Saturday, November 23, 2024

24 नवम्बर

24 नवम्बर #DayToBeRemembered
गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस 
#GuruTegBahadurMartyrdomDay
24 नवम्बर को सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस है। इस दिन को राष्ट्रीय शहीदी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु तेग बहादुर सिंह ने धर्म की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया था और इसीलिए वे 'हिन्द की चादर' कहलाए। वे समानता, करुणा, निष्ठा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे विशेष गुणों के लिए जाने जाते हैं। कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर सिंह जी से इस्लाम धर्म या मौत दोनों में से एक चुनने के लिए कहा। लेकिन जब गुरु तेग बहादुर जी ने इस्लाम अपनाने से इन्कार कर दिया तब औरंगजेब ने उनका सिर कटवा दिया था। उनके इसी बलिदान की याद में 24 नवंबर को उनका शहीदी गुरु पर्व मनाया जाता है। सिखों के 8वें गुरु हरिकिशन जी की अकाल मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर जी को नौवां गुरु बनाया गया था। गुरु तेग बहादुर सिंह ने आदर्श, धर्म, मानवीय मूल्य तथा सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। वे एक बहादुर, निर्भीक, विचारवान और उदार चित्त वाले महापुरुष थे। 14 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में अपने साहस और वीरता का परिचय दिया। इसी से प्रभावित होकर गुरु हर गोविन्द सिंह जी ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। गुरु तेग बहादुर जी 24 नवम्बर 1675 को शहीद हुए थे ।

लाचित दिवस
#LachitDay
असम में 24 नवम्बर को लाचित दिवस मनाया जाता है। यह दिवस 1671 में सरायघाट की लड़ाई में मुगल सेना पर असमिया सेना की शानदार जीत और वीर सेनानी लाचित बोरफुकन की बहादुरी की याद में मनाया जाता है।सरायघाट की लड़ाई का असम के इतिहास में काफी महत्व है। यह मुगल साम्राज्य द्वारा गुवाहाटी पर कब्ज़ा करने और असम में विस्तार करने का अंतिम प्रयास था। हालाँकि, मुगल अहोम साम्राज्य से हार गए। इस लड़ाई में अहोम सेना का नेतृत्व लाचित बोरफुकन ने किया था। 24 नवंबर को लाचित बोरफुकन का जन्मदिन है। लाचित दिवस समारोह पर असमिया सेनापति लाचित की वीरता की गाथा असम के लोगों को गर्व से भर देती है।लाचित बोरफुकन का जन्म 24 नवंबर, 1622 को असम के चराइदेव जिले में ताई अहोम परिवार में हुआ था। वह ऊपरी असम के पहले बोरबरुआ होने के साथ-साथ राजा प्रताप सिंह के अधीन अहोम सेना के सेनापति भी थे।
अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान, वह सैन्य कमांडर थे और बोरफुकन (फू-कोन-लंग) अहोम साम्राज्य के शासक थे । दुर्भाग्य से, सरायघाट की लड़ाई समाप्त होने के एक साल बाद, 25 अप्रैल, 1672 को 49 वर्ष की आयु में किसी अज्ञात बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी।

तुर्किए का शिक्षक दिवस 
#Teacher'sDayInTurkiye
तुर्किए में हर साल 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन तुर्की गणराज्य के संस्थापक मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क की याद में मनाया जाता है। 1928 में इसी दिन उन्होंने “राष्ट्रीय विद्यालयों के प्रधान शिक्षक” की उपाधि स्वीकार की थी। 1981 से तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। 


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