15 जून
वैश्विक पवन दिवस
वैश्विक पवन दिवस हर साल 15 जून को मनाया जाता है। यह पवन ऊर्जा की शक्ति को पहचानने का क्षण है - और इसे बनाने वाले लोगों को। दुनिया भर में, बच्चे और वयस्क समान रूप से यह पता लगाते हैं कि पवन ऊर्जा कैसे काम करती है, दुनिया को बदलने की इसकी क्षमता और इससे मिलने वाली नौकरियाँ। वैश्विक पवन दिवस पवन ऊर्जा को ज़्यादा दृश्यमान, ज़्यादा प्रासंगिक और ज़्यादा मानवीय बनाने का एक शक्तिशाली तरीका है।वैश्विक पवन दिवस एक विश्वव्यापी आयोजन है जो हर साल 15 जून को मनाया जाता है। यह पवन ऊर्जा, इसकी शक्ति और हमारी ऊर्जा प्रणालियों को नया आकार देने, हमारी अर्थव्यवस्थाओं को कार्बन मुक्त करने और नौकरियों और विकास को बढ़ावा देने की इसकी संभावनाओं की खोज का दिन है। पवन ऊर्जा अब दुनिया के बड़े हिस्सों में ऊर्जा उत्पादन के सबसे सस्ते रूपों में से एक है। वैश्विक स्तर पर पवन ऊर्जा क्षमता ने 2023 में पहला 1 TW मील का पत्थर पार कर लिया। और अकेले 2024 में, दुनिया ने एक और 127 GW जोड़ा, जिससे यह नई पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों के लिए अब तक का सबसे अच्छा साल बन गया। पवन ऊर्जा का विकास भूमि पर शुरू हुआ। लेकिन अब अधिक से अधिक देश समुद्र में पवन टर्बाइन बना रहे हैं। कुछ पवन फार्म गहरे पानी में भी तैर सकते हैं ! वैश्विक पवन दिवस, विंडयूरोप , वैश्विक पवन ऊर्जा परिषद (जीडब्ल्यूईसी) और राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा संघों के बीच एक समन्वित कार्रवाई है, जिसका उद्देश्य गतिविधियों की एक श्रृंखला के माध्यम से आम जनता को पवन ऊर्जा से परिचित कराना है। विश्व पवन दिवस को पहली बार 15 जून 2007 को यूरोपीय पवन ऊर्जा संघ, जिसे अब विंडयूरोप के नाम से जाना जाता है और ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (GWEC) द्वारा स्थापित किया गया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य था पवन ऊर्जा उद्योग के हितधारकों, पर्यावरण संगठनों, नीति निर्माताओं और आम जनता को पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी में प्रगति को प्रदर्शित करना है। साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने पर इसके सकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक साथ लाना था।
विश्व वरिष्ठ नागरिक दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस
प्रतिवर्ष 15 जून को विश्व वरिष्ठ नागरिक दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (World Elder Abuse Awareness Day) मनाया जाता है। यह दिन बुजुर्गों के प्रति होने वाले शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। 1970 के दशक से बुज़ुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। बुज़ुर्गों के मानवाधिकारों में बढ़ती दिलचस्पी ने इसे और भी बढ़ा दिया है। 1997 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित जेरोन्टोलॉजी की 16वीं विश्व कांग्रेस में वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क की व्यवहार्यता पर चर्चा की गई, और इस प्रकार वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क (आईएनपीईए) का जन्म हुआ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ INPEA की साझेदारी के परिणामस्वरूप स्थिति को समझने के लिए विभिन्न अध्ययनों को मंजूरी मिली। आखिरकार, 2006 में, विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (WEAAD) की स्थापना की गई। इसने पूरे विश्व में एक ऐसा प्रभाव डाला, जिसकी गूंज सुनाई दी, तथा बुजुर्ग और उनके समर्थक एक साथ आए - बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने के लिए दुनिया भर के महान दिमागों, दिलों और लोगों का एक सहयोग।
