Wednesday, December 25, 2024

26 दिसंबर

26 दिसंबर 

राष्ट्रीय वीर बाल दिवस 

26 दिसंबर के दिन वीर बाल दिवस साहिबजादों की शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह सिख इतिहास और भारतीय संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन, सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के दो छोटे साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने छोटी सी उम्र में भी धर्म और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इस दिन को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का मुख्य कारण सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई पांच साल के बाबा फतेह सिंह की वीरता को सम्मानित किया गया। 26 दिसंबर, 1705 में इन महान सपूतों को धर्म नहीं बदलने पर मुगल सेनापति वजीर खान ने उन्हें जिंदा दीवार में चुनवाया था। बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (7 वर्ष) ने मुगलों के सामने झुकने से इनकार कर दिया और धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। दोनों साहिबजादों को सरहिंद के नवाब द्वारा जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया, लेकिन उन्होंने अपने विश्वास से कोई समझौता नहीं किया। गुरु गोबिंद सिंह और उनके परिवार की वीर गाथा को देश के हर कोने तक पहुंचाना। इतिहास की इन घटनाओं के माध्यम से भारतीय समाज को एकता और बलिदान का संदेश देना।  9 जनवरी 2023 को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को सिख गुरु के बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।



Tuesday, December 24, 2024

25 दिसंबर

25 दिसंबर 
सुशासन दिवस 
Good Governance Day 
भारत में, गुड गवर्नेंस डे (सुशासन दिवस) प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है। इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए सुशासन दिवस को सरकार के लिए कार्य दिवस घोषित किया गया है। यह दिन अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में साल 2014 में सरकार में जवाबदेही के लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था. इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, सुशासन दिवस को सरकार के लिए कार्य दिवस घोषित किया गया है. अटल बिहारी वाजपेयी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और असाधारण लेखक थे, जिन्होंने भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। 23 दिसंबर 2014 को श्री वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की थी. इस घोषणा के बाद, मोदी सरकार ने घोषणा की कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी की जयंती को भारत में प्रतिवर्ष सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा. सुशासन दिवस का उद्देश्य देश में पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता से लोगों को अवगत कराना है। सुशासन दिवस लोगों के कल्याण और बेहतरी को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.
यह सरकारी कामकाज को मानकीकृत करने और इसे देश के नागरिकों के लिए अत्यधिक प्रभावी और जवाबदेह शासन बनाने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य भारत में सुशासन के मिशन को पूरा करने के लिए अच्छी और प्रभावी नीतियों को लागू करना और इसके माध्यम से देश में विकास और विकास को बढ़ाना तथा 
सुशासन प्रक्रिया में उन्हें सक्रिय भागीदार बनाने के लिए नागरिकों को सरकार के करीब लाना है।


क्रिसमस 
Christmas Day 
25 दिसंबर को प्रति वर्ष क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। क्रिसमस का इतिहास ईसा मसीह के जन्म के साथ जुड़ा हुआ है, जो बाइबल के न्यू टेस्टामेंट में लिखा है। ईसाई धर्म के अनुसार, 25 दिसंबर को प्रभु यीशु मसीह का जन्म हुआ था और इसलिए इस दिन क्रिसमस मनाया जाता है। यीशु मसीह का जन्म मरियम के घर हुआ था। ऐसी मान्यता है कि मरियम को एक सपना आया था, जिसमें उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी। माना जाता है कि 25 दिसंबर से दिन लंबे होना शुरू हो जाते हैं इसलिए इस दिन को सूर्य का पुनर्जन्म माना जाता है, और यही कारण है कि यूरोपीय लोग 25 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण के मौके पर त्योहार मनाते थे। इस दिन को बड़े दिन के रूप में भी जाना जाता है। ईसाई समुदाय के लोगों ने भी इसे प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में चुना, और इसे क्रिसमस कहा जाने लगा। इससे पहले, ईस्टर ईसाई समुदाय का मुख्य त्यौहार था।

Monday, December 23, 2024

24 दिसंबर

24 दिसंबर 
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 
National Consumer's Day 
भारत में हर साल 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। इस दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 द्वारा प्रतिस्थापित) को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली थी। इस अधिनियम के लागू होने को देश में उपभोक्ता आंदोलन में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जाता है। यह दिन व्यक्तियों को उपभोक्ता आंदोलन के महत्व तथा प्रत्येक उपभोक्ता को उसके अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति अधिक जागरूक बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालने का अवसर प्रदान करता है।उपभोक्ता संरक्षण कानून का मसौदा किसी सरकारी संस्था ने नहीं, बल्कि अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने तैयार किया है। 1979 में ग्राहक पंचायत के अंतर्गत एक कानूनी समिति का गठन किया गया। इस समिति के अध्यक्ष गोविंददास और सचिव सुरेश बहिरत थे। इसके अन्य प्रमुख सदस्य शंकरराव पाध्ये, एड. गोविंदराव आठवले, और सौ. स्वाति सहाने थे।उपयोगकर्ता किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। यदि उपभोक्ता अपने अधिकार के प्रति साझीदार होंगे, तो वे केवल अपने हितों की रक्षा नहीं करेंगे, बल्कि व्यावसायिक हितों को भी बेहतर और अधिक लचीला बनाया जाएगा। 1991 और 1993 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया। दिसंबर 2002 में इसे अधिक प्रभावशाली और उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए व्यापक संशोधन किया गया, जो 15 मार्च 2003 से लागू हुआ। इसके बाद, 5 मार्च 2004 को उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1987 में भी संशोधन किया गया। भारत सरकार ने 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में शिलालेखों के महत्व और उनके अधिकारों को वैध बताते हुए घोषणा की। यह तारीख तय की गई क्योंकि इसी दिन भारत के राष्ट्रपति ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को संविधान दिया था। इसके अतिरिक्त, 15 मार्च को हर साल विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस भारतीय उपभोक्ता आंदोलन के इतिहास में एक सुनहरा दिन है। पहली बार इसे साल 2000 में मनाया गया और तब से इसे हर साल मनाया जाता है।भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ग्राहकों को कुछ अधिकार दिए गए हैं.  वह जिनका कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ग्राहकों को इस तरह के उत्पाद और सेवाओं से खुद को सुरक्षित रखने का अधिकार है. जिनसे उनकी जिंदगी या उनकी प्रॉपर्टी को किसी तरह का कोई नुकसान पहुंच सकता है. इन चीजों में खाद्य सामग्री, दवाइयां और इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज शामिल होते हैं. ग्राहकों को वस्तुओं के बारे में और सेवाओं के बारे में जानने का अधिकार होता है. वह कौन सी चीज ले रहा है. उसकी प्राइस, उसकी क्वालिटी, उसकी क्वांटिटी, उसकी मैन्युफैक्चरिंग डेट, उसकी एक्सपायरी डेट और उसके इस्तेमाल करने के तरीके को जानने का अधिकार ग्राहक के पास होता है.  दुकानदार अगर कोई गलत जानकारी देता है. तो ऐसे में उसकी शिकायत की जा सकती है.  ग्राहक किसी भी दुकान में किसी भी मॉल में किसी भी खरीदारी की जगह जाकर अपनी मर्जी के हिसाब से और अपने बजट के हिसाब से कोई भी चीज खरीद सकता है. दुकानदार या सामान बेचने वाले की ओर से उसे किसी खास चीज को खरीदने के लिए दबाव नहीं दिया जा सकता. उपभोक्ता का अधिकार है वह अपनी मर्जी से कोई भी चीज खरीदे.  ग्राहकों को किसी उत्पाद और सेवा से जुड़ी अपनी शिकायत दर्ज करवा कर उस पर सुनवाई करवाने का अधिकार है. ग्राहक अपना मामला उपभोक्ता फोरम और उपभोक्ता अदालत में पेश कर सकते हैं. बतौर ग्राहक आपकी समस्याओं को प्राथमिकता दी जाएगी.  अगर किसी ग्राहक को किसी उत्पाद या फिर सेवा में नुकसान हुआ है. तो ऐसे में न सिर्फ रिफंड बल्कि मुआवजा मिलने का भी अधिकार है. अगर कोई चीज खराब निकली है. तो उसे बदलने के लिए उसे ठीक करवाने के लिए पैसे वापस पाने का अधिकार होता है. अगर किसी सर्विस में कोई कमी है. तो इसके लिए भी मुआवजे का अधिकार होता है.  

लीबिया का स्वतंत्रता दिवस 
Independence Day of Libya 
हर साल 24 दिसंबर को मनाया जाने वाला लीबियाई स्वतंत्रता दिवस 1951 में इटली से देश की पूर्ण स्वतंत्रता का जश्न मनाता है, जो कभी लीबिया सहित कई अफ्रीकी देशों का प्रमुख उपनिवेश था। अपनी स्वतंत्रता से पहले, लीबिया पर दशकों तक कई देशों का कब्जा रहा और 1947 तक इटली और फ्रांस दोनों ने देश पर अपना दावा नहीं छोड़ा।  द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने लीबिया को यूरोपीय शासन से स्वतंत्रता प्रदान करने का आह्वान किया, अंततः यूनाइटेड किंगडम ऑफ लीबिया की स्थापना की और साइरेनिका, फ़ेज़ान और त्रिपोलिटानिया के तीन लीबियाई प्रांतों को एकीकृत किया। इसके बाद, राजा इदरीस अस-सेनुसी को 1951 में सिंहासन पर बिठाया गया, जिसके बाद 1969 में मुअम्मर गद्दाफी ने उन्हें पद से हटा दिया। 2011 में, देश भर के लीबियाई लोगों ने गद्दाफी के सत्ता में आने के बाद पहली बार लीबियाई स्वतंत्रता दिवस मनाया, इस उथल-पुथल भरे वर्ष में देश की इटली से स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ मनाई गई। अपने शासन के दौरान, गद्दाफी ने इस छुट्टी को खत्म कर दिया, और इसके स्थान पर 1969 में अपने तख्तापलट की तारीख को मनाने का फैसला किया।  24 दिसंबर को लीबिया के नागरिक पूरे देश और दुनिया भर में मनाते हैं, जो नागरिकों को यूरोपीय उपमहाद्वीप के साथ देश के लंबे इतिहास और विदेशी शासन के अधीन इसके समय की याद दिलाता है। लीबिया का स्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता की ओर देश की छलांग का प्रतीक है, जिसने 2011 में लीबिया के सर्वोच्च राष्ट्रीय अवकाश के रूप में अपनी सही स्थिति को फिर से हासिल किया और लीबिया के लोगों की स्वतंत्रता के लिए मुहिम की याद दिलाई।  (विविध स्रोत)

Sunday, December 22, 2024

23 दिसंबर

23 दिसंबर 
राष्ट्रीय किसान दिवस 
National Farmers Day 
23 दिसंबर को देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय  किसान दिवस मनाया जाता है। देश के किसानों के सम्मान में इस दिन को साल 2001 से किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2001 में भारत सरकार ने पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के सम्मान में 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस घोषित किया था।चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक भारत के पांचवें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया । कृषक परिवार से होने के कारण वे ग्रामीण और कृषि विकास के पक्षधर थे। उन्होंने भारत की योजना के केंद्र में कृषि को रखने के लिए निरंतर प्रयास किए।ऋण मोचन विधेयक 1939 का निर्माण और अंतिम रूप उनके नेतृत्व में दिया गया था। इस विधेयक का उद्देश्य किसानों को साहूकारों से राहत दिलाना था। वे उत्तर प्रदेश में भूमि सुधारों के मुख्य वास्तुकार थे; उन्होंने विभाग मोचन विधेयक 1939 के निर्माण और अंतिम रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई, जिससे ग्रामीण ऋणदाताओं को बड़ी राहत मिली। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने भूमि जोत अधिनियम 1960 लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्य भूमि जोत की अधिकतम सीमा को कम करके इसे पूरे राज्य में एक समान बनाना था। 1952 में कृषि मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने जमींदारी प्रथा को समाप्त करने के प्रयासों में उत्तर प्रदेश का नेतृत्व किया । वह 23 दिसंबर 1978 को किसान ट्रस्ट के संस्थापक थे , जो एक गैर-राजनीतिक, गैर-लाभकारी संस्था थी । ट्रस्ट का उद्देश्य भारत के ग्रामीण लोगों को अन्याय के खिलाफ शिक्षित करना और उनके बीच एकजुटता को बढ़ावा देना था। किसान दिवस भारत के अलावा भी कई देशों में मनाया जाता है, जैसे अमेरिका, घाना, वियतनाम और पाकिस्तान। हालांकि इन देशों में किसान दिवस अलग-अलग तारीखों पर सेलिब्रेट किया जाता है।घाना में यह दिसंबर के पहले शुक्रवार को मनाया जाता है , अमेरिका में यह 12 अक्टूबर को मनाया जाता है, जाम्बिया में यह अगस्त के पहले सोमवार को मनाया जाता है और पाकिस्तान ने 2019 से 18 दिसंबर को यह दिवस मनाना शुरू कर दिया है।

राष्ट्रीय फिजिशियन दिवस
National Physicians Day
23 दिसंबर को राष्ट्रीय फिजिशियन दिवस मनाया जाता है। 1944 में इसी दिन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया (एपीआई) का गठन हुआ था जो पेशेवर परामर्शदाता चिकित्सकों का संगठन है। इसके प्रथम अध्यक्ष डॉ जीवराज एन मेहता थे और संस्थापकों में मद्रास के डॉ एम आर गुरुस्वामी, दिल्ली के कर्नल अमीर चंद, मुंबई के डॉ मंगल दास जे शाह, डॉ एमडीडी गिल्डर, डॉ जॉर्ज कोएलो, डॉ एनडी पटेल, कोलकाता के डॉ जेसी बनर्जी और डॉ एम एन डे शामिल थे।

Saturday, December 21, 2024

22 दिसंबर

22 दिसंबर 
राष्ट्रीय गणित दिवस 
National Mathematics Day 
महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के सम्मान में हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड में हुआ था। भारत सरकार ने दिसंबर 2011 में श्री रामानुजन की जयंती को राष्ट्रीय गणित दिवस (एनएमडी) के रूप में नामित किया। पहली बार, वर्ष 2012 को पूरे देश में राष्ट्रीय गणित वर्ष के रूप में मनाया गया। यह दिवस मनाने का उद्देश्य देश के महान गणितज्ञों को केवल एक श्रद्धांजलि देना नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी को गणित का महत्व और उसके प्रयोगों से जुड़ने के लिए जागरूकता बढ़ाना भी है। श्रीनिवासन रामानुजन अत्यधिक गरीब परिवार में पैदा हुए और उन्होंने सबसे प्रभावशाली गणितज्ञों में से एक बनने की अपनी यात्रा शुरू की। उनकी गणितीय पहचान और प्रमेयों ने गणित के अग्रणी क्षेत्रों में बहुत योगदान दिया। रामानुजन को गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला, निरंतर भिन्न और संख्या सिद्धांत में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अपने स्वयं के प्रमेयों की खोज की और स्वतंत्र रूप से 3900 से अधिक परिणाम संकलित किए। श्री रामानुजन के विचारों ने 20वीं सदी के गणित को बदल दिया और नया रूप दिया और आज भी 21वीं सदी के गणित को आकार दे रहे हैं। उन्होंने गणितीय समस्याओं के ऐसे समाधान दिए जिन्हें उस समय हल करना असंभव माना जाता था। गणित के क्षेत्र में श्री रामानुजन का अभूतपूर्व कार्य दुनिया भर के गणितज्ञों के लिए प्रेरणास्रोत है और उनके काम ने वर्षों से व्यापक शोध को प्रेरित किया है। रामानुजन जिनका सम्मान आज पूरी दुनिया करती है, उनकी प्रतिभा को पहचानने का श्रेय प्रो. हार्डी को दिया जाता है, जिन्होंने रामानुजन को आर्कमिडीज, यूलर, गॉस तथा आईजैक न्यूटन जैसे दिग्गजों की समान श्रेणी में रखा तथा विश्व में नए ज्ञान खोजने की पहल की सराहना की। प्रो. हार्डी को भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का गुरु भी कहा जाता है। रामानुजन का निधन 26 अप्रैल 1930 को मद्रास में हुआ था।(विविध स्रोत)

