Friday, October 4, 2024

जंग का एक साल.. क्या होगा अंजाम?

७ अक्टूबर २०२३ को इज़रायल के इलाके में चल रहे उत्सव के दौरान हमास के अप्रत्याशित और बर्बरतापूर्ण हमले के साथ ही पश्चिम एशिया में शुरू हुई जंग अब उस मुकाम तक पहुंच चुकी है जिसके कारण एक और विश्व युद्ध की आशंका जताई जाने लगी है। 
हिज्बुल्लाह चीफ के मारे जाने और इज़राइल पर हमले के बाद अब बदले की आग में जल रहे ईरान ने इज़रायल पर और आगे कार्रवाई की धमकी दे दी है। वहीं लेबनान ने भी इज़रायल पर हमले शुरू कर दिए। 
हालांकि तीसरा विश्व युद्ध होगा यह मानना तो दूर की कौड़ी ही होगी क्योंकि विश्व युद्ध के सूत्रधार दुनिया के बड़े देश चाहे कितनी ही घुड़कियां क्यों न दे लें, पर हकीकत यही है कि वे उस मोड़ तक जाने से बचेंगे ही, जहां से युद्ध का ज्वालामुखी फूट सकता है। फरवरी २०२२ से चल रहे यूक्रेन युद्ध के मामले में यह बात साफ देखी जा चुकी है जिसमें महाशक्ति रूस स्वयं शामिल है। यूरोप और अमेरिका भले ही यूक्रेन की मदद करते रहे हैं, लेकिन उसकी ओर से रूस पर आक्रमण करने अब तक नहीं आए हैं।
जहां तक पश्चिम एशिया की बात है तो वहां भी इज़रायल अकेले ही अपने बूते हमास, हिज्बुल्लाह, हूती और अब ईरान का सामना कर रहा है। अमेरिका और यूरोप का नैतिक समर्थन भले ही इज़रायल को हासिल हो लेकिन अमेरिका और यूरोप उसके साथ रणक्षेत्र में उस तरह नहीं कूदे जैसा कि ईरान ने किया।
लेबनान में हिज्बुल्लाह के मुखिया हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद ईरान ने बौखलाहट में जिस तरह से इज़रायल पर हमला बोला, उसका परिणाम क्या होगा अभी कोई नहीं जानता। यह तो तय है कि इज़रायल भी शांत नहीं बैठने वाला। क्योंकि ईरान ने तो पिछले साल इज़रायल में हमास की क्रूरता को भी जायज करार दे दिया जिसकी पूरी दुनिया ने निन्दा की। इसके बाद इज़रायल ने हमास की कमर तोड़ने की कार्रवाई की और फिर उसके बाद उसने हमास के समर्थक हिज्बुल्लाह को तबाह करने के लिए लेबनान का रुख किया है। वहीं यमन के हूतियों से भी वह निपट रहा है। यानी एक साथ कई मोर्चों पर इज़रायल अकेला लड़ रहा है। ईरान की दखल इस लड़ाई को और भड़काएगी, इसमें भी कोई शक नहीं। 
परन्तु सवाल यही है कि आखिर अंजाम क्या होगा? क्या इज़रायल की सामर्थ्य खत्म हो जाएगी और वह थक कर पीछे हट जाएगा? या कि उसके साथ टकराव से ईरान और आतंकवाद को शह देने वाले अरब मुल्कों की मुसीबत बढ़ेगी? दुनिया की निगाहें अब दोनों पक्षों के हर कदम पर टिकी हैं । और सवाल यही है कि इस लड़ाई से मानवता का कितना नुक़सान होगा, क्योंकि जिस विचारधारा के दबाव में यह लड़ाई शुरू हुई है उसका असर बाकी दुनिया पर भी तो पड़ेगा।© कुमार कौस्तुभ 

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