अंतर्राष्ट्रीय फादर्स डे
अंतर्राष्ट्रीय फादर्स डे हर वर्ष जून महीने के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। यह दिन उन सभी पिताओं को समर्पित होता है जो अपने बच्चों और परिवार के लिए त्याग, प्रेम और जिम्मेदारी का प्रतीक होते हैं। मां-बाप के प्रति प्रेम, समर्पण, त्याग, आदर और सम्मान दर्शाने के लिए यूं तो सभी दिन होते हैं। लेकिन कुछ खास दिन इसलिए मनाए जाते हैं ताकि पेरेंट्स को स्पेशल फील करवाया जा सके। इन्हीं दिनों में एक है फादर्स डे। ‘फादर्स डे’ पहली बार वाशिंगटन के स्पोकेन शहर में सेलिब्रेट किया गया। इसका प्रस्ताव सोनोरा स्मार्ट डॉड ने दिया था। ऐसा बताया जाता है कि उनकी मां नहीं थी। उनके पिता ने ही सोनोरा समेत उनके 5 भाई-बहनों का लालन-पालन किया। उनके इसी समर्पण से प्रभावित होकर उन्होंने फादर्स डे मनाने का प्रस्ताव दिया। इतना ही नहीं उन्होंने लोगों को इसके प्रति जागरूक करने का काम भी किया। इसके बाद 9 जून 1910 को पहला ‘फादर्स डे’ मनाया गया। राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने1966 में जून के तीसरे संडे को फादर्स डे सेलिब्रेट करने का ऐलान किया। फादर्स डे की शुरुआत अमेरिका में हुई। 1909 में वाशिंगटन की रहने वाली सोनोरा स्मार्ट डॉड ने यह विचार रखा कि माताओं की तरह पिताओं के लिए भी एक विशेष दिन होना चाहिए। 1972 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इसे आधिकारिक मान्यता दी और जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे के रूप में घोषित किया गया।
कैंची धाम स्थापना दिवस
उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में स्थित बाबा नीम करौली महाराज के कैंची धाम मंदिर की स्थापना 15 जून 1964 को की गई थी. तब से लेकर अब तक हर साल 15 जून को स्थापना दिवस मनाया जाता है, जिसमें देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु पहुंचकर बाबा नीम करौली महाराज का आर्शीवाद लेते हैं। बाबा नीम करौली महाराज के भक्तों में देश-विदेश आम आदमी ही बल्कि विश्व के शक्तिशाली लोगों का नाम भी शामिल हैं. बाबा नीम करौली महाराज के कैंची धाम मंदिर पर दर्शन करने भी आ चुके हैं। नैनीताल में स्थित कैंची धाम आश्रम लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यही वो जगह है जहां बाबा नीम करोली ने साधना की थी। आज भी ये स्थान बहुत ही पवित्र और शांत माना जाता है।
भारत का बंटवारा दिवस
15 जून 1947 को कांग्रेस के अधिवेशन में देश के बंटवारे की योजना को मंजूरी दी गई थी। आजादी की आड़ में देश को वो जख्म मिला था जो कभी नहीं भूला जा सकता। दिल्ली में हुए इस अधिवेशन के बाद हमेशा एक परिवार और भाइयों की तरह रहने वाले लोग दो मुल्कों में बंट गए। इस कदम से ना केवल एक मुल्क बंटा, बल्कि रिश्ते और भावनाएं भी बंट गई। बंटवारे का प्रस्ताव तत्कालीन गवर्नर जनरल माउंटबेटन ने दिया था। कांग्रेस अधिवेशन में मंजूरी मिलने की बाद इस अंग्रेजी योजना को ब्रिटिश पार्लियामेंट ने भी 18 जुलाई को पास कर दिया। इसके बाद 15 अगस्त की तारीख बंटवारे के लिये तह हुई और अंग्रेजों ने भारत को कभी न भरने वाला जख्म दे दिया।
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