Friday, December 20, 2024

21 दिसंबर

21 दिसंबर 
विश्व ध्यान दिवस
World Meditation Day 
21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाया जाता है। 7 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया। भारत के साथ ही अन्य देशों की कोशिशों से यह सफलता मिली है।  भारत के साथ लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा उन देशों के मुख्य समूह के सदस्य थे जिन्होंने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘विश्व ध्यान दिवस’ शीर्षक वाले प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित करने में अहम भूमिका निभाई। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि विश्व ध्यान दिवस पर प्रस्ताव को अपनाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका ‘‘हमारे सभ्यतागत सिद्धांत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के अनुरूप समग्र मानव कल्याण और इस दिशा में विश्व के नेतृत्व के प्रति उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है।’’ लिकटेंस्टीन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को बांग्लादेश, बुल्गारिया, बुरुंडी, डोमिनिकन गणराज्य, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, मॉरीशस, मोनाको, मंगोलिया, मोरक्को, पुर्तगाल और स्लोवेनिया ने भी सह-प्रायोजित किया। 2024 में विश्व ध्यान दिवस की थीम 'आंतरिक शांति, वैश्विक सद्भाव' है। पतंजलि के योगसूत्र से लेकर गीता के उपदेश तक हर जगह ध्यान को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। भगवद् गीता में ध्यान को एक योगक्रिया बताया गया है। जो आपको आत्म अनुशासन की ओर ले जाता है। निरंतर इसका अभ्यास करने से एकाग्रता बढ़ती है, तनाव से मुक्ति मिलती है। मानसिक स्थिरता और संतुलन भी ध्यान करने से प्राप्त होता है। विकारों से मुक्ति पाने और मन की निर्मलता के लिए भी ध्यान किया जाता है। ध्यान जब गहन होने लगता है तो समाधि व्यक्ति को प्राप्त होती है। ध्यान के जरिए आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। यानि ध्यान वह योग प्रक्रिया है जिसके जरिये हम स्वयं पर सिद्धि प्राप्त करते हैं। ध्यान करने वाले व्यक्ति का मन नियंत्रित रहता है और वो वर्तमान में जीता है। मानसिक और शारीरिक स्थिरता को ध्यान कहना गलत नहीं होगा।

विंटर सोलस्टाइस- साल का सबसे छोटा दिन 
Winter Solstice 
हर साल 21 दिसंबर को विंटर सोलस्टाइस मनाया जाता है। यह साल का सबसे छोटा दिन होता है। विंटर सोलस्टाइस को अंधकार का दिन या शीत दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगता है जिसकी वजह से दिन का समय धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और रात का समय धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसे नए साल की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि अंधेरे के बाद हमेशा प्रकाश आता है। वर्ष में एक बार सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटा दिन होता है। 21 मार्च को दिन और रात बराबर होते हैं। 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन रहता है। 21 और कभी कभी 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन रहता है। पृथ्वी के अपनी धुरी पर आवर्तन के दौरान साल में एक दिन ऐसा आता है, जब दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य की धरती से दूरी सबसे ज्यादा होती है। नतीजतन 21 दिसंबर का दिन साल में सबसे छोटा होता है और इस दिन रात सबसे लंबी होती है। इस दिन को विंटर सोलस्टाइस कहा जाता है। 21 दिसंबर को सूर्य के पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होने के कारण धरती पर किरणें देर से पहुंचती हैं। इस वजह से तापमान में भी कुछ कमी दर्ज की जाती है। अलग-अलग देशों में इस दिन विभिन्न त्योहार भी मनाए जाते हैं। पश्चिमी देशों का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस भी विंटर सोलस्टाइस के तुरंत बाद आता है। इसी तरह चीन सहित पूर्वी एशियाई देशों में बौद्ध धर्म के यीन और यांग पंथ से जुड़े लोग विंटर सोलस्टाइस को एकता और खुशहाली बढ़ाने के लिए एक-दूसरे को प्रोत्साहित करने वाला दिन मानते हैं। 

Thursday, December 19, 2024

20 दिसंबर

20 दिसंबर 
अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस 
International Human Solidarity Day 

22 दिसम्बर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव  60/209 द्वारा  एकजुटता को मौलिक और सार्वभौमिक मूल्यों में से एक माना, जो इक्कीसवीं सदी में लोगों के बीच संबंधों का आधार होना चाहिए, और इस संबंध में प्रत्येक वर्ष 20 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस घोषित करने का निर्णय लिया। 20 दिसंबर 2002 को महासभा ने  संकल्प  57/265 के तहत विश्व एकजुटता कोष की स्थापना की, जिसे फरवरी 2003 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के एक ट्रस्ट फंड के रूप में स्थापित किया गया था । इसका उद्देश्य विकासशील देशों में, विशेष रूप से उनकी आबादी के सबसे गरीब तबके के बीच गरीबी को मिटाना और मानव और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस विविधता में हमारी एकता का जश्न मनाने का दिन है। यह सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने की याद दिलाने का दिन है। यह एकजुटता के महत्व के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने का दिन है। साथ ही यह गरीबी उन्मूलन सहित सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एकजुटता को बढ़ावा देने के तरीकों पर बहस और गरीबी उन्मूलन के लिए नई पहल को प्रोत्साहित करने हेतु कार्रवाई का दिन है। सहस्राब्दि घोषणा में एकजुटता को 21वीं सदी में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के मूलभूत मूल्यों में से एक के रूप में पहचाना गया है, जिसके अनुसार जो लोग या तो कम पीड़ित हैं या जिन्हें सबसे कम लाभ हुआ है, उन्हें उन लोगों से मदद मिलनी चाहिए जो सबसे अधिक लाभान्वित हैं। परिणामस्वरूप, वैश्वीकरण और बढ़ती असमानता की चुनौती के संदर्भ में, अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता को मजबूत करना अपरिहार्य है।इसलिए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस बात पर विश्वास किया कि एकजुटता की संस्कृति और साझा करने की भावना को बढ़ावा देना गरीबी से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए 20 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस के रूप में घोषित किया गया। गरीबी उन्मूलन के लिए विश्व एकजुटता कोष की स्थापना और अंतर्राष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस की घोषणा जैसी पहलों के माध्यम से, एकजुटता की अवधारणा को गरीबी के खिलाफ लड़ाई और सभी प्रासंगिक हितधारकों की भागीदारी में महत्वपूर्ण के रूप में बढ़ावा दिया गया। 

संत गाडगे बाबा निर्वाण दिवस 

महान कर्मयोगी राष्ट्रसंत संत गाडगे बाबा  महाराज की पुण्यतिथि 20 दिसंबर को मनाई जाती है। उनका जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में 23 फरवरी 1876 को हुआ था। उनका बचपन का नाम डेबूजी झिंगराजी जानोरकर था। संत गाडगे सच्चे निष्काम कर्मयोगी थे। उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने में अनेक धर्मशालाएं, गौशालाएं, विद्यालय, चिकित्सालय तथा छात्रावासों का निर्माण कराया। यह सब उन्होंने भीख मांग-मांगकर बनावाया किंतु अपने सारे जीवन में इस महापुरुष ने अपने लिए एक कुटिया तक नहीं बनवाई। संत गाडगे बाबा हमेशा  लोक सेवा के अपने जीवन के एकमात्र ध्येय पर अटल रहे । दीन-दुखियों तथा उपेक्षितों की सेवा को ही वे ईश्वर भक्ति मानते थे। धार्मिक आडंबरों का उन्होंने प्रखर विरोध किया। उनका विश्वास था कि ईश्वर न तो तीर्थस्थानों में है और न मंदिरों में व न मूर्तियों में। दरिद्र नारायण के रूप में ईश्वर मानव समाज में विद्यमान है। मनुष्य को चाहिए कि वह इस भगवान को पहचाने और उसकी तन-मन-धन से सेवा करें। संत गाडगे बाबा ने तीर्थस्थानों पर कईं बड़ी-बड़ी धर्मशालाएं इसीलिए स्थापित की थीं ताकि गरीब यात्रियों को वहां मुफ्त में ठहरने का स्थान मिल सके। नासिक में बनी उनकी विशाल धर्मशाला में सैकड़ों यात्री एकसाथ ठहर सकते हैं। दरिद्र नारायण के लिए वे प्रतिवर्ष अनेक बड़े-बड़े अन्नक्षेत्र भी किया करते थे, जिनमें अंधे, लंगड़े तथा अन्य अपाहिजों को कंबल, बर्तन आदि भी बांटे जाते थे। सन् 2000-01 में महाराष्ट्र सरकार ने 'संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान' की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत जो लोग अपने गांवों को स्वच्छ और साफ-सुथरा रखते है उन्हें यह पुरस्कार दिया जाता है। संत गाडगे बाबा ने बुद्ध की तरह ही अपना घर परिवार छोड़कर मानव कल्याण के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। 20 दिसंबर 1956 को उनका निधन हुआ था।

सशस्त्र सीमा बल स्थापना दिवस 
SSB Foundation Day 
सशस्त्र सीमा बल(SSB) का स्थापना दिवस 20 दिसंबर को मनाया जाता है। सशस्त्र सीमा बल पहले विशेष सेवा व्यूरो के नाम से जाना जाता था का गठन 1962 के चीन के साथ हुए युद्ध के उपरांत सीमावर्ती क्षेत्र के निवासियों को देश की मुख्य धारा के साथ जोड़ने आदि के लिए 1963 में किया गया। ताकि सीमावर्ती लोगों के मन में अपने देश के प्रति विश्वास कायम किया जा सके I कारगिल युद्ध के बाद वन बार्डर-वन फोर्स की भारत सरकार की नीति के उद्देश्य से जनवरी 2001 में सशस्त्र सीमा बल , गृह मंत्रालय के अंतर्गत स्थानांतरित हुई एवं जून 2001 में सशस्त्र सीमा बल को भारत-नेपाल की 1751 किलोमीटर लम्बी सीमा पर तैनात किया गया I सशस्त्र सीमा बल की स्थापना मूलतः विशेष सेवा ब्यूरो (एसएसबी) के नाम से 15 मार्च 1963 को  हुआ था।एसएसबी अधिनियम, 2007 को राष्ट्रपति की स्वीकृति की तिथि 20 दिसंबर है। बल का प्राथमिक कार्य इंटेलिजेंस ब्यूरो के विदेशी खुफिया प्रभाग रॉ को सशस्त्र सहायता प्रदान करना था । इसका दूसरा उद्देश्य सीमावर्ती आबादी में राष्ट्रीयता की भावना पैदा करना और तत्कालीन नेफा , उत्तरी असम (भारतीय राज्य असम के उत्तरी क्षेत्र ), उत्तर बंगाल (भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र ) और उत्तर प्रदेश , हिमाचल प्रदेश और लद्दाख की पहाड़ियों में प्रेरणा , प्रशिक्षण, विकास, कल्याण कार्यक्रमों और गतिविधियों की एक सतत प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिरोध के लिए उनकी क्षमताओं को विकसित करने में सहायता करना था । 2001 में, एसएसबी को रॉ से गृह मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया और नेपाल और भूटान की सीमाओं पर निगरानी रखने का काम सौंपा गया। अपनी नई भूमिका के अनुसार, एसएसबी का नाम बदलकर सशस्त्र सीमा बल कर दिया गया और यह गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आ गया। एसएसबी पहला सीमा सुरक्षा बल है जिसने महिला बटालियनों की भर्ती करने का फैसला किया । (विविध स्रोत)

Wednesday, December 18, 2024

19 दिसंबर

19 दिसंबर 
गोवा मुक्ति दिवस 
Goa Liberation Day 
19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा को 450 साल के पुर्तगाली शासन से आजाद कराया था। ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत भारतीय सैनिकों ने इस ऑपरेशन की शुरूआत 18 दिसंबर, 1961 को कीथी और 19 दिसंबर को पुर्तगाली सेना ने आत्मसमर्पण किया था। इस दिन भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव में प्रवेश करके इन इलाकों को साढ़े चार सौ साल के पुर्तगाली राज से आजाद कराया था। दरअसल, ब्रिटिश और फ्रांस के सभी औपनिवेशिक अधिकार खत्म होने के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों का शासन था। भारत सरकार की बार-बार बातचीत की मांग को पुर्तगाली ठुकरा रहे थे। इसके कारण भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय के तहत सेना की छोटी टुकड़ी भेजी। गोवा, दमन और दीव में 36 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक जमीनी, समुद्री और हवाई हमले किए गए। इसके बाद पुर्तगाली सेना ने बिना किसी शर्त के भारतीय सेना के समक्ष 19 दिसंबर को आत्मसमर्पण किया। बताया जाता है कि उस समय पुर्तगाल के पास केवल 3,300 सैनिक थे, वहीं भारत की सैन्य टुकड़ी 30,000 जवानों की थी। 30 मई, 1987 को गोवा को राज्य का दर्जा दे दिया गया। दमन और दीव केंद्रशासित प्रदेश बने रहे। 

शहादत दिवस 
Martyrdom Day 
19 दिसंबर के ही दिन स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को 1927 में फांसी दी गई थी। यही वजह है कि आज का दिन शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन क्रांतिकारियों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए फांसी दी गई थी। इसी मामले में क्रांतिकारी राजेंद्र लाहिड़ी को भी 19 दिसंबर को ही फांसी दी जानी थी, लेकिन जनता के विद्रोह को देखते हुए राजेंद्र लाहिड़ी को गोंडा जेल में दो दिन पहले यानी 17 दिसंबर को फांसी पर चढ़ा दिया गया था। बाकी क्रांतिकारियों को तीन अलग-अलग जेलों में फांसी दी गई। अशफाक उल्ला खां को 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी की सजा दी गई। पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को फैजाबाद जेल में फांसी की सजा दी गई थी। ठाकुर रोशन सिंह को इलाहाबाद जेल में फांसी दी गई थी। 9 अगस्त 1925 की रात को चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह समेत तमाम क्रांतिकारियों ने लखनऊ से कुछ दूरी पर काकोरी और आलमनगर के बीच ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया था। इतिहास में काकोरी कांड के नाम से दर्ज इस घटना ने गोरी सरकार को हिला कर रख दिया था। खजाना लूटे जाने के बाद चंद्रशेखर आजाद पुलिस के हाथ नहीं लगे थे लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह पुलिस के चंगुल में फंस गए। बाद में अंग्रेजी सरकार ने मुकदमा चलाकर देश के इन महान क्रांतिकारियों को सूली पर चढ़ा दिया था।

