियर, प्यार और वेलेंटाइन वीक का अहम हिस्सा है।टेडी बियर सबसे प्यारे उपहारों में से एक है. इस दिन कपल्स एक-दूसरे के लिए आपे प्रेम का इजाहार टेडी देकर करते हैं. ऐसा माना जाता है कि टेडी नाम के पीछे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति थियोडोर ‘टेडी’ रूजवेल्ट का हाथ है. रूजवेल्ट ने एक बार भालू को गोली मारने से इनकार किया था जिसे उनके सहायकों ने फंसाया था. न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में एक कैंडी स्टोर के मालिक मॉरिस मिचटॉम इससे प्रेरित हुए, और उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति को एक भरवां खिलौना भालू गिफ्ट किया और इसे टेडी बियर नाम दिया.
विश्व दलहन दिवस
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने छोले, सूखी फलियाँ और मसूर जैसी दलहनी फसलों के वैश्विक भोजन के रूप में महत्व को पहचानने के लिए 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस के रूप में नामित किया है । दालें फलीदार पौधों के खाद्य बीज हैं जिन्हें भोजन और चारे दोनों के लिए उगाया जाता है। बीन्स , छोले और मटर दालों के सबसे प्रसिद्ध और आम तौर पर खाए जाने वाले प्रकार हैं , लेकिन दुनिया भर में दालों के कई और प्रकार हैं, जिनमें से सभी खाद्य सुरक्षा, पोषण, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के लिए बहुत लाभकारी हैं। यह दिवस खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ाने के उद्देश्य से स्थायी खाद्य उत्पादन के हिस्से के रूप में दालों के पोषण संबंधी लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है । दालें हमारे कृषि खाद्य प्रणालियों में कई तरीकों से विविधता लाती हैं: खेत पर, हमारे आहार में और मूल्यवर्धित उत्पादों के माध्यम से। वे अधिक प्रजातियों के साथ फसल प्रणालियों को समृद्ध करके खेतों पर जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं । वे एक किफायती, प्रोटीन युक्त खाद्य स्रोत (19-25 प्रतिशत प्रोटीन) हैं, जो आवश्यक खनिजों से भरपूर हैं, फाइबर में उच्च हैं, और वसा में कम हैं। ये खाद्य बीज अत्यधिक बहुमुखी हैं और इन्हें विभिन्न उत्पादों में संसाधित किया जा सकता है, जैसे कि ब्रेड और पास्ता बनाने के लिए आटा, या यहां तक कि प्रोटीन पेय भी। इसका मतलब है कि वे आय के कई अवसर प्रदान करते हैं।संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 20 दिसंबर 2013 को प्रस्ताव में अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस पर निर्णय लिया गया। 'अंतरराष्ट्रीय दलहन दिवस' पहली बार वर्ष 2016 में मनाया गया था। बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 फरवरी 2019 को विश्व दल दिवस के रूप में प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद 10 फरवरी को दाल दिवस मनाया जाता है।प्रोटीन को शरीर के लिए बेहद जरूरी माना गया है और दालों को प्रोटीन का भंडार माना जाता है. दालों को जिस अनाज से तैयार किया जाता है, उस अनाज को दलहन कहा जाता है. दालों में मौजूद पोषण और इसके फायदों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 10 फरवरी को अंतराष्ट्रीय दलहन दिवस (World Pulses Day) के तौर पर मनाया जाता है.
अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस
इस साल यह दिवस 10 फरवरीको मनाया जाएगा। यह दिन मिर्गी (Epilepsy) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे पीड़ित लोगों को समर्थन देने के उद्देश्य से मनाया जाता है।मिर्गी एक ऐसे बीमारी है जो समय से ख़राब होती चली जाती है। मिर्गी के लक्षण का इलाज अगर सही तरीके से न किया जाए तो ये मरीज के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। मिर्गी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस (International Epilepsy Day) फरवरी के दूसरे सोमवार को मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस की शुरुआत इंटरनेशनल ब्यूरो फॉर एपिलेप्सी (IBE) और इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (ILAE) द्वारा की गई थी। इसे पहली बार 2015 में मनाया गया था और तब से यह हर साल विश्व स्तर पर मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य मिर्गी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और लोगों को इसके सही इलाज और देखभाल के बारे में शिक्षित करना है।मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका तंत्र से जुड़ी) बीमारी है, जिसमें बार-बार दौरे (Seizures) पड़ते हैं। यह मस्तिष्क की असामान्य गतिविधि के कारण होता है और इसके कई कारण हो सकते हैं।सही जानकारी और उपचार से मिर्गी रोगियों का जीवन बेहतर बनाया जा सकता है।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस
प्रतिवर्ष 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य आंतों के कीड़ों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और बच्चों में मृदा-संचारित कृमि का पूर्ण उन्मूलन प्राप्त करना है। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी। ये एक ऐसा दिवस है जिसे एक दिन में लागू किया गया सार्वजनिक कार्यक्रम था। राष्ट्रीय कृमि दिवस के माध्यम से 1 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों में हो रही मृदा-संचारित हेल्मिन्थ्स जैसा बिमारी की रोकथाम के लिए और उसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा की गई पहल है। इसके माध्यम से करोड़ो लोगो में हो रही मृदा-संचारित हेल्मिन्थ्स नामक परेशानी से बचाव करना है।विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार दुनिया भर लगभग 24 प्रतिशत आबादी मृदा संचारित हेल्मिंथ कीडे़ से संक्रमित है। यदि भारत की बात करें तो यहां लगभग 241 मिलियन बच्चों की आंतों में परजीवी कीडे़ होने का खतरा रहता है। अत्यधिक ये 1 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में देखी जाने वाली परेशानियों में से एक है। इस दिवस की शुरुआत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 में की गई थी। जिसमें 1 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों को कृमिनाशक दवा प्रदान कर देश को कृमि मुक्त बनना था। बच्चों की आंतों में परजीवी होने के कारण वह उनके खराब शारीरिक और मानसिक विकास, एनीमिया और कुपोषण की स्थिति को पैदा करते हैं जो उन्हें लंबे समय की परेशानियों से ग्रसित कर सकता है। जिसकी रोकथाम और निपटान को ध्यान में रखते हुए इस दिवस को मनाये जाने का फैसला लिया गया। 2015 से इस दिवस को हर साल 10 फरवरी के दिन मनाया जाता है। इस दिवस पर आंगनवाड़ी और स्कूलों में छात्रों को दवा दी जाती है। भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस दिवस को मनाया जाता है और इसका मॉप-अप 15 फरवरी को किया जाता है।(विविध स्रोत)
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