डरता हूं
आनेवाली अगली खबर से
इसलिए डरता हूं
कि खबर बुरी न हो
कितना असर होगा मुझ पर
कितने दुखी होंगे मेरे आत्मीय जन
खबर का क्या अंजाम होगा
किसी का घर उजड़ेगा?
होग क्रांति?
बदलेगा समाज?
क्या एक खबर से
निकलेंगी और खबरें?
या
खबरों के बाज़ार में
भी़ड़ में अकेले
इंसान की तरह
गुम हो जाएगी
वो भी खबर?
हो जाएगी एक और खबर की मौत?
शायद इसलिए भी मैं
डरता हूं बेइन्तेहा
हर आनेवाली खबर से
- कुमार कौस्तुभ
29 दिसंबर 2012, शाम 6 बजकर 17 मिनट पर
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