Monday, October 7, 2024

कब होगा तीसरा विश्व युद्ध?

#WorldWar
दुनिया में जब भी दो धुर विरोधी देशों के बीच टकराव होता है और तनातनी लड़ाई की स्थिति में बदल जाती है तब यह आशंका प्रबल होने लगती है कि अब तो विश्व युद्ध होकर रहेगा। चाहे अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव हो, या फिर रूस और यूक्रेन के बीच २०२२ से चल रहा युद्ध, या २०२३ में इज़रायल और हमास की ओर से एक-दूसरे पर खून-खराबे वाले हमले हों या फिर अब ईरान -इज़रायल और इज़रायल - लेबनान के बीच पैदा स्थिति हो, हर ऐसी लड़ाई दुनिया में एक और विश्व युद्ध की संभावना जरूर पैदा कर देती है।
लेकिन, सवाल यही उठता है आखिर बरसों से चली आ रही ये आशंकाएं अभी तक विश्व युद्ध में क्यों नहीं बदली? आखिर वह कौन सी शक्ति है जो विश्व युद्ध को रोक रही है और क्यों? वैसे, विश्व युद्ध होना मानवता के हितों में तो कतई नहीं है, लेकिन बार-बार ऐसे हालात पैदा होने लगते हैं जिनसे लगता है कि अब तो विश्व युद्ध को कोई रोक नहीं सकता।
परन्तु, हकीकत कुछ और ही है। विश्व में अब वैसे हालात नहीं हैं जैसे कि पहले और दूसरे विश्व युद्ध के जमाने में थे। अब एटम बम केवल एक देश के पास नहीं बल्कि कई देशों के पास है। दुनिया के देशों में लड़ाकू क्षमता बढ़ी है तो साथ ही साथ परिपक्वता भी बढ़ी है। हालांकि यह परिपक्वता अभी भी उस स्तर पर नहीं है जिससे युद्ध रोका जा सके या उससे पूरी तरह बचा जा सके। यही कारण है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अक्सर युद्ध की आग भड़कती दिखती है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि तनाव चरम पर होने पर भी दुनिया की महाशक्तियां कभी भी एक-दूसरे को सीधे निशाना नहीं बनाती हैं। न अमेरिका रूस पर हमला करता है और ना ही चीन पर, और ना ही रूस या चीन सीधे अमेरिका, ब्रिटेन या फ्रांस पर हमला कर रहे हैं। दुनिया में जो भी लड़ाई चल रही है वह छोटे देशों के बीच चल रही है और बड़े देश अपने अपने समर्थक उन लड़ रहे देशों के साथ खड़े होने का दावा करते हैं, उन्हें हथियार और रसद पानी मुहैया कराते हैं, मानवता को बचाने के नाम पर सहायता देते हैं, लेकिन आपस में लड़ रहे देशों को रोक नहीं पाते और ना ही उनकी बेकसूर मासूम जनता को बचा पाते हैं, क्योंकि वे चाहते ही नहीं कि इस तरह से चल रही जंग बंद हों, क्योंकि यह तो पहले से जाहिर बात है कि लड़ाई बंद होगी तो हथियारों का विशाल कारोबार बंद हो जाएगा। बड़े देश अपना उल्लू सीधा नहीं कर पाएंगे। इसीलिए वे एक तरफ शांति की अपील करते हैं तो दूसरी तरफ जंग को हवा भी देते हैं। यह बात अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान राष्ट्रपति उम्मीदवार ट्रंप के हालिया बयान से भी साबित होती है जिसमें उन्होंने ईरान और इजरायल की तुलना स्कूल में लड़ रहे दो बच्चों से कर दी। 
साफ है कि एटमी शक्ति होने का दावा करने वाला ईरान सीधे अमेरिका पर तो हमला नहीं करता और ना ही उसके मददगार और सहानुभूति रखने वाले रूस या चीन ऐसा करते हैं, और ना ही इज़रायल के समर्थन में अमेरिका भी ईरान पर हमला कर रहा है । एटमी ताकतें किसी भी देश के खिलाफ इसका इस्तेमाल करने की घुड़की भले ही दें, लेकिन यह कदम उठाने की सोच भी नहीं सकतीं क्योंकि अंजाम तो देख ही चुकी हैं। 
तो कुल मिलाकर स्थिति यही है कि दुनिया में समय समय पर अलग-अलग कोनों में युद्ध शुरू हो रहे हैं, लेकिन नुकसान का दायरा व्यापक होने के बावजूद इतना नहीं कि महाशक्तियां इसकी जद में आ जाएं। इसीलिए युद्ध तो हो रहे हैं लेकिन ऐसा युद्ध नहीं छिड़ रहा जिसे तीसरा विश्व युद्ध कहा जाए। और यह ठीक भी है।

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