This is about Champaran region. All people of Champaran, people interested in Champaran are welcome here. चम्पारण के और चम्पारण में दिलचस्पी रखनेवाले लोगों का स्वागत है...अपने विचारों और जानकारियों से इस पेज को समृद्ध करें.
Sunday, September 29, 2024
"मन की बात" के १० साल और रेडियो
Saturday, September 28, 2024
आतंकवाद के रक्तबीज
Friday, September 27, 2024
लेबनान को बचाए भगवान!
Thursday, September 26, 2024
महाशक्ति बनने की ओर भारत ?
Tuesday, September 24, 2024
अमन का पैगाम और 'पुष्प' की अभिलाषा!
Monday, September 23, 2024
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव - ट्रंप के पैंतरे
Sunday, September 22, 2024
मोदी की अमेरिका यात्रा: क्या दिया, क्या हासिल किया ?
Saturday, September 21, 2024
पीएम मोदी का प्रवासी प्रेम
Friday, September 20, 2024
UN में इस बार क्या बोलेंगे मोदी?
Thursday, September 19, 2024
क्वाड से क्या मिलेगा?
अमेरिका यात्रा पर जा रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एजेंडे में सबसे ऊपर डेलवेयर में होने वाली क्वाड की बैठक है। २१ सितंबर को क्वाड की बैठक की मेजबानी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन करने वाले हैं। भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री इसमें भाग लेंगे। क्वाड की इस तरह की यह चौथी बैठक होगी जिसमें चारों देशों के शीर्ष नेता शामिल होने जा रहे हैं।
क्वाड का अर्थ है क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग यानी चार देशों के बीच सुरक्षा संबंधी मामलों पर संवाद। इसका उद्देश्य हिन्द-प्रशान्त क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है ताकि इस क्षेत्र में चीन के दबदबे को बढ़ने से रोका जा सके और समुद्री मार्ग से व्यापार सुचारू रूप से चल सके। इस मायने में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की जापान और भारत के साथ चौकड़ी बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण है जबकि जापान और भारत की अपनी सुरक्षा संबंधी चिन्ताएं भी इससे जुड़ी हैं क्योंकि ये दोनों न केवल एशिया के दिग्गज देश हैं बल्कि चीन के निकट पड़ोसी भी हैं। तो समुद्री क्षेत्र में चीन की गतिविधियों के लिहाज से यह स्थिति भू-राजनीतिक दृष्टि से बहुत अहम है, क्योंकि जब अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-जापान और भारत यानी क्वाड के चार यार एक साथ बैठकर चर्चा करते हैं तो चीन की भौंहें तन जाती हैं और उसे लगता है कि उसके खिलाफ कोई नई रणनीति बनाई जा रही है, जो स्वाभाविक भी है क्योंकि आखिरकार चीन इन चारों देशों का मुख्य दुश्मन तो है ही। यही वजह है कि बीते वक्त में क्वाड देशों के समुद्री सैन्य अभ्यासों पर चीन ऐतराज भी जताता रहा है।
हालांकि गौरतलब यह भी है कि तमाम तरह की तनातनी और आपसी हितों के टकराव के बावजूद पिछले दिनों चीन-अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया-चीन के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने के प्रयास हुए हैं ताकि व्यापारिक हितों को नुक़सान न हो। वहीं, पिछले दिनों आपसी सहयोग के रास्ते खोलने के लिए जापान-चीन-कोरिया की त्रिपक्षीय वार्ता भी हुई। जबकि भारत के साथ चीन के संबंधों का स्तर मिला-जुला है। कई सामग्रियों के आयात में चीन पर भारत की निर्भरता कम करने के प्रयास हुए हैं तो साथ ही साथ सीमा पर चीन की चालों को नाकाम करने की भी कोशिश जारी है।
भले ही अमेरिका में इस बार क्वाड की बैठक हो रही है और अगले साल भारत इस बैठक की मेजबानी करने वाला है, लेकिन एक बात समझनी होगी कि इस संगठन के सभी देश अपना हित प्रथम की ही नीति पर चलेंगे। चारों देशों के नेताओं के एक साथ बैठ कर चीन पर मानसिक दबाव बढ़ाना इनकी सफलता मानी जा सकती है। वहीं यह भी ध्यान में रखना होगा कि क्वाड से भारत को क्या हासिल होता है। यह संगठन बेमानी इस मायने में नहीं कहा जा सकता है कि इसके जरिए इसके चारों सदस्य देशों के बीच बेहतर तालमेल बना है जिसके कारण रक्षा और व्यापारिक रिश्तों में बढ़ोतरी जरूर हुई है। परन्तु, यह भी देखना होगा कि क्वाड अभी चीन के लिए चुनौती भले ही पेश करता दिखे, पर इसकी सफलता तभी साबित होगी जब इसकी ताकत और रणनीति के समक्ष चीन घुटने टेक दे। इसके लिए भारत को हर हाल में महाशक्ति बनना होगा।© कुमार कौस्तु
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Wednesday, September 18, 2024
मोदी की अमेरिका यात्रा - किसका फायदा?
