Friday, September 20, 2024

UN में इस बार क्या बोलेंगे मोदी?


संयुक्त राष्ट्र महासभा के ७९वें सत्र के लिए पीएम मोदी का एजेंडा 
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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र की शुरुआत १० सितंबर से हो चुकी है। इसमें २२ और २३ सितंबर को समिट ऑफ फ्यूचर यानी भविष्य से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी और समस्याओं के बहुपक्षीय समाधान तलाशने पर चर्चा हो सकती है। इस शिखर सम्मेलन में तमाम राष्ट्राध्यक्ष भाग लेंगे। इसके बाद २४ से २८ सितंबर तक जनरल डिबेट का कार्यक्रम निर्धारित है। २१ सितंबर को अमेरिका यात्रा पर जा रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी २३ सितंबर को यूएन के समिट ऑफ फ्यूचर को संबोधित करने वाले हैं तो देश ही नहीं पूरी दुनिया की निगाहें उनके भाषण पर होंगी और सभी यह जानना चाहते होंगे कि आखिर इस बार मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से विश्व को क्या संदेश देते हैं?
खास मुद्दों पर केंद्रित कतिपय बैठकों को छोड़ दें तो यह छठा मौका होगा जब मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने जा रहे हैं। इस दरम्यान भारत की सत्ता में अपने दस वर्षों के कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने वैश्विक मंचों पर अपनी अलग पहचान बनाई है। तो इस बार मोदी यूएन में क्या बोलेंगे और यूएन के लिए उनका क्या संदेश होगा इस पर चर्चा से पहले यह भी जान लेना चाहिए कि विगत दस वर्षों में मोदी ने इस मंच पर क्या-क्या कहा है।
2014 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने पहली बार यूएन महासभा को संबोधित किया था तो उन्होंने में आतंकवाद से निपटने के लिए व्यापक समझौते की बात की थी। उन्होंने तब संयुक्त राष्ट्र में सुधार का भी मुद्दा उठाया था। वैश्विक खुशहाली के लिए उन्होंने दुनिया के देशों से योग को अपनी जीवन शैली में शामिल करने की अपील की जिसके फलस्वरूप २०१५ से  अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई।
को अपनाने की दिशा में काम करें।

2015 में 25 सितम्बर को पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सतत विकास शिखर सम्मेलन में भाग लिया और यह संदेश दिया कि हम एक ऐसे विश्व का निर्माण करें जहां प्रत्येक जीव मात्र सुरक्षित महसूस करे, उसे अवसर उपलब्ध हों और सम्मान मिले। संयुक्त राष्ट्र में अपने दूसरे संबोधन में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता बरकरार रखने के लिए इसमें सुधार अनिवार्य है. 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 के बाद 2019 के संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लिया। 2019 में पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से संदेश दिया कि दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध चाहिए। आतंकवाद के मुद्दे पर हमारे बीच सर्वसम्मति का अभाव, उन सिद्धांतों को नुकसान पहुंचाता है, जो संयुक्त राष्ट्र के निर्माण का आधार हैं। और इसीलिए, मानवता के लिए, यह अत्यंत आवश्यक है कि विश्व आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट हो। 
2020 में सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बनने के बाद भारत की ओर से पहले संबोधन में पीएम मोदी ने फिर से संयुक्त राष्ट्र में सुधार का मुद्दा उठाया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार “समय की मांग” है। 
२०२० में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कोविड से जूझ रहे विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता का मुद्दा उठाया और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता पर जोर दिया 
2021 में पीएम मोदी ने सुरक्षा परिषद में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता के मुद्दे पर व्यापक संदर्भ में साझा समुद्री विरासत के संरक्षण और उपयोग के लिए आपसी समझ और सहयोग की रूपरेखा बनाने की अपील की। इस संबंध में पीएम मोदी ने पांच सिद्धांतों का उल्लेख किया जिनके अनुसार, वैध समुद्री व्यापार से बाधाओं को हटाना, SAGAR – (Security and Growth for All in the Region) के विजन,   समुद्री विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर किए जाने, मिलकर प्राकृतिक आपदाओं और नॉन-स्टेट एक्टर्स द्वारा उत्पन्न समुद्री खतरों का सामना करने,समुद्री पर्यावरण और समुद्री संसाधनों को संरक्षित करने पर ध्यान देना चाहिए।

2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने संदेश दिया कि विकास, सम्पूर्ण समावेशी, व्यापक दायरे वाला, सार्वभौमिक और ऐसा होना चाहिये जिससे सभी का भला हो. उन्होंने कहा कि भारत एकीकृत व समान विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सुनिश्चित किया जाना बहुत ज़रूरी है कि अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल, आतंकवाद फैलाने या आतंकी हमले करने के लिये ना हो. उन्होंने आगाह किया कि जो देश आतंकवाद को एक राजनैतिक औज़ार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद, ख़ुद उनके लिये भी उतना ही गम्भीर ख़तरा है. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता का मुद्दा उठाया।
2022 और 2023 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने किया। 
अब 2024 में पीएम मोदी एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने जा रहे हैं तो उनके एजेंडे में विश्व शांति का मुद्दा तो अहम रहेगा ही, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए क्योंकि पिछले दिनों मोदी रूस और यूक्रेन की यात्रा से लौटे हैं तो साथ ही साथ इज़राइल और फिलिस्तीन के हमास, यमन के हूती और लेबनान के हिज्बुल्लाह गुट के आतंकियों के बीच संघर्ष भी बढ़ा है। भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है। इसलिए जाहिर है पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक मंच से शांति का संदेश जरूर देंगे। वे जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं और इन क्षेत्रों में भारत की ओर से उठाए गए कदमों से दुनिया को अवगत करा सकते हैं। साथ ही साथ पीएम मोदी अल्प विकसित, पिछड़े और विकासशील देशों यानी ग्लोबल साउथ से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं। भारत में हुए जी 20 सम्मेलन में पीएम ने इससे जुड़ी चर्चा की थी और उसके बाद वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन में भी इन देशों को विकास का समान लाभ मिले, इसकी पैरोकारी की थी। वहीं, संयुक्त राष्ट्र में सुधार का मुद्दा भी पीएम मोदी के एजेंडे में प्राथमिकता में रहेगा क्योंकि मोदी हमेशा इस मंच पर भारत की महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका पर जोर देते रहे हैं। बीते वर्षों में मोदी के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मुहिम को भरपूर समर्थन भी मिला है तो वे पुनः इस विषय पर बात करने से नहीं हिचकेंगे ताकि दुनिया के बड़े देश इसकी अहमियत को समझें और भारत को वह सम्मान प्रदान करें जिसका वह हकदार है। © कुमार कौस्तुभ 

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