10 अप्रैल
विश्व होम्योपैथी दिवस
विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को डॉ क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उपचार के रूप में होम्योपैथी का दो शताब्दियों से अधिक का समृद्ध इतिहास है। हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों में इसका पोषण हो रहा है और यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र और प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है। होम्योपैथी का शाब्दिक अर्थ है 'होमो' अर्थात समान, 'ईओ' अर्थात रोगी के लक्षण तथा 'पैथी' अर्थात पीड़ा; मूलतः यह एक जर्मन शब्द है, जिसे किसी और ने नहीं बल्कि होम्योपैथिक चिकित्सा के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन ने गढ़ा था, जिनकी जयंती 10 अप्रैल को होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन होम्योपैथी को दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्वीकार करता है और यह 80 से अधिक देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। यह अत्यधिक तनुकृत पदार्थों के उपयोग पर आधारित एक उपचार है, जिसके बारे में चिकित्सकों का दावा है कि यह शरीर को स्वस्थ रख सकता है। होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973, होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली को भारत में एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा प्रणाली बनाता है।
जल संसाधन दिवस
10 अप्रैल को जल संसाधन दिवस मनाया जाता है।
जल संसाधनों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना इसका उद्देश्य है।यह दिन हमें जल संसाधनों पर विचार करने का अवसर देता है। संभव है कि आने वाला युद्ध जल के लिए ही हो वैश्विक स्थलीय जल संरक्षण में एक सेंटीमीटर प्रति वर्ष गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि भारत में जल संग्रहण की स्थिति में 3 से 4 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष गिरावट देखी जा रही है, जो चिंता जनक है। हमें जल संसाधन को बचाकर रखना होगा। इसके लिए जल बचत की आदत डालनी होगी। जल संसाधन दिवस मनाने की शुरुआत भारत में हुई, जो जल के महत्व और संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए है.
चंपारण सत्याग्रह दिवस
(Champaran Satyagraha )
चंपारण सत्याग्रह से भारत में मोहनदास करमचंद गांधी ने प्रयोगों की शुरुआत की। इसी के साथ चंपारण किसान आंदोलन (Champaran Peasant Movement ) शुरू हुआ। इसका लक्ष्य यूरोपीय बागान मालिकों के खिलाफ किसानों के बीच प्रतिरोध को जगाना था। इन बागान मालिकों ने नील की खेती के अवैध और कठोर तरीकों का इस्तेमाल एक कीमत पर किया जिसे न्याय के सिद्धांतों के अनुसार किसानों के श्रम के लिए पर्याप्त नही माना जा सकता था, जिस अन्याय पर गाँधी जी ने आंदोलन करने का निश्चय किया। यह महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया भारत का पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन भी माना जाता है । महात्मा गांधी ने 10 अप्रैल 1917 को अपना चंपारण सत्याग्रह शुरू किया , और ब्रिटिश प्रशासन का बिहार के चंपारण इलाके में कई किसानों को ब्रिटिश प्रशासन के तहत अपनी संपत्ति पर नील का उत्पादन करने के लिए मजबूर किये किसानो , मजदूरों के साथ एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के नेताओ के साथ आंदोलन कर दिया, इस अभूतपूर्व प्रकार के अहिंसक प्रतिरोध से चिंतित होने के बाद, 1 मई को भारत के गवर्नर जनरल द्वारा हस्ताक्षरित चंपारण कृषि अधिनियम 1918 (Champaran Agrarian Act 1918 in Hindi), किसानों के हितों की रक्षा करने वाले आंदोलन का एक महत्वपूर्ण परिणाम था। चम्पारण सत्याग्रह गांधी जी के नेतृत्व में सन् 1917 में देश का किया पहला सत्याग्रह आंदोलन था। गांधी जी ने सत्याग्रह के ज़रिये लोगों को भय से लड़ना सिखाया।
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