Tuesday, December 17, 2024

18 दिसंबर

18 दिसंबर 

अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस 
International Migrants Day 
4 दिसंबर 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दुनिया में प्रवासियों की बड़ी और बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए, 18 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस ( A/RES/55/93 ) घोषित किया। उस दिन, 1990 में, सभा ने सभी प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के सदस्यों के अधिकारों के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ( A/RES/45/158 ) को अपनाया। 14 और 15 सितंबर 2006 को महासभा द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन और विकास पर उच्च स्तरीय वार्ता में भाग लेने वाले 132 सदस्य देशों ने कई महत्वपूर्ण संदेशों की पुष्टि की। सबसे पहले, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन एक बढ़ती हुई घटना है और यह मूल देशों और गंतव्य देशों के विकास में सकारात्मक योगदान दे सकता है, बशर्ते इसे सही नीतियों का समर्थन मिले। दूसरे, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन के लाभों को प्राप्त करने के लिए सभी प्रवासियों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं का सम्मान आवश्यक है। तीसरे, उन्होंने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के महत्व को पहचाना। उच्च स्तरीय वार्ता के बाद, बेल्जियम सरकार ने प्रवासन और विकास पर वैश्विक मंच की स्थापना के लिए एक स्वैच्छिक, गैर-बाध्यकारी और अनौपचारिक परामर्श प्रक्रिया शुरू की, जिसका नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों और पर्यवेक्षकों द्वारा किया जाएगा और यह उनके लिए खुला रहेगा। 
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन और विकास पर 2006 के उच्च स्तरीय संवाद के बाद से, प्रवासन के क्षेत्र में अंतर-सरकारी सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विभिन्न क्षेत्रीय अंतर-सरकारी समूह और परामर्श प्रक्रियाएं अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन के विकास आयामों पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रही हैं, हालांकि उन्होंने इसे अलग-अलग तरीकों और अलग-अलग दृष्टिकोणों से किया है। विकास के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन द्वारा उठाए गए मुद्दों को बेहतर ढंग से समझने, अनुभव और जानकारी का आदान-प्रदान करने और आम स्थिति बनाने की आवश्यकता ने अधिक देशों को क्षेत्रीय समूहों में शामिल होने और कुछ क्षेत्रीय समूहों को एक-दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए प्रेरित किया है। ऐसा लगता है कि उच्च स्तरीय संवाद ने इस क्षेत्र में काफी गतिविधि उत्पन्न करने के लिए उत्प्रेरक का काम किया। सितंबर 2016 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शरणार्थियों और प्रवासियों की बड़ी संख्या में आवाजाही के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसका उद्देश्य अधिक मानवीय और समन्वित दृष्टिकोण के तहत देशों को एक साथ लाना था। दिसंबर 2018 में, माराकेच में सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवास के लिए वैश्विक समझौते को अपनाने के लिए अंतर-सरकारी सम्मेलन ने वैश्विक समझौते को अपनाया । 

अल्पसंख्यक अधिकार दिवस
Minorities Rights Day 
अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर साल 18 दिसंबर को भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है। यह दिन अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों और उनकी सुरक्षा के बारे में लोगों को बेहतर समझ और शिक्षित करने पर भी केंद्रित है। अल्पसंख्यक अधिकार दिवस भारत में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा मनाया जाता है, जो धार्मिक सद्भाव, सम्मान और सभी अल्पसंख्यक समुदायों की बेहतर समझ पर केंद्रित है। संयुक्त राष्ट्र ने 18 दिसंबर 1992 को धार्मिक या भाषाई राष्ट्रीय या जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्ति के अधिकारों पर वक्तव्य को अपनाया और प्रसारित किया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई घोषणा अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक, धार्मिक भाषाई और राष्ट्रीय पहचान पर प्रकाश डालती है जिसका राज्यों और व्यक्तिगत क्षेत्रों द्वारा सम्मान, संरक्षण और सुरक्षा की जाएगी। और यह भी कहा गया कि अल्पसंख्यकों की स्थिति में सुधार करना और उनकी राष्ट्रीय, भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के बारे में जागरूकता फैलाना भी राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। 29 जनवरी 2006 को, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को सामाजिक न्याय और पर्यावरण मंत्रालय से अलग करके अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों अर्थात् मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी और जैन से संबंधित मुद्दों के प्रति अधिक केंद्रित दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। अल्पसंख्यक समुदायों के लाभ के लिए, मंत्रालय समग्र नीति और नियोजन, समन्वय, मूल्यांकन और विनियामक ढांचे और विकास कार्यक्रम की समीक्षा करता है।केंद्र सरकार ने 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) की स्थापना की। शुरुआत में, पाँच धार्मिक समुदायों को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया है, अर्थात् मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी। इसके अलावा, 27 जनवरी 2014 की अधिसूचना के अनुसार, जैन को भी अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया है।

Monday, December 16, 2024

17 दिसंबर

17 दिसंबर 
राष्ट्रीय पेंशनर्स दिवस
प्रति वर्ष 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस मनाया जाता है।सर्वोच्च न्यायालय के 5 जजों की पीठ ने कई वर्षों तक सुनवाई करते हुए 17 दिसंबर 1982 को पेंशनर समाज के पक्ष मे फैसला दिया था। उसी के उपलक्ष में सारे भारतवर्ष में 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस मनाया जाता है । सेवानिवृत्त पेंशनरों के सम्मान में प्रतिवर्ष 17 दिसंबर को पेंशनर दिवस मनाया जाता है। इस दिन, सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा पेंशनभोगियों के लिए कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाते हैं। पेंशनर्स दिवस मनाने की शुरुआत 1982 में हुई थी। उस दिन, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसमें पेंशनभोगियों को कई लाभों के लिए पात्र माना गया था। इस फैसले को देखते हुए, भारत सरकार ने 17 दिसंबर को पेंशनर्स दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
पेंशनर्स दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है जो उन सभी सेवानिवृत्त नागरिकों को सम्मानित करता है जिन्होंने देश की सेवा की है। यह दिन सभी नागरिकों के लिए एक प्रेरणा है कि वे अपने देश की सेवा करें और अपने बुढ़ापे में भी सक्रिय रहें।

राइट ब्रदर्स डे

17 दिसंबर का दिन पूरी दुनिया के लिए बेहद खास महत्व रखता है। साल 1903 में इसी दिन राइट ब्रदर्स (Wright Brothers) ने पहली बार वो कारनामा किया था जिसके बाद लोगों को किसी उड़ने वाली चीज के बारे में पता चला था। ऑरविल और विल्बर राइट ने 17 दिसंबर, 1903 को उत्तरी कैरोलिना के किट्टी हॉक के पास पहली सफल उड़ान भरी थी। जबकि अन्य आविष्कारकों ने उड़ने वाले विमान बनाए, ऑरविल और विल्बर ने पहला यांत्रिक रूप से चालित हवाई जहाज़ का आविष्कार किया। उनसे पहले आए उन आविष्कारकों ने भी राइट बंधुओं को कई तरह से प्रेरित किया। ये एक तरह का विमान था जिसका नाम 'द फ्लायर' था। 'द फ्लायर' (The Flyers) की सिर्फ 12 सेकेंड की थी और इस दौरान विमान ने 120 फीट की दूरी तय की थी। इसके पीछे मेहनत और लगन थी विल्बर राइट (Wilbur Wright) और ऑरविल राइट (Orville Wright) नाम के दो भाइयों की। इन दोनों भाइयों ने अपने सपने को हकीकत में पूरा किया था, जिसे देखकर दुनिया हैरान थी। महज 12 सेकेंड की पहली उड़ान के लिए दोनों भाइयों ने कई सालों तक कड़ी मेहनत की थी।17 दिसंबर 1903 ही वो दिन था जिसके बाद आसमान में विमानों का उड़ना संभव हो पाया था। आज राइट ब्रदर्स के आधार पर बनाए गए विमानों की बदौलत इंसान ना सिर्फ दुनिया के किसी भी कोने में जाने में सक्षम है बल्कि अंतरिक्ष के पार जाने वाले रॉकेट भी इसको ही आधार मानते हुए इजाद किए गए। राइट बंधुओं को जो कामयाबी मिली थी उसके पीछे उनकी कई बार की विफलता और कड़ी मेहनत थी। लगातार नाकामी मिलने के बाद भी उन्‍होंने हार नहीं मानी और लगातार अपने सपने को पूरा करने में लगे रहे।

भारत का प्रथम टेस्ट शतक दिवस 
भारतीय क्रिकेट के लिए 17 दिसंबर का दिन बेहद खास है. इसी दिन 1933 में भारत के लिए पहला टेस्ट शतक महान खिलाड़ी वाला अमरनाथ ने जमाया था। सबसे खास बात यह थी कि वे टेस्ट डेब्यू कर रहे थे। हालांकि भारतीय टीम को इंग्लैंड ने इस मैच में 9 विकेट से हराया था। क्रिकेट इतिहास में आधिकारिक रूप से पहला टेस्ट मैच साल 1877 में खेला गया था लेकिन भारतीय टीम ने अपना पहला टेस्ट साल 1932 में खेला. भारत की तरफ से पहला टेस्ट शतक साल 1933 में लगाया गया जो कमाल लाला अमरनाथ ने मुंबई में किया था। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ उस सीरीज के पहले टेस्ट मैच में 17 दिसंबर को यह उपलब्धि हासिल की थी। हालांकि तब भारत आजाद नहीं हुआ था। सीके नायडू की कप्तानी में खेल रहे भारत ने इस मैच की पहली पारी में 219 रन बनाए। इसके बाद इंग्लैंड टीम ने पहली पारी में 438 रन का विशाल स्कोर बना दिया। भारत की दूसरी पारी 258 रन पर सिमटी जिससे इंग्लैंड को जीत के लिए मात्र 40 रन का लक्ष्य मिला। इंग्लैंड ने 1 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। लाला अमरनाथ ने दूसरी पारी में शतक जमाया। उन्होंने 118 रन की शानदार पारी खेली जिसमें 21 चौके शामिल थे।

Sunday, December 15, 2024

16 दिसंबर

16 दिसंबर 
विजय दिवस 
प्रति वर्ष 16 दिसंबर को भारत में विजय दिवस मनाया जाता है। इसी दिन 1971 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। इस जीत की वजह से बांग्लादेश बना था। कई दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों और बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी ने अपनी जी जान लगा दी थी, इसी वजह से इसकी जीत भारत के पक्ष में रही। ऐसे में 16 दिसंबर के दिन को उन वीर सैनिकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने इस युद्ध में अपनी जान कुर्बान कर दी। बंटवारे के बाद पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से में सांस्कृतिक और राजनीतिक भेदभाव के कारण तनाव बढ़ गया था। पूर्वी हिस्से में नरसंहार, बलात्कार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने में पाकिस्तान ने सारी हदें पार कर दी थी। इसी के चलते  26 मार्च, 1971 को पहली बार वहां के लोगों ने स्वतंत्रता की मांग की, लेकिन पाकिस्तान ने इसपर दमनकारी नीति अपनाई। ऐसे में मानवता के खातिर भारत ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया, जो पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में बदल गया। 3 दिसंबर को, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हुआ और 13 दिनों तक चला। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना और बांग्लादेशी मुक्ति वाहिनी के सामने ढाका में आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध के अंत में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जो इतिहास में किसी युद्ध में सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है।

Day of Reconciliation 
16 दिसंबर को दक्षिण अफ्रीका में Day of Reconciliation मनाया जाता है। इसकी शुरुआत दक्षिण अफ्रीका के लोगों के बीच दरार को भरने तथा दशकों से अन्याय से पीड़ित राष्ट्र में सद्भाव लाने के लिए की गई थी। इसकी शुरुआत 1995 में हुई थी। इस दिवस का उद्देश्य पूरे देश में एकता और सुलह को बढ़ावा देना था। इस तिथि को इसलिए चुना गया क्योंकि यह अफ्रीकी और अफ़्रीकन दोनों संस्कृतियों के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार ने जानबूझकर ऐसी तिथि चुनी जो नस्लीय सद्भाव बनाने के प्रयास में दोनों जातीय समूहों के लिए सार्थक हो। यद्यपि रंगभेद को 1948 में कानूनी मान्यता मिल गई थी, लेकिन नस्लीय अलगाव दक्षिण अफ्रीका में 1652 में डच साम्राज्य के शासनकाल से ही एक वास्तविकता थी, तथा 1795 में जब अंग्रेजों ने देश पर कब्ज़ा कर लिया, तब भी इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया। 1950 में हालात और भी बदतर हो गए जब देश में गैर-श्वेत राजनीतिक प्रतिनिधित्व को समाप्त कर दिया गया। इसने नस्लीय अलगाव की नीतियों को और मजबूत करने का काम किया, लेकिन इसने देश के खिलाफ विद्रोह, हिंसा और व्यापार तथा लंबे समय तक हथियारों पर प्रतिबंध की एक श्रृंखला को भी जन्म दिया।सुलह दिवस की तिथि का चयन अफ़्रीकनेर और अफ़्रीकी लोगों दोनों के लिए इसके महत्व के कारण किया गया था। अफ़्रीकनेर के लिए इसे वाचा दिवस के रूप में जाना जाता था, जो 1838 में ब्लड रिवर की लड़ाई में वूरट्रेकर द्वारा ज़ूलस पर जीत का जश्न मनाने वाला एक धार्मिक अवकाश था। अफ्रीकियों के लिए यह 1910 में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ़ एक महत्वपूर्ण विरोध प्रदर्शन का दिन था। 1961 में उमखोंटो वी सिज़वे, एएनसी की एक सशस्त्र सेना की स्थापना की गई थी।

Saturday, December 14, 2024

15 दिसंबर

15 दिसंबर 
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 
International Tea Day
 हर साल 15 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता रहा है। यह दिन सिर्फ बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, वियतनाम, इंडोनेशिया, केन्या, मलावी, मलेशिया, युगांडा, भारत और तंजानिया जैसे देशों में मनाया जाता है। यह दिवस मुख्य रूप से किसानों और श्रमिकों के चाय व्यापार के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस को मनाने का मकसद चाय उत्पादकों और चाय मजदूरों की स्थिति बेहतर बनाने का है। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से चाय मजदूरों की काम की स्थिति, मजदूरों के अधिकार, दिहाड़ी, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर चर्चा की जाती है। इसके अलावा चाय मजदूरों के योगदानों पर भी प्रकाश डाला जाता है। साल 2004 में मुंबई में व्यापार संघों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक हुई। उसमें अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का फैसला किया गया। पहली बार अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 15 दिसंबर, 2005 को मनाया गया था। देश के पांच प्रमुख चाय उत्पादक देश चीन, भारत, केन्या, वियतनाम और श्रीलंका के अलावा मलावी, तंजानिया, बांग्लादेश, यूगांडा, इंडोनेशिया और मलयेशिया में अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है। भारत की सिफारिश पर अब संयुक्त राष्ट्र ने 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित कर दिया है। दरअसल अधिकतर चाय उत्पादक देश में गुणवत्तापूर्ण चाय उत्पादन का सीजन मई में ही शुरू होता है।

Friday, December 13, 2024

14 दिसंबर

14 दिसंबर 
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस
National Energy Conservation Day 

ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 1991 से राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है ।
ऊर्जा संरक्षण अनवरत विकास की आधारशिला है, जो प्रगति और पर्यावरण प्रबंधन से जुड़ी हुई है। भारत में प्रति वर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के रूप में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है और टिकाऊ ऊर्जा प्रथाओं को अपनाने की अहम जरूरत को दर्शाता है। एक औपचारिक अवसर से कहीं अधिक, यह लोगों, उद्योगों और संस्थानों के लिए ऊर्जा दक्षता को अपनाने हेतु एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है, जिससे एक हरित, अधिक सामंजस्यपूर्ण भविष्य का मार्ग प्रशस्त होता है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हमारे जीवन में ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका और इसके संरक्षण की जरूरत का स्मरण कराता है। वर्ष 1991 से शुरू इस दिवस को विद्युत मंत्रालय के तहत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) मनाता है, जो ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा संरक्षण के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। ऊर्जा संरक्षण का सीधा मतलब कुशल प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों के सहारे अनावश्यक ऊर्जा उपयोग को कम करना है। यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है जिसमें ऊर्जा के प्रति जागरूक व्यवहार को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करना आवश्यक है। ऐसा करके, हम न केवल भावी पीढ़ियों के लिए संसाधन बचाते हैं बल्कि पर्यावरण क्षरण को कम करने में भी योगदान देते हैं। यह दिन लोगों को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक करने पर भी केंद्रित है तथा ऊर्जा संसाधनों को बचाने की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देता है। दुनियाभर में पिछले कुछ दशकों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है और उसी के अनुरूप ऊर्जा की खपत भी निरन्तर बढ़ रही है। दूसरी ओर जिस तेजी से ऊर्जा की मांग बढ़ रही है, उससे भविष्य में परम्परागत ऊर्जा संसाधनों के नष्ट होने की आशंका बढ़ने लगी है। अगर ऐसा होता है तो मानव सभ्यता के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाएगा। यही कारण है कि भविष्य में उपयोग हेतु ऊर्जा के स्रोतों को बचाने के लिए विश्व भर में ऊर्जा संरक्षण की ओर विशेष ध्यान देते हुए इसके प्रतिस्थापन के लिए अन्य संसाधनों को विकसित करने की जिम्मेदारी बढ़ गई है। ऊर्जा के अपव्यय को कम करने, ऊर्जा बचाने और इसके संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए ही देश में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। यह दिवस प्रतिवर्ष एक खास विषय के साथ कुछ लक्ष्यों तथा उद्देश्यों को मद्देनजर रखते हुए लोगों के बीच इन्हें अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए मनाया जाता है। वास्तव में इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को न्यूनतम करते हुए लोगों को मानवता के सुखद भविष्य के लिए ऊर्जा की बचत के लिए प्रेरित करना ही है। इसी क्रम में विद्युत मंत्रालय द्वारा देश में ऊर्जा संरक्षण की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए 'राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण अभियान' शुरू किया गया। यह एक राष्ट्रीय जागरूकता अभियान बन गया है। (विविध स्रोत)

Thursday, December 12, 2024

13 दिसंबर

13 दिसंबर 
भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले का स्मृति दिवस 

2001 में इसी दिन आतंकवादियों ने भारत के संसद भवन को निशाना बनाते हुए उस पर हमला किया था। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अंदर जाकर बड़ा हमला करने से रोक दिया था। 13 दिसंबर 2001 को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर पर आतंकियों ने सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर हमला किया था। सफेद रंग की कार में सवार होकर पांच आतंकी संसद भवन परिसर में घुसे थे। आतंकियों की कार पर गृह मंत्रालय का स्टीकर था जिस वजह से सुरक्षाकर्मियों ने उसे नहीं रोका। आतंकियों ने कार से उतरते ही फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने भी फायरिंग की। आतंकियों के पास अत्याधुनिक हथियार और हथगोले थे। दरअसल लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों की योजना थी कि संसद भवन के अंदर घुसकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को बंधक बनाए या फिर उन्हें नुकसान पहुंचाए। हमले के करीब 40 मिनट पहले संसद की कार्यवाही स्थगित हुई थी। कुछ नेता अपने घरों के लिए निकल गए थे लेकिन कुछ संसद भवन में ही मौजूद थे। इनमें तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडिस शामिल थे। हमले के तुरंत बाद दोनों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया। साथ ही संसद के लिए अंदर जाने वाले तमाम दरवाजे बंद कर दिए गए। हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हमले से कुछ देर पहले निकल गए थे। आतंकियों की फायरिंग के जवाब में संसद परिसर में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने भी गोलीबारी शुरू की। करीब 30 मिनट तक मुठभेड़ चली और सभी आतंकी मारे गए लेकिन 12 जवान भी इस हमले में शहीद हो गए। संसद पर हमला करने के दोषी अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई।
इसके अलावा, 1989 में 13 दिसंबर को ही आतंकवादियों ने जेल में बंद अपने कुछ साथियों को रिहा कराने के लिए देश के तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण कर लिया था। सरकार ने आतंकवादियों की मांग को स्वीकार करते हुए उनके पांच साथियों को रिहा कर दिया था।

राष्ट्रीय वायलिन दिवस
Violin Day 
13 दिसंबर को प्रति वर्ष की देशों में राष्ट्रीय वायलिन दिवस मनाया जाता है। वायलिन नामक वाद्य यंत्र के सम्मान में 13 दिसंबर को राष्ट्रीय वायलिन दिवस मनाया जाता है। वायलिन, धनुषाकार तारों वाला एक वाद्य यंत्र है। वायलिन एक लकड़ी का तार वाला वाद्य यंत्र है, जिसे आमतौर पर fiddle भी कहते हैं। इसमें चार तार होते हैं जो पूर्ण पांचवें में ट्यून किए जाते हैं। वायलिन से संगीत उत्पन्न करने के लिए संगीतकार द्वारा कई तकनीकों का उपयोग किया जाता है। तार पर धनुष खींचकर संगीत बनाया जाता है। वर्षों से वायलिन वादकों ने विभिन्न शैलियों जैसे शास्त्रीय, लोक संगीत, जैज़ संगीत, बारोक संगीत, रोल, रॉक और सॉफ्ट रॉक संगीत में वायलिन की बहुमुखी प्रतिभा को दिखाया है इसलिए वायलिन संगीत का एक बहुमुखी वाद्य यंत्र है और इसीलिए इसे मनाने के लिए राष्ट्रीय वायलिन दिवस मनाया जाता है। वायलिन वादक, तारों पर धनुष खींचकर कई तरह की ध्वनियां निकालते हैं। वायलिन बजाने के लिए कई तरह की धनुष तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। वायलिन मध्ययुगीन वाद्य यंत्रों से विकसित हुआ, और 15वीं शताब्दी तक एक विशिष्ट रूप में आ गया (आज के अधिकांश वायलिन स्ट्राडिवेरियस या अमाति की नकल हैं, 16वीं शताब्दी में अमाति वायलिन निर्माता के रूप में सक्रिय थे), तथा 1660 के दशक तक यह यूरोप में सबसे लोकप्रिय वाद्य यंत्र बन गया।किसी एकल वाद्य-यंत्र से उत्पन्न होने के बजाय, प्रारंभिक वायलिन का जन्म सबसे अच्छे और सर्वाधिक ध्वनियुक्त घटकों के संयोजन से हुआ था, मुख्यतः रेबेक, पुनर्जागरणकालीन फिडेल, और लीरा दा ब्रैसिओ (यह भी 16वीं शताब्दी का पुनर्जागरणकालीन वाद्य-यंत्र था)।माना जाता है कि पहला आधुनिक वायलिन इटली के क्रेमोना के एंड्रिया अमाती ने बनाया था । अमाती द्वारा बनाया गया यह पहला चार-तार वाला वाद्य यंत्र 1555 में बना था और यह उनके संग्रह का सबसे पुराना वायलिन है जो 1560 के आसपास का है। 
1560 में, एंड्रिया को फ्रांस के राजा चार्ल्स IX के लिए 24 वायलिनों सहित तार वाले वाद्यों का एक पूरा समूह बनाने का काम भी सौंपा गया था।

राष्ट्रीय अश्व दिवस 
National Horse Day 
अमेरिका में हर साल 13 दिसंबर को राष्ट्रीय अश्व दिवस मनाया जाता है। यह घोड़ों द्वारा किए गए आर्थिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान को याद करने का दिन है। 2004 में, अमेरिकी कांग्रेस ने 13 दिसंबर को राष्ट्रीय अश्व दिवस के रूप में घोषित किया और तब से, अमेरिकी लोग इस दिन घोड़े की भूमिका का जश्न मनाते हैं और उसकी सराहना करते हैं। माना जाता है कि घोड़े, सामान्य रूप से, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 9.2 बिलियन डॉलर का योगदान करते हैं। चाहे वे खेतों की जुताई में मदद कर रहे हों; ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य और आपूर्ति ले जा रहे हों; खेतों में पशुओं को ले जा रहे हों; या सिर्फ़ मधुर, विचारशील अश्व चिकित्सा प्रदान कर रहे हों; घोड़ों ने खुद को अमेरिका में जीवन के ताने-बाने में पिरोया है। घोड़े हमेशा से ही कई अमेरिकियों के जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, 13,000 से 11,000 साल पहले आदिम अमेरिकी मूल-निवासी घोड़ों के विलुप्त होने के बाद, आज की जंगली-घोड़ों की प्रजाति को 1400 के दशक के अंत में यूरोपीय उपनिवेशवादियों द्वारा अमेरिका में फिर से लाया गया। तब से वे मैदानों और पहाड़ी पश्चिमी इलाकों में में पनपे हैं। रोडियो अभी भी अमेरिकी पश्चिमी इलाके की संस्कृति का एक जीवंत और मनाया जाने वाला हिस्सा है। कई बीहड़ और ग्रामीण इलाकों में, काम करवाने के लिए घोड़े अभी भी आवश्यक हैं। (विविध स्रोत)

Wednesday, December 11, 2024

12 दिसंबर

12 दिसंबर 
अंतरराष्ट्रीय तटस्थता दिवस
International Day of Neutrality 

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 फरवरी 2017 को संकल्प 71/275 को अपनाकर 12 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय तटस्थता दिवस के रूप में घोषित किया , जिसमें शांति और सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे पर ध्यान दिया गया। महासभा के प्रस्ताव में यह भी निहित है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव तटस्थ राज्यों के साथ निकटता से सहयोग करना जारी रखेंगे , ताकि निवारक कूटनीति के सिद्धांतों को लागू किया जा सके और मध्यस्थता गतिविधियों में उनका उपयोग किया जा सके । तटस्थता या "तटस्थ नीति" एक विदेश नीति की स्थिति है जिसमें एक राज्य भविष्य के युद्धों में तटस्थ रहने का इरादा रखता है । एक संप्रभु राज्य जो युद्ध में किसी पक्ष द्वारा हमला किए जाने पर युद्धरत बनने का अधिकार सुरक्षित रखता है, सशस्त्र तटस्थता की स्थिति में होता है। तटस्थता दशकों से "अंतर्राष्ट्रीय सक्रियता " और अंतरराष्ट्रीय कानून और सामूहिक कार्रवाई की अभिव्यक्ति के साथ जुड़ी हुई है। तटस्थता की नीति वैश्विक शांति और सुरक्षा को मजबूत करने में योगदान देती है और दुनिया के देशों के बीच शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । तटस्थता का अर्थ यह समझा जाता है कि "मानवीय कार्यकर्ताओं को शत्रुता में पक्ष नहीं लेना चाहिए या राजनीतिक, नस्लीय, धार्मिक या वैचारिक प्रकृति के विवादों में शामिल नहीं होना चाहिए"। 

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस
Universal Health Coverage Day 
प्रति वर्ष 12 दिसंबर को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस मनाया जाता है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का मतलब है कि सभी लोगों को अपनी ज़रूरत के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएँ तब और जहाँ भी ज़रूरत हो, बिना किसी वित्तीय कठिनाई के मिल सकें। इसमें स्वास्थ्य संवर्धन से लेकर रोकथाम, उपचार, पुनर्वास और उपशामक देखभाल तक सभी ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाएँ शामिल हैं।12 दिसंबर 2012 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें देशों से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) की दिशा में प्रगति में तेज़ी लाने का आग्रह किया गया - यह विचार कि हर किसी को, हर जगह गुणवत्तापूर्ण, किफ़ायती स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच होनी चाहिए। 12 दिसंबर 2017 को, संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 72/138 द्वारा 12 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस (UHC दिवस) के रूप में घोषित किया ।

अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस का उद्देश्य बहु-हितधारक भागीदारों के साथ मजबूत और लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। हर साल 12 दिसंबर को, यूएचसी के समर्थक स्वास्थ्य की प्रतीक्षा कर रहे लाखों लोगों की कहानियों को साझा करने के लिए अपनी आवाज़ उठाते हैं, हमने अब तक जो हासिल किया है, उसका समर्थन करते हैं, नेताओं से स्वास्थ्य में बड़े और बेहतर निवेश करने का आह्वान करते हैं, और दुनिया को 2030 तक यूएचसी के करीब लाने में मदद करने के लिए प्रतिबद्धता बनाने के लिए विविध समूहों को प्रोत्साहित करते हैं।वर्तमान में, दुनिया में कम से कम आधे लोगों को वे स्वास्थ्य सेवाएँ नहीं मिल पातीं जिनकी उन्हें ज़रूरत है। स्वास्थ्य पर जेब से ज़्यादा खर्च करने की वजह से हर साल लगभग 100 मिलियन लोग अत्यधिक ग़रीबी में चले जाते हैं। इसमें बदलाव होना चाहिए। सभी के लिए स्वास्थ्य को वास्तविकता बनाने के लिए, हमें चाहिए: ऐसे व्यक्ति और समुदाय जिनकी उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हो ताकि वे स्वयं अपने स्वास्थ्य और अपने परिवारों के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें; गुणवत्तापूर्ण, जन-केंद्रित देखभाल प्रदान करने वाले कुशल स्वास्थ्य कार्यकर्ता; और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध नीति-निर्माता।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज मजबूत, लोगों-केंद्रित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर आधारित होना चाहिए। अच्छी स्वास्थ्य प्रणालियाँ उन समुदायों में निहित होती हैं जिनकी वे सेवा करती हैं। वे न केवल बीमारी और बीमारी की रोकथाम और उपचार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बल्कि जीवन की भलाई और गुणवत्ता को बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं।(विविध स्रोत)