मोदी की US यात्रा: किसका फायदा?
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी २१ सितंबर से २३ सितंबर तक अमेरिका यात्रा पर रहेंगे। वैसे तो प्रधानमंत्री की इस अमेरिका यात्रा का कार्यक्रम बड़ा स्पष्ट है - उन्हें डेलवेयर में क्वाड की बैठक में भाग लेना है, जहां राष्ट्रपति जो बाइडेन से उनकी मुलाकात होगी और अगले वर्ष भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन की रूपरेखा तय हो सकती है जिसमें बाइडेन के उत्तराधिकारी, अमेरिका के अगले राष्ट्रपति भाग ले सकते हैं, चाहे वो कमला हैरिस हों या बाइडेन के धुर विरोधी डॉनल्ड ट्रंप हों। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क में प्रवासी भारतीयों से भी मिलेंगे और उन्हें संबोधित करने वाले हैं। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की अमेरिका में भारतीयों से मुलाकात के बाद अब पीएम मोदी वहां भारतीय समुदाय से रूबरू होंगे तो देखना दिलचस्प होगा कि राहुल के मुकाबले उनके तेवर कैसे रहते हैं। हालांकि इससे पूर्व अमेरिका या दूसरे देशों की यात्राओं में जब मोदी भारतवंशियों के समक्ष खड़े होते रहे हैं तो उनका उद्देश्य अधिकतर भारतीयता की गौरवशाली विरासत और राष्ट्रवाद की बात करते हुए सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करना ही रहा। इस दौरान विरोधियों पर निशाना भी वे साधते हैं लेकिन उस तरह के शिकायती लहजे में नहीं जैसे कि राहुल गांधी। बहरहाल, दोनों नेताओं के अपने अपने तरीके हैं, उद्देश्य हैं, परिप्रेक्ष्य हैं जिनके आधार पर वे विदेश में भारतीय समुदाय से मिलते हैं। कहना न होगा कि राहुल गांधी के मेल-जोल का दायरा सीमित रहा है, वे यूनिवर्सिटी और संस्थाओं में बुद्धिजीवी वर्ग तक अपनी बात पहुंचाने में तत्पर दिखे, जबकि मोदी से मिलने वालों में हर आम और खास होते हैं। वे एयरपोर्ट और होटल में आम लोगों से घुलते-मिलते हैं और विशाल हॉल में उन्हें संबोधित करते हैं तो दिग्गज कारोबारियों और सीईओ के साथ भी बैठकें करते हैं। इस बार की यात्रा में भी ऐसी बैठकें तय हैं। साथ ही मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित करने वाले हैं जो उनका कूटनीतिक और राजनयिक दायित्व है।
दिलचस्प बात यह है कि मोदी की अमेरिका यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी जोर पकड़ चुकी है। राष्ट्रपति चुनाव में एक तरफ भारतवंशी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस हैं तो दूसरी तरफ हैं डॉनल्ड ट्रंप जो २०१७ से २०२१ तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे हैं। अपनी तीखी जुबान और विवादित जीवन और बयानों के लिए चर्चित ट्रंप की पीएम मोदी के साथ शानदार केमिस्ट्री रही। दोबारा राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से पहले २०१९ में ट्रंप ने टेक्सास