Wednesday, October 23, 2024

५ साल बाद औपचारिक मुलाकात, क्या बनेगी बिगड़ी बात?

#ChinaIndia #ModiJinping
भारत-चीन के आपसी रिश्तों के लिहाज से २३ अक्टूबर २०२४ की तारीख तवारीख में दर्ज हो गयी है, क्योंकि इसी दिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की औपचारिक बैठक पांच साल के लंबे अंतराल के बाद हुई। हालांकि २०१४ से २०२३ के बीच भी भारत और चीन के तनाव के बीच दोनों नेताओं की मुलाकात अंतरराष्ट्रीय मंचों पर होती रही लेकिन २०१९ के बाद उनकी पहली द्विपक्षीय वार्ता २०२४ में ही हुई है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दरम्यान रूस के कजान में हुई इस बैठक की अहमियत इसलिए भी है कि इससे चंद दिनों पहले ही भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सीमा विवाद सुलझाने पर सहमति की खबरें आईं। भारतीय पक्ष ने इस बाबत बढ़ चढ़कर बयान दिए जबकि चीनी पक्ष इस पर गोलमोल बोलकर निकल गया।
 कजान में मुलाकात में पीएम मोदी ने सीमा पर शांति की आवश्यकता पर बल दिया और विवाद सुलझाने पर सहमति का जिक्र किया, लेकिन जिनपिंग केवल इतना ही बोल कर निकल गये कि दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग मजबूत होना चाहिए।
इससे पहले भी सीमा विवाद सुलझाने पर सहमति के मामले पर चीन ने ज्यादा कुछ नहीं कहा था और अब जिनपिंग भी इस मुद्दे पर चुप ही दिखे। 
दिलचस्प यह भी है कि जिनपिंग और मोदी की बैठक से पहले कई बार रूस के राष्ट्रपति पुतिन दोनों नेताओं के साथ दिखे जिससे यही संदेश गया है कि मोदी और जिनपिंग की बैठक रूस ने प्रायोजित की और रूस ने दोनों देशों के रिश्ते पर पड़ी बर्फ पिघलाने का प्रयास किया है। लेकिन हकीकत क्या है? अगर रूस की कोई भूमिका है भी तो क्या जिनपिंग और उनकी सरकार का भारत से संबंध सामान्य करने को लेकर रुख सकारात्मक है? ऐसा नहीं लगता। 
चीन संवाद और सहयोग की बात करता है लेकिन दोनों देशों के बीच कोर इश्यू पर बोलने से कतराता है। ऐसा लगता है जो भारत का कोर इश्यू है उसे चीन कोई मुद्दा मानता ही नहीं। शायद इसीलिए भूलकर भी LAC पर कंप्लीट डिस-इनगेजमेंट की बात भी नहीं करता ताकि कभी मीडिया इस सिलसिले में चीन का हवाला न दे सके। चीन का यह रवैया तो साफ साफ यही जाहिर करता है कि उसके तेवर बदले नहीं हैं। आने वाले कुछ दिनों में तस्वीरें और साफ होंगी जिससे चीन की असली मंशा क्या है यह पता चलेगा, क्योंकि २०१९ और २०२० का घटनाक्रम बहुत पुराना नहीं है। तो आखिर क्या चाहता है चीन, यह जानने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। एक चीनी कहावत है - To win the battle, retain the surprise, और चीन हैरान करने में माहिर है, इससे भला कौन इनकार कर सकता है। © कुमार कौस्तुभ 

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