Tuesday, December 10, 2024

11 दिसंबर #DayToBeRemembered

11 दिसंबर 
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 
#InternationalMountainDay
प्रतिवर्ष 11 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया जाता है, ताकि जीवन में पहाड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके, पर्वत विकास में अवसरों और बाधाओं को उजागर किया जा सके, तथा ऐसे गठबंधन बनाए जा सकें जो दुनिया भर में पर्वतीय लोगों और पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। पर्वत दुनिया की 15% आबादी का घर हैं और दुनिया के लगभग आधे जैव विविधता हॉटस्पॉट की मेज़बानी करते हैं। 2002 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 11 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के रूप में घोषित किया। संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि संगठन (FAO) पर्वतीय मुद्दों के बारे में अधिक जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस के वार्षिक उत्सव का समन्वय करता है।पहली बार यह दिवस वर्ष 2003 में मनाया गया था। वर्तमान में पर्वतीय क्षेत्रों में विश्व के निकटवर्ती रेगिस्तानों में जैव विविधताएँ पाई जाती हैं। इसमें अतिरिक्त पर्वतीय क्षेत्र, कृषि, स्वच्छ ऊर्जा, जैव विविधता जैसे सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, "पहाड़ प्राकृतिक रत्न हैं जिन्हें हमें संजोकर रखना चाहिए। वे दुनिया की 15% आबादी का घर हैं और दुनिया के लगभग आधे जैव विविधता हॉटस्पॉट की मेज़बानी करते हैं। वे आधी मानवता को रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लिए ताज़ा पानी मुहैया कराते हैं, कृषि को बनाए रखने और स्वच्छ ऊर्जा और दवाइयों की आपूर्ति में मदद करते हैं। दुर्भाग्यवश, पहाड़ जलवायु परिवर्तन , अतिदोहन और प्रदूषण के कारण खतरे में हैं, जिससे लोगों और ग्रह के लिए खतरा बढ़ रहा है। जैसे-जैसे वैश्विक जलवायु गर्म होती जा रही है, पर्वतीय ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिससे नीचे की ओर मीठे पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है, और पर्वतीय लोगों - जो दुनिया के सबसे गरीब लोगों में से हैं - को जीवित रहने के लिए और भी अधिक संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। खड़ी ढलानों का मतलब है कि खेती, बस्तियों या बुनियादी ढांचे के लिए जंगलों को साफ करने से मिट्टी का कटाव हो सकता है और साथ ही आवास का नुकसान भी हो सकता है। कटाव और प्रदूषण नीचे की ओर बहने वाले पानी की गुणवत्ता और मिट्टी की उत्पादकता को नुकसान पहुंचाते हैं। वास्तव में, विकासशील देशों में 311 मिलियन से अधिक ग्रामीण पहाड़ी लोग प्रगतिशील भूमि क्षरण के संपर्क में रहने वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें से 178 मिलियन को खाद्य असुरक्षा के प्रति संवेदनशील माना जाता है। यह समस्या हम सभी को प्रभावित करती है। हमें अपने कार्बन पदचिह्न को कम करना चाहिए और इन प्राकृतिक खजानों का ख्याल रखना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस, जिसे एफएओ के माध्यम से 2003 से मनाया जाता है, जीवन के लिए पर्वतों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करता है, पर्वत विकास में अवसरों और बाधाओं पर प्रकाश डालता है तथा ऐसे गठबंधनों का निर्माण करता है जो दुनिया भर में पर्वतीय लोगों और पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।"

यूनिसेफ दिवस
#UNICEFDay
हर साल 11 दिसंबर को दुनिया भर में यूनिसेफ दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसंबर, 1946 को यूनिसेफ का गठन वर्ल्ड वार-II के कारण हताहत हुए बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सामान्य कल्याण में सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष के रूप में किया गया था।यूनिसेफ का नाम बाद में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (United Nations International Children’s Emergency Fund) बदलकर से संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund) कर दिया गया, हालांकि, इसे पिछले नाम के आधार पर लोकप्रिय इसके छोटे नाम से जाना जाता रहा है।शुरुआत में ये संगठन संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (United Nations International Children's Emergency Fund) कहलाता था. इसका मकसद  द्वितीय विश्वयुद्ध में तबाह हुए देशों के बच्चों और महिलाओं को जरूरी भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं  उपलब्ध कराना था. पोलैंड के डॉक्टर लुडविक रॉश्मन ने यूनिसेफ के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई. यूनिसेफ को 1965 में नोबेल शांति पुरस्कार,  1989 में इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार और 2006 में प्रिंस ऑफ अस्तुरियस अवॉर्ड से नवाजा गया।

भारतीय भाषा दिवस 
#IndianLanguagesDay
तमिल कवि, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम स्वामी की जयंती 11 दिसंबर को भारतीय भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य जनसाधारण के बीच मातृभाषा के प्रसार को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक परंपराओं पर अधिकतम जागरुकता फैलाना है। ताकि, बहुभाषिक लोग एकता के सूत्र में बंधें और उनमें अखंडता का भाव जागृत हो। इसके तहत विश्वविद्यालय और कॉलेजों में आयोजित होनेवाले कार्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक दिशानिर्देश भी जारी किया है। इसमें कार्यक्रमों में बहु भाषावाद को बढ़ावा देने और मातृभाषा के साथ अन्य भारतीय भाषाओं के प्रयोग को भी प्रोत्साहित करने की सलाह दी गई है। विभिन्न संस्कृतियों की एक-दूसरे से एकात्मकता को और साहित्य, प्रदर्शन कला, लिपियों के विभिन्न रूपों और रचनात्मकता की अन्य विधाओं को प्रदर्शित करने के साथ डिजिटल माध्यमों में भारतीय भाषा को बढ़ावा देने को कहा गया है, ताकि भारतीय भाषाओं के माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहित किया जा सके। भारतीय भाषा समिति ने 11 दिसंबर की तारीख को ‘भारतीय भाषा दिवस’ या ‘भारतीय भाषा उत्सव’ के रूप में प्रस्तावित किया, क्योंकि ये दिन आधुनिक तमिल कविताओं के अग्रणी कवि सुब्रमण्य भारती की जयंती का प्रतीक है। सुब्रमण्यम भारती ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देशभक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए गीत लिखे थे।



Monday, December 9, 2024

10 दिसंबर #DayToBeRemembered

10 दिसंबर 
विश्व मानवाधिकार दिवस 
प्रति वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया भर में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। यह दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक प्रतिज्ञाओं में से एक की वर्षगांठ का स्मरण कराता है: मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा  (UDHR)। यह ऐतिहासिक दस्तावेज़ उन अविभाज्य अधिकारों को सुनिश्चित करता है जो हर किसी को एक इंसान के रूप में प्राप्त हैं - चाहे वह किसी भी जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा, राजनीतिक या अन्य राय, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म या अन्य स्थिति का हो। यह घोषणा 10 दिसम्बर 1948 को पेरिस में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित की गई थी, तथा इसमें पहली बार सार्वभौमिक रूप से संरक्षित किये जाने वाले मौलिक मानव अधिकारों की बात कही गई थी। मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह उस दिन की याद दिलाता है जब 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने  मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया था । मानवाधिकार दिवस की औपचारिक शुरुआत 1950 में हुई, जब महासभा ने प्रस्ताव 423 (V) पारित कर सभी राज्यों और इच्छुक संगठनों को प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में अपनाने के लिए आमंत्रित किया। संयुक्त राष्ट्र ने 1950 में 10 दिसंबर के दिन को मानवाधिकार दिवस घोषित किया था ताकि लोगों को उनके अधिकारों के बारे सही और सटीक जानकारी मिल सके। दरअसल, संविधान में हर इंसान के कुछ मौलिक अधिकार हैं जिनकी जानकारी हर एक को नहीं होती लिहाज़ा ये दिन लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए ही मनाया जाता है। मानवाधिकार मतलब किसी भी इंसान को जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार। आज का दिन इसी को समर्पित है। भले ही संयुक्त राष्ट्र ने 1950 में सभी देशों को इस दिन को मनाने के लिए आमंत्रित किया हो लेकिन भारत में मानवाधिकार कानून को अमल में लाने के लिए एक लंंबा वक्त लगा। हमारे देश में 28 सितंबर 1993 को मानवाधिकार कानून अमल में आया जिसके बाद  इसी दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया। मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्षेत्रों में भी काम करता है। जैसे मज़दूरी, HIV एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार । ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जा सके। (विविध स्रोत)

Sunday, December 8, 2024

9 दिसंबर #DayToBeRemembered

9 दिसंबर 
अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस 
#InternationalAnti-CorruptionDay

प्रति वर्ष 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता पैदा करना है। 31 अक्टूबर 2003 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन को अपनाया और महासचिव से अनुरोध किया कि वे कन्वेंशन के सदस्य देशों के सम्मेलन ( संकल्प 58/4 ) के सचिवालय के रूप में संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स और अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) को नामित करें। तब से, 190 दलों ने कन्वेंशन के भ्रष्टाचार विरोधी दायित्वों के लिए प्रतिबद्धता जताई है, जो सुशासन, जवाबदेही और राजनीतिक प्रतिबद्धता के महत्व की लगभग सार्वभौमिक मान्यता को दर्शाता है। महासभा ने भ्रष्टाचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे निपटने और इसे रोकने में कन्वेंशन की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 9 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में भी नामित किया। यह कन्वेंशन दिसंबर 2005 में लागू हुआ। अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस भ्रष्टाचार और उसके अपने समुदायों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ईमानदारी के युवा संरक्षकों की भूमिका पर केंद्रित है । यह अभियान भविष्य के ईमानदारी के नेताओं की आवाज़ को बुलंद करेगा, जिससे उन्हें अपनी चिंताओं और आकांक्षाओं को व्यक्त करने का मौका मिलेगा, इस उम्मीद के साथ कि उनकी अपील सुनी जाएगी और उन पर कार्रवाई की जाएगी।भ्रष्टाचार एक जटिल सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक घटना है जो सभी देशों को प्रभावित करती है। भ्रष्टाचार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करता है, आर्थिक विकास को धीमा करता है और सरकारी अस्थिरता में योगदान देता है। भ्रष्टाचार चुनावी प्रक्रियाओं को विकृत करके, कानून के शासन को विकृत करके और नौकरशाही के दलदल को पैदा करके लोकतांत्रिक संस्थाओं की नींव पर हमला करता है, जिसके अस्तित्व का एकमात्र कारण रिश्वत मांगना है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार खत्म हो। 

नरसंहार रोकथाम दिवस 
#InternationalDayOfCommemorationandDignityoftheVictimsoftheCrime of GenocideandofthePreventionofThisCrime

9 दिसम्बर को नरसंहार रोकथाम दिवस मनाया जाता है।
2015 से, संयुक्त राष्ट्र ने नरसंहार के पीड़ितों के सम्मान और स्मरण तथा इस अपराध की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की शुरूआत की। इस दिन विश्व में नरसंहार के पीड़ितों को याद किया जाता है। साथ ही , दुनिया भर के लोगों को अतीत से सीखने और भविष्य में होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह तिथि संयुक्त राष्ट्र द्वारा नरसंहार के अपराध की रोकथाम और दंड पर 1948 के कन्वेंशन को अपनाने का प्रतीक है। होलोकॉस्ट की भयावहता के बाद, कन्वेंशन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की 'फिर कभी नहीं' की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और नरसंहार को परिभाषित किया , एक शब्द जिसे राफेल लेमकिन ने गढ़ा था । इसके एक दिन बाद, 10 दिसंबर 1948 को, संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा पहली मानवाधिकार संधि को अपनाया गया । होलोकॉस्ट से बचे राफेल लेमकिन ने 'नरसंहार' शब्द गढ़ा और इस शब्द को अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्थापित करने में मदद की। (UN और विविध स्रोत)


Saturday, December 7, 2024

8 दिसंबर #DayToBeRemembered

8 दिसंबर 
बोधि दिवस
#BodhiDay
प्रति वर्ष 8 दिसंबर को बोधि दिवस मनाया जाता है। यह उस दिन की याद दिलाता है जब बुद्ध, सिद्धार्थ गौतम (शाक्यमुनि) को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जिसे संस्कृत और पाली में बोधि के नाम से भी जाना जाता है। परंपरा के अनुसार, सिद्धार्थ ने पीपल के पेड़ के नीचे तपस्या से ज्ञान प्राप्त किया था। उसे बोधि वृक्ष के रूप में भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए बोधि दिवस का दिन बहुत खास होता है। बोधि दिवस को गौतम बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है. बुद्ध का अर्थ जागृत या प्रबुद्ध व्यक्ति से है। दुनियाभर में इस दिन को बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। बोधि दिवस को मनाए जाने का मुख्य आकर्षण है सभी के लिए अच्छे कार्य करना, जीवन के महत्वपूर्ण पाठों को याद करना, जीवन का अर्थ खोजना और आध्यात्मिकता की नींव को मजबूत बनाना। Bodhiday.org के अनुसार, "वास्तव में हर साल दो बोधि दिवस होते हैं। “धर्मनिरपेक्ष” बोधि दिवस, पश्चिमी दुनिया और जापान के अधिकांश हिस्सों में एक निश्चित तिथि पर मनाया जाता है, जो 8 दिसंबर है। दूसरा बोधि दिवस चंद्र कैलेंडर पर आधारित है, इसलिए ईस्टर की तरह, तिथि हर साल बदलती रहती है। बोधि दिवस उस दिन को मनाया जाता है जब "ऐतिहासिक बुद्ध", उर्फ सिद्धार्थ गौतम, शाक्यमुनि बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था । इस दिन को हम बोधि दिवस कहते हैं। दुनिया के कुछ हिस्सों में इसे 8 दिसंबर की मानक तिथि पर मनाया जाता है, जो साल के 12वें महीने का 8वां दिन होता है। हालाँकि, बोधि दिवस वास्तव में चंद्र वर्ष के 12वें चंद्रमा का 8वां दिन है"।

सार्क चार्टर दिवस 
#SAARCCharterDay
प्रतिवर्ष 8 दिसंबर को सार्थक चार्टर दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना करने वाले चार्टर को अपनाने के दिन की याद करना है। सार्क की स्थापना 8 दिसंबर 1985 को हुई थी। तब इसके सात संस्थापक सदस्यों: बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका (बाद में 2007 में अफ़गानिस्तान भी इसमें शामिल हो गया था) के राष्ट्राध्यक्षों या सरकार द्वारा चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह दिन दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सदस्य देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह गरीबी, स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता जैसी साझा चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोग को बढ़ावा देता है। यह संगठन की क्षेत्रीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

Friday, December 6, 2024

7 दिसंबर #DayToBeRemembered

7 दिसंबर 
सशस्त्र सेना झंडा दिवस 
#ArmedForcesFlagDay
7 दिसंबर 1949 से प्रति वर्ष देश में देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए लड़ने वाले शहीदों और वर्दीधारी जवानों के सम्मान में सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है।केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा समिति ने युद्ध दिग्गजों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए 7 दिसंबर की यह तारीख तय की थी। इस दिवस को मनाने की शुरुआत सन् 1949 से हुई। 28 अगस्त 1949 को तत्कालीन रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति ने प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को झंडा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है भारतीय सेना के कर्मियों के कल्याण के लिए फंड जुटाना उनकी और उनके परिवार के लिए सहयोग प्रदान करना है। देशभर में एकत्रित धन के बदले लाल, नीले और हल्के नीले रंग के झंडे दिए जाते हैं। ये तीनों रंग भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का प्रतीक होते हैं। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सशस्त्र बलों के कर्मियों के कल्याण में सीधे योगदान करने का मौका देना है। इस दिवस को मनाने के पीछे विचार यह है कि सशस्त्र बलों के परिवारों और आश्रितों की देखभाल करना नागरिक आबादी की जिम्मेदारी है, जो पूरे देश के कल्याण और सुरक्षा के लिए इतना त्याग करते हैं। सशस्त्र बलों में कार्यरत पुरुष और महिलाएं अपनी ऊर्जा, प्रतिभा और अपनी जवानी देश को समर्पित करते हैं। वे सभी भौतिक सुख-सुविधाओं को त्याग देते हैं और देश के नागरिकों पर आतंक और त्रासदी फैलाने के लिए तैयार ताकतों से देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष (AFFDF) का प्रबंधन केंद्रीय सैनिक बोर्ड द्वारा किया जाता है। इस कोष का नेतृत्व केंद्र में रक्षा मंत्री और राज्य या केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर राज्यपाल या उपराज्यपाल करते हैं।झंडा दिवस मनाने के पीछे तीन मुख्य उद्देश्य हैं- युद्ध में हताहतों का पुनर्वास, सेवारत कार्मिकों एवं उनके परिवारों के कल्याण का ध्यान रखना, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों का पुनर्वास और कल्याण।