में हाउडी मोदी कार्यक्रम करवाया था जिसका मकसद कहीं न कहीं मोदी के सहारे भारतवंशी मतदाताओं को रिझाना ही था। अगले ही वर्ष २०२० में अहमदाबाद के मोदी स्टेडियम में शानदार नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम करवा कर पीएम मोदी ने ट्रंप के सम्मान का प्रत्युत्तर दे दिया। हालांकि , अमेरिका में २०२० के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को मोदी से दोस्ती का कोई खास फायदा मिला हो, यह कहना मुमकिन नहीं। लेकिन इस बार जबकि ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हाथ आजमा रहे हैं तो उससे पहले होने जा रही अमेरिका यात्रा के दौरान उन्होंने मोदी से मिलने का एलान कर दिया है। ट्रंप ने मोदी को विलक्षण व्यक्ति करार देते हुए उनकी शान में कसीदे पढ़े तो साथ ही साथ नोट करने वाली बात यह भी है कि उन्होंने भारत पर सीधे निशाना भी साधा और भारत को नीतियों का दुरुपयोग करने वाला देश कह डाला। संभव है इस तरह की बयानबाजी से ट्रंप एक साथ दो निशाने साधने की कोशिश कर रहे हों - मोदी की तारीफ करके मोदी के मुरीदों का दिल जीतना और भारत पर आक्रामक तेवरों से अपनी अमेरिका फर्स्ट नीति पर डटे रहने की नुमाइश।
अब यह तो पीएम मोदी के ऊपर है कि वे ट्रंप के बयान को किस तरह लेते हैं। देखना होगा कि वे ट्रंप के साथ दोस्ती को सम्मान देते हुए देश के हितों को भी तरजीह देते हैं या भारतवंशी बेटी कमला हैरिस के समर्थन के प्रति रुझान दिखाते हैं ? कमला हैरिस से मोदी की मुलाकात होगी या नहीं यह अभी नहीं कहा जा सकता। हालांकि बाइडेन प्रशासन से भी भारत के रिश्ते मधुर ही रहे और ट्रंप से पहले राष्ट्रपति रहे ओबामा के साथ भी मोदी का बढ़िया संबंध रहा। तो कुल मिलाकर राष्ट्रपति कोई भी रहे, इसमें कोई दो राय नहीं है कि पीएम मोदी अमेरिका के हर नेतृत्व को साधने में सफल रहे। वैसे यह भी स्पष्ट है कि नेतृत्व बदलने से विदेश नीति नहीं बदला करती और दो देशों के रिश्ते नहीं बदल जाते। तो यह भी तय है कि मोदी भारत का हित देखेंगे और ट्रंप या हैरिस में से जो भी जीते वह अमेरिका के हितों में ही काम करेंगे। ऐसा नहीं है कि इस यात्रा में मोदी ट्रंप या हैरिस के चुनाव प्रचार का हिस्सा बन सकते हैं , हां दोनों नेताओं को उनकी शुभकामनाएं जरूर मिलेंगी ताकि भारत और अमेरिका के रिश्ते आगे भी मजबूत रहें क्योंकि वैश्विक परिदृश्य में दोनों शक्तियों का साथ एक-दूसरे के लिए बेहद जरूरी है, यह सभी जानते हैं, तभी तो रूस से नजदीकी के बावजूद भारत के साथ अमेरिका नरमी से ही पेश आता है।
प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा एक बार पुनः क्वाड और संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक मंचों पर भारत की धमक दिखाने का मौका है, जिसका वे बखूबी सार्थक उपयोग करेंगे, यह तय मानिए! © कुमार कौस्तुभ