Tuesday, September 24, 2024

अमन का पैगाम और 'पुष्प' की अभिलाषा!


--(चित्र साभार गूगल)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा संपन्न हो गयी है। उनकी इस यात्रा से क्या नतीजा निकला इसका विश्लेषण अभी चलता रहेगा। परन्तु, इस यात्रा में जिन तीन बड़े कार्यक्रमों में पीएम मोदी शरीक हुए उनमें उनके वक्तव्यों से मोटे तौर पर यही निकल कर सामने आता है कि मोदी ने दुनिया को एक बार पुनः शांति का संदेश दिया, समृद्ध और खुशहाल विश्व की कामना की तो साथ ही साथ विकसित भारत का वह रोड मैप भी पेश किया जिसके तहत २०४७ तक देश को अपेक्षित मुकाम पर वे पहुंचाना चाहते हैं।
२३ सितंबर को संयुक्त राष्ट्र के समिट ऑफ द फ्यूचर में मोदी के संबोधन की बात करें तो वहां उन्होंने साफ साफ कहा कि "मानवता की सफलता सामूहिक शक्ति में निहित है, युद्ध के मैदान में नहीं। ..वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक तरफ आतंकवाद जैसा खतरा है तो दूसरी तरफ साइबर, मेरीटाइम, स्पेस जैसे अनेक मैदान बन रहे हैं. इस सभी विषय़ों पर मैं जोर देकर कहूंगा, वैश्विक एक्शन और वैश्विक एंबिशन एक होना चाहिए. टेक्नोलोजी के इस्तेमाल के लिए बैलेंस रेगुलेशन की आवश्यकता है."
इससे पहले २१ सितंबर को क्वाड की बैठक में भी वे शांतिपूर्ण विश्व के निर्माण पर जोर देते दिखे और यही संदेश दिया कि "जब दुनिया तनाव और संघर्षों से जूझ रही है. इस स्थिति में, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड का एकजुट होना मानवता के लिए महत्वपूर्ण है. " 
वहीं २२ सितंबर को न्यूयॉर्क के नसाऊ कोलोसियम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के लिए अपनी नई संकल्पना प्रस्तुत की। यह संकल्पना PUSHP यानी "पुष्प" की है। इसे परिभाषित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'आपको एक शब्द याद रहेगा 'पुष्प' (PUSHP)... कमल ही मान लीजिए. PUSHP को मैं परिभाषित करता हूं. P फॉर प्रोग्रेसिव भारत, U फॉर अनस्टॉपेबल भारत, S फॉर स्पिरिचुअल भारत, H फॉर ह्यूमैनिटी फर्स्ट को समर्पित भारत, P फॉर प्रॉस्परस भारत यानी PUSHP. पुष्प की पांच पंखुड़ियां मिलकर ही विकसित भारत बनाएंगी.'

पीएम मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि पहले भारत सबसे समान दूरी की नीति पर चला था जबकि अब भारत सबसे समान नजदीकी की नीति पर चल रहा है. यह गुटनिरपेक्षता का नया स्वरूप है जो अब भारत की विदेश नीति में झलक रहा है । 

कुल मिलाकर मोदी नीति का उद्देश्य न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास है। यह दीगर बात है कि इसमें कहां तक कामयाबी मिलती है! © कुमार कौस्तुभ 

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