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस 
#InternationalCivilAviationDay

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस की  शुरुआत 1994 में अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ ) की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर की गई थी। 1996 में, आईसीएओ की पहल और कनाडा सरकार की सहायता से, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर को आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इसका उद्देश्य दुनिया के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए विमानन, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा के महत्त्व को पहचानना है। 1944 में 54 देशों के प्रतिनिधियों ने शिकागो में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन पर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए। इस कन्वेंशन को ‘शिकागो कन्वेंशन’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसने वैश्विक नागरिक उड्डयन प्रणाली को शांतिपूर्ण और लाभकारी तरीके से विकसित करने की अनुमति दी है। 1994 में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) ने 50वीं वर्षगांठ गतिविधियों के हिस्से के रूप में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस की स्थापना की। 1996 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव A/RES/51/33 को अपनाया, जिसने आधिकारिक तौर पर 7 दिसंबर को UN प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन दिवस के रूप में मान्यता दी। यह दिन नागरिक उड़ान के लिए अहम घटना के रूप में मनाया जाता है और लोगों को इस क्षेत्र में साझा जिम्मेदारी और सहयोग के महत्व को समझाने का अवसर प्रदान करता है।(विभिन्न स्रोत)






Thursday, December 5, 2024

6 दिसंबर #DayToBeRemembered

6 दिसंबर 
महापरिनिर्वाण दिवस 
#AmbedkarMahaparinirvanDiwas
प्रति वर्ष 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव राम अंबेडकर की पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। डॉक्टर अंबेडकर एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल भारतीय संविधान का निर्माण किया, बल्कि सामाजिक न्याय और हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए अपना जीवन भी समर्पित कर दिया। भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाने जाने वाले डॉ. अंबेडकर का देश के कानूनी और सामाजिक ढांचे में योगदान आज भी देश को आकार दे रहा है। महापरिनिर्वाण दिवस पर, लोग मुंबई में चैत्यभूमि पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनकी विरासत पर विचार करने के लिए एकत्रित होते हैं। हर साल, इस महत्वपूर्ण दिन पर, हज़ारों लोग, खास तौर पर महाराष्ट्र और देश भर से, डॉ. अंबेडकर के अंतिम विश्राम स्थल चैत्यभूमि पर आते हैं। यह स्थान उनके अनुयायियों के लिए बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह न केवल देश के लिए उनके योगदान का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि समानता और न्याय के उनके संदेश का भी प्रतिनिधित्व करता है। 

गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस 
#GuruTegBahadurMartyrdomDay
मुगल आक्रांताओं से लोहा लेने वाले सिखों के नवें गुरु, गुरु तेग बहादुर ने 6 दिसंबर 1675 को अपना बलिदान दिया था। दिल्ली में मुगल आक्रांता औरंगजेब ने इस्लाम धर्म कबूल न करने पर गुरु तेग बहादुर का शीश कटवा दिया था। सिख समाज में शहीदी पर्व की बहुत मान्यता है। आगरा में गुरुद्वारा गुरु का ताल परिसर में स्थित गुरुद्वारा मंजी साहिब का इतिहास बेहद खास है। ये वही गुरुद्वारा है। जहां मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को कैद किया। गुरुद्वारा मंजी इसके बाद मुगल आक्रांता ने उन्हें परिसर में स्थित पावन पवित्र भोरा साहिब में कैद रखा। ये दोनों स्थान सिक्ख समाज के लिए बेहद खास है। जो भी सिख श्रद्धालु यहां आते हैं। वह गुरु तेग बहादुर के स्मृति स्थल पर मत्था टेकने जरूर जाते हैं।

अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस दिवस 
#AyodhyaDisputedStructureDemolitionDay
6 दिसंबर, 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहा दिया गया था. देश के इतिहास में ये ऐसा दिन था, जो आज तक तक चर्चा के केंद्र में रहता है । १९९२ में ६ दिसंबर को उत्तर प्रदेश का अयोध्या हजारों कारसेवकों की मौजूदगी से हिल गया। 6 दिसंबर, 1992 को जय श्री राम के नारे लगाते हुए कारसेवक बाबरी मस्जिद के गुंबदों पर चढ़ गए और उसे जमींदोज कर टेंट में रामलला की मूर्ति रख दी। कुछ राजनीतिक हलकों में यह तारीख जहां शौर्य के प्रतीक के तौर पर देखी जाती है, वहीं विध्वंस को अपराध बताते हुए 'संविधान बचाओ' का नारा भी बुलंद किया जाता है।

मैत्री दिवस 
#FriendshipDay
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, २०२१ में भारत ने 6 दिसंबर को बांग्लादेश के साथ मैत्री दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसके पीछे कारण यह है कि, सन 1971 में इसी दिन नई दिल्ली ने ढाका को मान्यता दी थी। मार्च २०२१ में पीएम नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान, 6 दिसंबर को मैत्री दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था। 1971 में बांग्लादेश की आजादी से ठीक 10 दिन पहले, 6 दिसंबर 1971 को भारत ने बांग्लादेश को मान्यता दी थी। भारत ही पहला देश था जिसने बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय और राजनयिक संबंध स्थापित किए। बांग्लादेश और भारत के अलावा दुनिया भर के 18 देशों में इस दिन मैत्री दिवस मनाया जाता है। मैत्री दिवस मनाने वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, मिस्र, इंडोनेशिया, रूस, कतर, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान, मलेशिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और यूएई सरीखे देश शामिल हैं।

Wednesday, December 4, 2024

5 दिसंबर #DayToBeRemembered

५ दिसंबर 
#DayToBeRemembered
विश्व मृदा दिवस 
#WorldSoilDay
प्रति वर्ष 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार,  हमारे ग्रह का अस्तित्व मिट्टी के साथ अनमोल संबंध पर निर्भर करता है। हमारे भोजन का 95 प्रतिशत से अधिक हिस्सा मिट्टी से आता है। इसके अलावा, वे पौधों के लिए आवश्यक 18 प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों में से 15 की आपूर्ति करते हैं। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण हमारी मिट्टी का क्षरण हो रहा है। कटाव से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है, पानी की पहुंच कम होती है और सभी प्रकार के जीवन के लिए पानी की उपलब्धता कम होती है, और भोजन में विटामिन और पोषक तत्वों का स्तर घटता है। न्यूनतम जुताई, फसल चक्रण, जैविक पदार्थ जोड़ना और कवर फसल जैसी संधारणीय मृदा प्रबंधन पद्धतियाँ मृदा स्वास्थ्य में सुधार करती हैं, कटाव और प्रदूषण को कम करती हैं, और जल रिसाव और भंडारण को बढ़ाती हैं। ये पद्धतियाँ मृदा जैव विविधता को भी संरक्षित करती हैं, उर्वरता में सुधार करती हैं, और कार्बन पृथक्करण में योगदान देती हैं, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए मृदा दिवस मनाने का
उद्देश्य मृदा यानी मिट्टी के स्वास्थ्य के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना और मृदा संसाधनों के सतत प्रबंधन पर बल देना है। यह दिवस मृदा जैव विविधता सुनिश्चित करने और मृदा स्वास्थ्य में सुधार, कटाव और प्रदूषण को कम करने, जल निस्पंदन और भंडारण को बढ़ाने, टिकाऊ और लचीली कृषि खाद्य प्रणाली प्राप्त करने और कार्बन पृथक्करण में योगदान देने में मृदा प्रबंधन की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) ने 2002 में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव था ताकि प्राकृतिक प्रणाली के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में मिट्टी के महत्व और मानव कल्याण में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में इसका जश्न मनाया जा सके। 5 दिसंबर की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि यह थाईलैंड के राजा स्वर्गीय भूमिबोल अदुल्यादेज के आधिकारिक जन्मदिन से मेल खाती है, जो इस पहल के मुख्य समर्थकों में से एक थे। जून 2013 में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) सम्मेलन ने सर्वसम्मति से विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया और संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 68वें सत्र में आधिकारिक रूप से इसे अपनाने का अनुरोध किया। दिसंबर 2013 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा की ६८वीं बैठक में 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में घोषित किया। इसके बाद २०१४ से प्रति वर्ष यह दिवस मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 
#InternationalVolunteerDay
अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस , प्रति वर्ष 5 दिसंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1985 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। यह एक ऐसा दिन है जब स्वयंसेवकों की भूमिका को स्वीकार किया जाता है और स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वयंसेवा की भावना को बढ़ावा दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ठोस सामुदायिक स्वयंसेवक गतिविधियों के माध्यम से दुनिया भर में समुदायों और संयुक्त राष्ट्र स्वयंसेवकों की भलाई के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सभी चरणों, सभी स्तरों और सभी समयों पर लोगों को शामिल किए बिना सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करना संभव नहीं है  । स्वयंसेवा लोगों को समस्याओं के समाधान का हिस्सा बनाती है। स्वयंसेवा लोगों और समुदायों को उनके विकास में भाग लेने का मौका देती है। हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं - जलवायु परिवर्तन, संघर्ष और सामाजिक अन्याय - वे हमें भारी लग सकती हैं। फिर भी, इन मुश्किल क्षणों में, स्वयंसेवा की भावना पहले से कहीं ज़्यादा चमकती है। दुनिया के हर कोने में, स्वयंसेवक आमतौर पर सबसे पहले प्रतिक्रिया देते हैं। वे साहस, समर्पण और निस्वार्थता के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए आगे आते हैं।
स्वयंसेवक अपने समुदायों में सेवा की समृद्ध संस्कृति का निर्माण करते हैं। वे पीढ़ियों के बीच की खाई को पाटने और सतत विकास का समर्थन करने में मदद करते हैं। 
स्वयंसेवा हमें सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न पीढ़ियों के साथ मिलकर काम करने का अवसर देती है। स्वयंसेवा एक अंतर-पीढ़ी चक्र है। अधिकांश स्वयंसेवी कार्य व्यक्तियों के बीच अनौपचारिक रूप से आयोजित किए जाते हैं, जिसमें वैश्विक आबादी का 14.3% हिस्सा भाग लेता है, जबकि दुनिया भर में कामकाजी उम्र के 6.5% लोग किसी संगठन या संघ के माध्यम से औपचारिक स्वयंसेवा में संलग्न हैं। लोगों का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत कई प्रकार के स्वयंसेवी कार्य करता है। औपचारिक स्वयंसेवक अधिकतर पुरुष होते हैं, अनौपचारिक स्वयंसेवक अधिकतर महिलाएं होती हैं।दुनिया भर में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के स्वयंसेवकों की मासिक संख्या 862.4 मिलियन है।(स्रोत - संयुक्त राष्ट्र और विविध)

Tuesday, December 3, 2024

4 दिसंबर #DayToBeRemembered

4 दिसंबर 
नौसेना दिवस 
#IndianNavyDay
प्रति वर्ष 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय नौसेना की ताकत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह भारतीय नौसेना की वीरता, देश की देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में उसकी भूमिका के प्रति समर्पण करने का प्रतीक है। इस दिन को मनाने की शुरुआत का निर्णय मई 1972 में हुए एक वरिष्ठ नौसेना अधिकारी सम्मेलन में लिया गया था। सम्मेलन में 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के प्रयासों को मान्यता देने और उसकी उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया । दरअसल भारतीय नौसेना ने 1971 में, भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इस दिन दुश्मन को नाकों चने चबवा देने में बड़ी भूमिका निभाई और युद्ध में सफलता हासिल की थी। भारतीय नौसेना ने 4 दिसंबर 1971 की रात को ऑपरेशन ट्राइडेंट की शुरुआत की थी। यह ऑपरेशन पाकिस्तान के कराची पोर्ट से चलाए गए ऑपरेशन चंगेज खान का जवाब था।पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे पर भारतीय नौसेना ने हमला किया और जीत हासिल की। भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर बम बरसाकर उसे नष्ट कर दिया था. इस युद्ध के बाद बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा प्राप्त किया था। वैसे नौसेना की स्थापना 1612 में मानी जाती है जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने रायल इंडियन नेवी नाम से नौसेना बनाई थी। 1950 में स्वतंत्रता के बाद इसे भारतीय नौसेना के तौर पर पुनर्गठित किया गया। इससे पहले 21 अक्टूबर 1944 को, रॉयल इंडियन नेवी ने पहली बार नौसेना दिवस मनाया। नौसेना दिवस मनाने के पीछे कारण आम जनता के बीच नौसेना के बारे में जानकारी और जागरूकता बढ़ाना था। 1945 से, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 1 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाने लगा। 30 नवंबर 1945 की रात को, नौसेना दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर, भारतीय रेटिंग्स ने इंकलाब जिंदाबाद जैसे नारे लगाए ।  1972 तक, जनता के बीच उत्साह को देखते हुए, नौसेना दिवस 15 दिसंबर को मनाया जाने लगा जबकि मई 1972 में वरिष्ठ नौसेना अधिकारी सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना की कार्रवाइयों की याद में 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाएगा और 1 से 7 दिसंबर तक नौसेना सप्ताह मनाया जाएगा।
 वैसे छत्रपति शिवाजी महाराज को भारत में स्वदेशी 'नौसेना के जनक' के रूप में जाना जाता है। भारतीय नौसेना के झंडे में भी छ्त्रपति शिवाजी महाराज का प्रतीक चिह्न शामिल किया गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने तब नौसेना बनाई थी जब ज्यादातर देशों के पास नौसेना के नाम पर केवल छोटी सी टुकड़ी हुई करती थी। शिवाजी की नौसेना की नींव ही बाद में भारतीय नौसेना के विकास में काम आई।  शिवाजी के मराठा शासन के दौरान 1674 में नौसेना की स्थापना की गई। समंदर में पुर्तगालियों से कोंकण और गोवा की सुरक्षा के लिए नौसेना बनाई गई थी। तटीय इलाकों के पास नौसैनिक शिविरों में हिंदू और मुस्लिम दोनों एडमिरलों को नियुक्त किया गया था। पुर्तगाली, ब्रिटिश और समुद्री लुटेरों से सुरक्षा केलिए नौसेना को मजबूत किया गया था। बताया जाता है कि शिवाजी की नौसेना में 500 जहाज शामिल थे। 

Monday, December 2, 2024

3 दिसंबर #DayToBeRemembered

3 दिसंबर 
विश्व दिव्यांग दिवस
#INTERNATIONALDAY OFPERSONSWITHDISABILITIES
प्रति वर्ष 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य दिव्यांगजन के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के प्रति समाज को जागरूक करना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हर व्यक्ति, चाहे वह शारीरिक या मानसिक रूप से सक्षम हो या नहीं, समाज का अभिन्न हिस्सा है। इस अवसर पर हम न केवल उनकी उपलब्धियों का सम्मान करते हैं, बल्कि उनके सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने और उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। सरकार ने दिव्यांगजन के सशक्तिकरण के लिए कई प्रभावी योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए हैं, जो उनकी कार्यक्षमता और जीवन-स्तर को बेहतर बनाने के लिए समर्पित हैं। इस दिवस का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना है। यह दिन दुनिया भर में विकलांगता से प्रभावित होने वाले राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1981 को दिव्यांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (IYDP) घोषित किया। इस कार्य योजना में समान अवसर, पुनर्वास और दिव्यांगता की रोकथाम पर जोर दिया गया। IYDP का एक महत्वपूर्ण परिणाम शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के संबंध में विश्व कार्य कार्यक्रम था। संयुक्त राष्ट्र ने 1982 में इस कार्यक्रम को अपनाया। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1983 से 1993 तक के वर्षों को दिव्यांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दशक घोषित किया। 1992 में, उस दशक के समापन से एक वर्ष पहले, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 दिसंबर को दिव्यांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। 2006 में, संयुक्त राष्ट्र ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन (CRPD) को अपनाया। CRPD ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पहुँच और समावेशन को मौलिक अधिकार घोषित किया। दुर्भाग्य से, इन अधिकारों को मान्यता दिलाने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

