Sunday, September 29, 2024

"मन की बात" के १० साल और रेडियो

(चित्र साभार गूगल)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम "मन की बात" के प्रसारण के दस साल पूरे हो गए हैं। यह कार्यक्रम ३ अक्टूबर २०१४ से हर महीने के अंतिम रविवार को सुबह 11 बजे हिंदी समेत विभिन्न भाषाओं में मूल रूप से आकाशवाणी-दूरदर्शन के नेटवर्क पर निरंतर (आम चुनाव की अवधि को छोड़कर) प्रसारित हो रहा है। इस तरह यह आकाशवाणी तक सबसे अधिक समय तक प्रसारित होने वाले चुनिंदा कार्यक्रमों में शुमार हो सकता है।
परन्तु, सवाल यह है कि इस कार्यक्रम की प्रासंगिकता क्या है? क्या यह रेडियो को आम लोगों से जोड़ने और उसकी पुरानी लोकप्रियता बहाल करने में मददगार साबित हुआ है? क्या इसके प्रसारण से आकाशवाणी को लाभ है या बस केवल प्रधानमंत्री का कार्यक्रम होने के कारण इसका प्रसारण जारी है? या फिर क्या यह कार्यक्रम जनता के जरूरी मुद्दों को सामने लाने में सक्षम रहा है? कार्यक्रम के नाम का उल्लेख करके विपक्ष के नेता अक्सर प्रधानमंत्री की आलोचना भी करते हैं। तो क्या उनकी आलोचना में दम है?
अप्रैल २०२३ में आई आई एम रोहतक की एक सर्वे रिपोर्ट के हवाले से भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने जानकारी दी थी कि इस कार्यक्रम के श्रोताओं की संख्या १०० करोड़ पहुंच चुकी है जबकि इसके २३ करोड़ नियमित श्रोता हैं। 
यह भी जानकारी है कि शुरुआत में इस कार्यक्रम से आकाशवाणी को अच्छी कमाई हुई। हालांकि राज्यसभा से मिले आंकड़ों के आधार पर द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम के लिए विज्ञापनों से राजस्व 2017-18 में 10.64 करोड़ रुपये था, लेकिन 2020-21 में यह घटकर 1.02 करोड़ रुपये रह गया। 2018-19 और 2019-20 में, राजस्व 7.47 करोड़ रुपये और 2.56 करोड़ रुपये था। वहीं एक आरटीआई आवेदन के जवाब में जानकारी मिली कि आकाशवाणी को २०१४ से २०२२ तक कार्यक्रम के निर्माण पर कुल ८.३ करोड़ रुपए खर्च करने पड़े जबकि इस अवधि में इससे ३५.२८ करोड़ रुपए की शानदार कमाई भी हुई यानी २७ करोड़ का फायदा! तो ऐसा नहीं कहा जा सकता कि सरकार जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रही है!
कार्यक्रम के नाम और प्रधानमंत्री की प्रस्तुति से भले ही ऐसा लगता हो कि इसमें पीएम का मोनोलॉग होगा, लेकिन हकीकत में यह कार्यक्रम लोकोन्मुखी तो है ही। इसके निर्माण के लिए आम लोगों से सुझाव मांगे जाते हैं। 
इस वर्ष के ११४वें एपिसोड में तो प्रधानमंत्री ने कहा कि "श्रोता ही इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार हैं...जब मैं मन की बात के लिए आई चिट्ठियों को पढ़ता हूं तो पता चलता है कि हमारे देश में कितने प्रतिभावान लोग हैं , उनमें देश और समाज की सेवा करने का कितना जज्बा है."
कार्यक्रम में समय-समय पर प्रधानमंत्री के साथ विभिन्न विषयों पर आम लोगों की बातचीत को भी शामिल किया जाता है जिससे यह पता चलता है कि इसमें केवल पीएम ही नहीं बल्कि आम जन के मन की बात भी प्रस्तुत होती है। 
हालांकि कहीं न कहीं यह कार्यक्रम देश के विकास पर केंद्रित है तो इसमें इससे जुड़ी सकारात्मक कहानियां ही ज्यादा मिलती हैं। लिहाजा नकारात्मक रुख रखने वालों की दिलचस्पी का कोई तत्व इसमें नहीं होता। लेकिन यदि लोग समाज और देश में बदलाव की दिलचस्प कहानियां सुनना चाहते हैं, तो उनके लिए यह एक अच्छा स्रोत है जो देश के कोने कोने में चल रही प्रेरणादायक गतिविधियों के बारे में जानकारी देता है। भले ही इसे सरकार या प्रधानमंत्री का प्रचार माना जाए, परन्तु यह कार्यक्रम रोचक है जिसकी बहुत जरूरत भी है।
प्रारंभिक दौर में प्रसार भारती के अलावा निजी टीवी चैनल भी इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया करते थे।  इससे पहले भी जनता से संवाद के लिए रेडियो का इस्तेमाल न केवल भारत बल्कि अमेरिका और दूसरे देशों में भी किया जाता रहा है। फर्क यह है कि "मन की बात" एकतरफा संबोधन नहीं है बल्कि ऐसा संवाद है जिसमें लोकतांत्रिक मूल्यों की झलक भी मिलती है। हां, इसे और लोकप्रिय और रोचक बनाने के लिए इसमें बदलाव होते रहने चाहिए ताकि लोगों की दिलचस्पी बरकरार रहे। 
© कुमार कौस्तुभ 

 






  

 

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