Sunday, December 1, 2024

2 दिसंबर

२ दिसंबर 
प्रदूषण नियंत्रण दिवस 
#NationalPollutionControlDay
प्रति वर्ष 2 दिसंबर को दुनियाभर में  प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है औद्योगिक आपदा के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए जागरूकता फैलाना, साथ ही हवा, पानी और मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाना और उनमें होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए अलग-अलग तरह से समाज में जागरूकता फैलाना। यह दिन को उन लोगों की याद और सम्मान में मनाया जाता है जिन्होंने भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गंवा दी थी।भोपाल गैस त्रासदी 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात को हुई थी। भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड के रासायनिक संयंत्र से 'मिथाइल आइसोसाइनेट' नाम का जहरीला रसायन व साथ ही अन्य रसायनों का रिसाव होने से बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे।भोपाल गैस त्रासदी को पूरे विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदा के रुप में जाना जाता है।


अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस
#InternationalDayForTheAbolitionOfSlavery
प्रति वर्ष 2 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। यह मानव तस्करी के दमन और दूसरों की वेश्यावृत्ति के शोषण के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ( 2 दिसंबर 1949 का संकल्प 317 (IV)) को महासभा द्वारा अपनाए जाने की तिथि का प्रतीक है। इस दिवस का उद्देश्य गुलामी के समकालीन स्वरूपों को समाप्त करना है, जैसे मानव तस्करी, यौन शोषण, बाल श्रम के सबसे बुरे स्वरूप, जबरन विवाह, तथा सशस्त्र संघर्ष में उपयोग के लिए बच्चों की जबरन भर्ती। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 40 मिलियन से अधिक लोग आधुनिक दासता के शिकार हैं।
वर्ष 2011 तक  भारत में 43 लाख से अधिक बाल मजदूर पाए गए। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 1985 में इस दिन को मनाने की घोषणा की थी। यह दिवस वर्ष 1986 में पहली बार मनाया गया था।

Saturday, November 30, 2024

1 दिसंबर #DayToBeRemembered

१ दिसंबर 
विश्व एड्स दिवस 
#WorldAidsDay
प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाना, एचआईवी से पीड़ित लोगों के प्रति समर्थन जाहिर करना और एड्स से संबंधित बीमारियों से मरने वालों की याद करना है। यह एक वैश्विक पहल है जो व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों को एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ाई में कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह दिन इस बीमारी के बारे में शिक्षा को भी बढ़ावा देता है, परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालता है और एचआईवी से जुड़े कलंक को कम करने के लिए समझ को बढ़ावा देता है। विश्व एड्स दिवस का संदेश है कि हमें नए एचआईवी संक्रमणों को रोकने और विश्व स्तर पर एचआईवी से पीड़ित सभी लोगों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहना चाहिए। 2024 में, 37वें विश्व एड्स दिवस को " सामूहिक कार्रवाई: एचआईवी प्रगति को बनाए रखना और तेज़ करना " थीम के साथ मनाया गया। 
विश्व एड्स दिवस की शुरुआत सबसे पहले 1988 में जेम्स डब्ल्यू. बन्न और थॉमस नेटर ने की थी, जो एड्स पर वैश्विक कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए काम करने वाले दो सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे. उन्होंने बेहतर मीडिया कवरेज सुनिश्चित करने और एचआईवी/एड्स के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह शुरुआत की थी। विश्व एड्स दिवस मनाने के लिए 1 दिसंबर को इसलिए चुना गया क्योंकि यह अमेरिकी चुनावों के बाद लेकिन छुट्टियों के मौसम से पहले ध्यान आकर्षित करने के लिए एक समय सीमा प्रदान करता था। 
२०२४ में विश्व एड्स दिवस के सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र सचिवालय भवन को लाल एड्स रिबन से रोशन किया गया। यह एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ाई में संगठन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, तथा 25-27 जून को एचआईवी/एड्स पर महासभा के विशेष सत्र पर प्रकाश डालता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया से एड्स का खात्मा हो सकता है - अगर सभी के अधिकारों की रक्षा की जाए। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि मानवाधिकारों को केन्द्र में रखकर तथा समुदायों को आगे रखकर, विश्व 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा मानकर समाप्त किया जा सकता है। एचआईवी प्रतिक्रिया में जो पर्याप्त प्रगति हुई है, वह सीधे तौर पर मानवाधिकारों की रक्षा में प्रगति से जुड़ी हुई है। बदले में, एचआईवी प्रतिक्रिया के माध्यम से की गई प्रगति ने स्वास्थ्य के अधिकार को साकार करने और स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने में व्यापक प्रगति को प्रेरित किया है। लेकिन सभी के लिए मानवाधिकारों की प्राप्ति में अंतराल दुनिया को एड्स को समाप्त करने के मार्ग पर आगे बढ़ने से रोक रहा है और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है, और अब अधिकारों पर हमलों में वृद्धि ने अब तक की गई प्रगति को कमजोर करने की धमकी दी है। एड्स को समाप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि हम उन सभी लोगों तक पहुंचें और उनसे जुड़ें जो एचआईवी से पीड़ित हैं, एचआईवी के जोखिम में हैं या इससे प्रभावित हैं - विशेष रूप से उन लोगों को शामिल करें जो सबसे अधिक बहिष्कृत और हाशिए पर हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सभी के मानवाधिकारों का संरक्षण प्रभावी एचआईवी प्रतिक्रिया का एक अनिवार्य आधार है। यह विश्व एड्स दिवस सभी के अधिकारों की रक्षा करके सभी के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए कार्रवाई का आह्वान है। 

Friday, November 29, 2024

30 नवम्बर

30 नवम्बर #DayToBeRemembered

अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस 
#ComputerSecurityDay
प्रति वर्ष 30 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता, सूचना प्रणालियों और डेटा की सुरक्षा के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना है। इस दिन व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों को अपनी डिजिटल संपत्तियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और संभावित साइबर सुरक्षा खतरों के बारे में सूचित रहने के लिए प्रेरित किया जाता है। 1988 में, नेशनल कंप्यूटर सिक्योरिटी डे की शुरुआत अमेरिका में वाशिंगटन, डीसी, एसोसिएशन फॉर कंप्यूटिंग मशीनरी (ACM) के सुरक्षा, ऑडिट और नियंत्रण पर विशेष रुचि समूह के अध्याय से हुई, जिसका उद्देश्य साइबर अपराधों और वायरस के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। 2004 के "नेटवर्ल्ड" लेख के अनुसार, "30 नवंबर को CSD के लिए चुना गया था ताकि छुट्टियों के मौसम में कंप्यूटर सुरक्षा पर ध्यान अधिक रहे - जब लोग आमतौर पर सुरक्षा खतरों को विफल करने की तुलना में व्यस्त खरीदारी के मौसम पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।" 2003 तक, CERT और अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने मिलकर नेशनल साइबर अवेयरनेस सिस्टम बनाया।  इससे पहले 2 नवंबर, 1988 को कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने कंप्यूटर सिस्टम में छिपे एक अज्ञात वायरस का पता लगाया। खोज के चार घंटे के भीतर, "मॉरिस वर्म" वायरस ने कई अन्य यूनिवर्सिटी सिस्टम के साथ-साथ ARPANET पर भी हमला कर दिया, जो आज के इंटरनेट का एक प्रारंभिक संस्करण है। इसके छह दिन बाद, यू.एस. डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (DARPA) के दो कंप्यूटर विशेषज्ञों ने इस तरह के हमलों का 24/7, 365 घंटे जवाब देने के लिए एक “नेशनल कंप्यूटर इंफेक्शन एक्शन टीम” (NCAT) बनाने की सिफारिश की। 14 नवंबर को, कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी से जुड़े एक शोध केंद्र, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट (SEI) ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT) की स्थापना की।  कुल मिलाकर यह दिन मैलवेयर और साइबर हमलों के खिलाफ कंप्यूटर और नेटवर्क की सुरक्षा में सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर जोर देता है। यह व्यक्तियों से लेकर व्यवसायों और सार्वजनिक संस्थानों तक सभी स्तरों पर उपयोगकर्ताओं के लिए साइबर सुरक्षा में शिक्षा और प्रशिक्षण को भी प्रोत्साहित करता है। इस दिन का पालन साइबर अपराध से निपटने, डेटा की अखंडता और गोपनीयता सुनिश्चित करने और सभी के लिए एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण को बढ़ावा देने में वैश्विक सहयोग को बढ़ाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।


इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस
#ElectroHomeopathyDay
भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक नई दिशा और पहचान देने वाले महान चिकित्सक डॉ. नन्द लाल सिन्हा के योगदान को याद करते हुए पूरे देश में हर साल 30 नवम्बर को राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी दिवस इस बात का प्रतीक है कि चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई सोच और नवाचार से समाज में बदलाव लाया जा सकता है।

सेंट एंड्रयूज दिवस 
#SaintAnderewsDay
सेंट एंड्रयू दिवस 30 नवंबर को सेंट एंड्रयू के सम्मान में मनाया जाता है, जो स्कॉटलैंड, ग्रीस और रूस के संरक्षक संत हैं। यह दिन ईसाई कैलेंडर में सेंट एंड्रयू के पर्व का प्रतीक है और यह विशेष रूप से स्कॉटलैंड में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठान है। सेंट एंड्रयू यीशु के बारह प्रेरितों में से एक हैं और पारंपरिक रूप से माना जाता है कि उन्हें एक एक्स-आकार के क्रॉस पर क्रूस पर चढ़ाया गया था, जिसे साल्टायर के रूप में जाना जाता है, जो स्कॉटलैंड का प्रतीक बन गया है। स्कॉटलैंड में, सेंट एंड्रयू दिवस पर पारंपरिक संगीत, नृत्य सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। कई समुदाय इस दिन त्यौहार, परेड और विशेष चर्च सेवाएँ आयोजित करते हैं। सेंट एंड्रयू दिवस सांस्कृतिक गौरव और धार्मिक पालन का दिन है, जो स्कॉटलैंड और उसके लोगों की विरासत और परंपराओं के जश्न का प्रतीक है। 


राष्ट्रीय व्यक्तिगत स्थान दिवस
#NationalPersonalSpaceDay
30 नवंबर को अमेरिका सहित कई देशों में राष्ट्रीय व्यक्तिगत स्थान दिवस मनाने की परंपरा है जो व्यक्तिगत संवेदनशीलता के प्रति सोच को बढ़ावा देता है तथा प्रत्येक व्यक्ति के यह निर्णय लेने के अधिकार को मान्यता देकर उपचार और आत्म-सुरक्षा का समर्थन करता है कि उसे कब और कैसे स्पर्श किया जाए। यह दिन किसी व्यक्ति की अनकही ज़रूरत या कोमल और स्वागत योग्य स्पर्श के बारे में जागरूक होने का अवसर प्रदान करता है।  

Thursday, November 28, 2024

29 नवम्बर

२९ नवम्बर #DayToBeRemembered
फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
#InternationalDayOfSolidarityWithPalestinianPeople
प्रति वर्ष २९ नवम्बर को फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
1977 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 29 नवंबर को फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में वार्षिक रूप से मनाए जाने का आह्वान किया ( संकल्प 32/40 बी )। 1947 में उस दिन, महासभा ने फिलिस्तीन के विभाजन के प्रस्ताव (संकल्प 181 (II)) को अपनाया। 1 दिसंबर 2005 के संकल्प 60/37 में , सभा ने फिलिस्तीनी लोगों के अविभाज्य अधिकारों के प्रयोग संबंधी समिति और फिलिस्तीनी अधिकार प्रभाग से अनुरोध किया कि वे 29 नवंबर को फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के पालन के भाग के रूप में, संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के स्थायी पर्यवेक्षक मिशन के सहयोग से फिलिस्तीनी अधिकारों पर एक वार्षिक प्रदर्शनी या एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन जारी रखें। फिलिस्तीनी लोगों के साथ अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता दिवस मनाने के प्रस्ताव में सदस्य देशों को एकजुटता दिवस मनाने के लिए व्यापक समर्थन और प्रचार जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस 
#InternationalJaguarDay
प्रति वर्ष 29 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया जाता है। इस प्राणी का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा ओंका है।
यह IUCN की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध है। यह CITES की अनुसूची 1 में शामिल है।
जगुआर लैटिन अमेरिका की एकमात्र बड़ी बिल्ली और सबसे बड़ा मांसाहारी है। यह मैक्सिको से अर्जेंटीना तक 18 देशों तक पाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2018 में जगुआर फोरम 2030 अपनाया गया था। जगुआर के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिएएक विश्वव्यापी आयोजन के रूप में, अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस कई अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। बाघों और शेरों के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी बिल्ली की प्रजाति का प्राणी जगुआर है। जगुआर की लंबाई लगभग 2.5 मीटर तक हो सकती है और इसका वजन 113 किलोग्राम तक हो सकता है, जो बड़े शिकार का शिकार करने के लिए आवश्यक है, हालांकि यह ध्यान देने योग्य है कि वे विभिन्न क्षेत्रों में आकार में बहुत भिन्न हो सकते हैं। जगुआर तेंदुए की तरह दिखते हैं, उनका फर भूरे या नारंगी रंग का होता है, और "रोसेट्स" नामक धब्बे अक्सर केंद्रीय बिंदुओं के एक जटिल पैटर्न की विशेषता रखते हैं। अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस जगुआर के सामने बढ़ते खतरों और मैक्सिको से अर्जेंटीना तक इसके अस्तित्व को सुनिश्चित करने वाले महत्वपूर्ण संरक्षण प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था।  अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के व्यापक प्रयासों के हिस्से के रूप में जगुआर गलियारों और उनके आवासों के संरक्षण की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के सहयोग से जगुआर रेंज देशों की सामूहिक आवाज का भी प्रतिनिधित्व करता है।

Wednesday, November 27, 2024

28 नवम्बर

28 नवम्बर 
रेड प्लैनेट डे
#RedPlanetDay 
प्रति वर्ष 28 नवंबर को लाल ग्रह दिवस मनाया जाता है। मंगल ग्रह को लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। नासा ने मंगल ग्रह की पड़ताल के लिए मेरिनर 4 अंतरिक्ष यान 28 नवंबर, 1964 को लॉन्च किया गया था। यह मंगल ग्रह के निरीक्षण के लिए भेजा गया यान था। यह ग्रह की सतह पर आयरन ऑक्साइड है जो इसे लाल बनाता है। मंगल पृथ्वी के आकार का आधा है लेकिन फिर भी यह चौथा सबसे बड़ा ग्रह है। पृथ्वी से मंगल ग्रह की न्यूनतम दूरी लगभग 33.9 मिलियन मील है। यह सूर्य से चौथा ग्रह है। डेमोस और फोबोस मंगल ग्रह पर दो चंद्रमाओं के नाम हैं। मंगल ग्रह पर एक वर्ष पृथ्वी के 687 दिन के बराबर होता है।

ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि 
#JyotibaFule Death Anniversary 
सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी, ज्योतिराव फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। हिंदू समाज के ब्राह्मण वर्चस्व के एक कट्टर आलोचक, उन्होंने जाति व्यवस्था और निचली जातियों पर इसके भयावह प्रभावों का गहन विश्लेषण किया। 28 नवंबर, 1890 को उनकी मृत्यु हो गई। ज्योतिबा फुले ने समाज को जाति प्रथा और इससे जुड़ी कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत का पहला विद्यालय भी खोला। उन्होंने अछूतोद्धार के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। उनका यह भाव देखकर 1888 में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई थी। 

विश्व करुणा दिवस
#WorldCompassionDay 
विश्व करुणा दिवस प्रतिवर्ष 28 नवंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरूआत 2012 में भारतीय साहित्यकार, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रीतीश नंदी ने की थी। यह जीवों के प्रति हिंसा के विरुद्ध अहिंसा की अवधारणा पर आधारित है। यह महात्मा गांधी के अहिंसा दर्शन के विचार से भी प्रेरित है। इससे जुड़ा पहला कार्यक्रम मुंबई में हुआ और इसमें 14वें दलाई लामा और भारत और विदेश के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इसमें पशु कल्याण, शाकाहार के बढ़ते महत्व और सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

Tuesday, November 26, 2024

27 नवम्बर

२७ नवम्बर 
टर्टल एडॉप्शन दिवस
#TurtleAdoptionDay
प्रति वर्ष 27 नवंबर को टर्टल अडॉप्शन डे मनाया जाता है। मुख्य रूप से कछुओं के संरक्षण के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन कछुओं को गोद लिया जाता है। कछुओं की आबादी धीरे धीरे कम होती जा रहे है। कछुओं की उम्र बहुत बड़ी होती है। लोगों को लगता है कि उन्हें पालना मुश्किल है लेकिन ऐसा नहीं है। इस दिन कछुओं को पालने का प्रचार इसलिए किया जाता है क्योंकि ये अद्भुत पालतू जानवर हो सकते हैं। कछुए अन्य पालतू जानवरों की तुलना में अलग होते हैं। उन्हें कम देखभाल की जरूरत होती है। टर्टल अडॉप्शन डे 2011 में क्रिस्टीन शॉ द्वारा लिखे गए एक ब्लॉग पोस्ट से शुरू हुआ था। क्रिस्टीन शॉ के द्वारा की गई इस छोटी सी शुरुआत ने इस वैश्विक दिवस को जन्म दिया था। पूरे विश्व में कछुओं की प्रजातियाँ खतरे में हैं। कछुओं को अस्तित्व में बनाए रखने के लिए मदद की ज़रूरत है। टर्टल अडॉप्शन डे पर कछुओं को पालतू जानवरों के रूप में गोद में लिया जाता है। 2011 में क्रिस्टीन शॉ नामक एक महिला ने कुछ कछुओं को गोद लेने के बारे में एक ब्लॉग पोस्ट किया था। उसी समय से यह दुनिया के लोगों ने इससे प्रेरणा लेकर कछुओं को पालना शुरू किया। टर्टल अडॉप्शन डे पर कछुओं की अलग अलग प्रजातियों, समुद्री कछुए, रेडिएटेड कछुए और पेंटेड टेरापिन को पाला जाने लगा। लोगों ने इस बात को समझा कि कछुओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए यह एक अच्छा कदम है। 

Monday, November 25, 2024

26 नवम्बर #DayToBeRemembered

२६ नवम्बर 
संविधान दिवस 
#ConstitutionDay
भारत में प्रति वर्ष 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाया जाता है। संविधान सभा ने हमारे संविधान को 26 नवम्बर 1949 को स्वीकार किया था। इसके दो महीने बाद यानी कि 26 नवम्बर 1950 को इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है। पहली बार इस दिन को मनाये जाने की शुरुआत वर्ष 2015 से की गई थी। पहले संविधान लागू होने के चलते 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में ही संविधान दिवस मनाया जाता था लेकिन सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को प्रतिवर्ष 26 नवम्बर को भी संविधान दिवस मनाने का फैसला किया। यह फैसला डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 125वीं जयंती के वर्ष में लिया गया था। डॉ. अंबेडकर संविधान सभा के अध्यक्ष थे । उन्हें भारत का संविधान बनाने में अहम भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है। संविधान दिवस का मुख्य उद्देश्य देश में लोगों को संविधान और संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देना है। यह संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है और इसने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया है।विश्व का सबसे बड़ा संविधान लिखने के पहले डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने गहराई से अध्ययन किया था। इसके बाद 10 देशों से अलग-अलग नियम और प्रक्रिया को लिया। इस तरह करीब 1 लाख 40 हजार शब्दों से भारत का संविधान तैयार किया गया। 2 साल 11 महीने और 18 दिन में तैयार किए गए संविधान दिवस को 26 नवम्बर 1949 को ही विधिवत तरीके से अपनाया गया था। और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय संविधान दिवस मनाने के लिए नोडल मंत्रालय है। संविधान दिवस के अवसर पर देशभर में सरकार और विभिन्न विभागों की ओर से कई तरह की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। 

25 नवम्बर

25 नवम्बर #DayToBeRemembered
अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’
#InternationalDayfortheEliminationofViolenceagainstWomen
महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिये प्रति वर्ष 25 नवंबर को विश्व भर में ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ मनाया जाता है। इसके आयोजन का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना और महिलाओं को उनके बुनियादी मानवाधिकारों एवं लैंगिक
समानता के विषय में जागरूक करना है। महिला अधिकार कार्यकर्त्ता 1981 से प्रति वर्ष 25 नवंबर को लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ इसका आयोजन करते हैं। 07 फरवरी, 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक संकल्प पारित किया था, जिसमें 25 नवंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ घोषित किया गया। इस दिवस का आयोजन ‘मिराबाल बहनों’ (डोमिनिकन गणराज्य की तीन राजनीतिक
कार्यकर्त्ता) के सम्मान में किया जाता है। 1960 में देश के शासक राफेल ट्रुजिलो के आदेश पर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी गई थी। महिलाओं के खिलाफ हिंसा और घरेलू हिंसा को रोकने और उसका मुकाबला करने के संबंध में यूरोपीय परिषद के सम्मेलन (CETS नंबर
210), में इस्तांबुल कन्वेंशन को अपनाने का फैसला किया गया। यह सम्मेलन 7 अप्रैल 2011 को हुआ था और 1 अगस्त 2014 को लागू हुआ। यह घरेलू हिंसा सहित महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा के लिए समग्र प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी दायित्वों का की व्यापक व्यवस्था करता है। 20 दिसंबर 1993 को, महासभा ने संकल्प 48/104 के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन पर घोषणा को अपनाया, जिसने दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने की
दिशा में मार्ग प्रशस्त किया। 7 फरवरी 2000 को, महासभा ने संकल्प 54/134 को अपनाया, जिसमें आधिकारिक तौर पर 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया गया और ऐसा करते हुए, सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों को एक साथ जुड़ने और हर साल उस तारीख को इस मुद्दे के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए जरूरी गतिविधियों का आयोजन करने के लिए आमंत्रित किया।

साधु वासवानी जयंती- मांसाहार मुक्ति दिवस
#NONONVEGDAY #InternationalMeatlessDay
साधु टीएल वासवानी की जयंती के उपलक्ष्य में 25 नवंबर को 'नो नॉन-वेज डे' मनाया जाता है। साधु वासवानी मिशन, साधु टी.एल. वासवानी के जीवन और मिशन को आगे बढ़ाने का काम करता है, वासवानी के जन्मदिन, 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय मांस रहित दिवस के तौर पर मनाता है, क्योंकि उन्होंने शाकाहारी जीवन के सार्वभौमिक अभ्यास की दृढ़ता से वकालत की थी। साधु थानवरदास लीलाराम वासवानी शिक्षाविद् थे, जिन्होंने शिक्षा में मीरा आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने हैदराबाद, सिंध (पाकिस्तान) में सेंट मीरा स्कूल की स्थापना की। विभाजन के बाद वे पुणे चले गए। उनके जीवन और शिक्षण को समर्पित एक संग्रहालय, दर्शन संग्रहालय, 2011 में पुणे में खोला गया था। साधु वासवानी का जन्म हैदराबाद सिंध (पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने 1899 में बम्बई विश्वविद्यालय से बी.ए. किया और 1902 में एम.ए. की डिग्री भी प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अपनी मां से अपना जीवन भगवान और मनुष्य की सेवा में समर्पित
करने की अनुमति मांगी। जुलाई 1910 में, 30 वर्ष की उम्र में और उनके गुरु प्रोमोथोलाल सेन मुंबई से बर्लिन गए। अगस्त 1910 में, उन्होंने बर्लिन में वेल्ट कांग्रेस या विश्व धर्म कांग्रेस में भाग लिया। साधु वासवानी ने भारत के प्रतिनिधि के रूप में सम्मेलन में शांति, भारत
की मदद का संदेश दिया।

Saturday, November 23, 2024

24 नवम्बर

24 नवम्बर #DayToBeRemembered
गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस 
#GuruTegBahadurMartyrdomDay
24 नवम्बर को सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस है। इस दिन को राष्ट्रीय शहीदी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु तेग बहादुर सिंह ने धर्म की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया था और इसीलिए वे 'हिन्द की चादर' कहलाए। वे समानता, करुणा, निष्ठा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे विशेष गुणों के लिए जाने जाते हैं। कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर सिंह जी से इस्लाम धर्म या मौत दोनों में से एक चुनने के लिए कहा। लेकिन जब गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम अपनाने से इन्कार कर दिया तब औरंगजेब ने उनका सिर कटवा दिया था। उनके इसी बलिदान की याद में 24 नवंबर को उनका शहीदी गुरु पर्व मनाया जाता है। सिखों के 8वें गुरु हरिकिशन जी की अकाल मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर जी को नौवां गुरु बनाया गया था। गुरु तेग बहादुर सिंह ने आदर्श, धर्म, मानवीय मूल्य तथा सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। वे एक बहादुर, निर्भीक, विचारवान और उदार चित्त वाले महापुरुष थे। 14 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में अपने साहस और वीरता का परिचय दिया। इसी से प्रभावित होकर गुरु हर गोविन्द सिंह जी ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। गुरु तेग बहादुर जी 24 नवम्बर 1675 को शहीद हुए थे ।

लाचित दिवस
#LachitDay
असम में 24 नवम्बर को लाचित दिवस मनाया जाता है। यह दिवस 1671 में सरायघाट की लड़ाई में मुगल सेना पर असमिया सेना की शानदार जीत और वीर सेनानी लाचित बोरफुकन की बहादुरी की याद में मनाया जाता है।सरायघाट की लड़ाई का असम के इतिहास में काफी महत्व है। यह मुगल साम्राज्य द्वारा गुवाहाटी पर कब्ज़ा करने और असम में विस्तार करने का अंतिम प्रयास था। हालाँकि, मुगल अहोम साम्राज्य से हार गए। इस लड़ाई में अहोम सेना का नेतृत्व लाचित बोरफुकन ने किया था। 24 नवंबर को लाचित बोरफुकन का जन्मदिन है। लाचित दिवस समारोह पर असमिया सेनापति लाचित की वीरता की गाथा असम के लोगों को गर्व से भर देती है।लाचित बोरफुकन का जन्म 24 नवंबर, 1622 को असम के चराइदेव जिले में ताई अहोम परिवार में हुआ था। वह ऊपरी असम के पहले बोरबरुआ होने के साथ-साथ राजा प्रताप सिंह के अधीन अहोम सेना के सेनापति भी थे।
अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान, वह सैन्य कमांडर थे और बोरफुकन (फू-कोन-लंग) अहोम साम्राज्य के शासक थे । दुर्भाग्य से, सरायघाट की लड़ाई समाप्त होने के एक साल बाद, 25 अप्रैल, 1672 को 49 वर्ष की आयु में किसी अज्ञात बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी।

तुर्किए का शिक्षक दिवस 
#Teacher'sDayInTurkiye
तुर्किए में हर साल 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन तुर्की गणराज्य के संस्थापक मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क की याद में मनाया जाता है। 1928 में इसी दिन उन्होंने “राष्ट्रीय विद्यालयों के प्रधान शिक्षक” की उपाधि स्वीकार की थी। 1981 से तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। 


Friday, November 22, 2024

२३ नवम्बर #DayToBeRemembered

२३ नवम्बर 
यूपी पुलिस झंडा दिवस 
#UPPoliceFlagDay
प्रतिवर्ष 23 नवम्बर को उत्तर प्रदेश में पुलिस झंडा दिवस मनाया जाता है। यूपी पुलिस प्रथम राज्य पुलिस बल है, जिसे उसके अप्रतिम योगदान के लिए 23 नवम्बर, 1952 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पुलिस ध्वज प्रदान किया था। आज ही के दिन पीएसी बल को भी ध्वज मिला था। 23 नवंबर 1952 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश पुलिस को पुलिस कलर और ध्वज प्रदान किया था। ध्वज का आकार चार फीट लंबा व तीन फीट चौड़ा, ध्वज में दो रंग है। इसमें ऊपर लाल रंग व नीचे नीला रंग है। इसी दिन पीएसी बल को भी ध्वज प्रदान किया गया था। इसलिए उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में 23 नवंबर का दिन विशेष महत्व रखता है।

राष्ट्रीय काजू दिवस
#NationalCashewDay
प्रति वर्ष 23 नवम्बर को राष्ट्रीय काजू दिवस मनाया जाता है। काजू की पौष्टिकता और इसके उपयोग के बारे में जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए २०१५ से अमेरिका में राष्ट्रीय काजू दिवस मनाने की शुरूआत हुई। काजू काजू के पेड़ से प्राप्त बीज है। इस पेड़ की उत्पत्ति उत्तरपूर्वी ब्राजील में हुई थी। हालाँकि, अब इसे काजू के सेब और मेवों के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु में व्यापक रूप से उगाया जाता है। काजू का पेड़ 32 फीट तक ऊँचा होता है और अक्सर इसका तना अनियमित आकार का होता है। फूल छोटे होते हैं, जो हल्के हरे रंग के होते हैं और फिर लाल हो जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक में पाँच पतली, नुकीली पंखुड़ियाँ होती हैं। एक काजू का पेड़ 60 साल तक जीवित रह सकता है, लेकिन कुछ इससे भी ज़्यादा समय तक जीवित रहते हैं। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा काजू का पेड़ 100 साल से ज़्यादा पुराना है।

स्मार्टफोन दिवस 
#BirthdayOfSmartphone
23 नवंबर 1992 को IBM ने अमेरिकी सेल्युलर कंपनी बेलसेल्फ के साथ मिलकर पहला स्मार्टफोन IBM Simon लांच किया था. इस स्मार्टफोन को लास वेगास में 'COMDEX कम्प्यूटर एंड टेक्नोलॉजी ट्रेड शो' के दौरान पेश किया गया था. इस फ़ोन के जरिये यूजर कॉल और ईमेल कर सकता था.

फिबोनाची दिवस 
#FibonacciDay
फिबोनाची दिवस 23 नवंबर को प्रसिद्ध इतालवी गणितज्ञ लियोनार्डो ऑफ पीसा के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्हें फिबोनाची के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने यूरोप में हिंदू-अरबी अंक प्रणाली की शुरुआत की। उन्हें फिबोनाची अनुक्रम के लिए जाना जाता है, जो एक गणितीय अनुक्रम है जिसका विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुप्रयोग है।