Tuesday, October 13, 2009

अनंत कुमार की साहित्य यात्रा

जिंदगी के अनुभवों की कड़िय़ां
चंपारण से गहरा रिश्ता रखनेवाले जर्मन भाषा के भारतीय लेखक अनंत कुमार का साहित्य जिंदगी के अनुभवों को बांटती है। पिछले दिनों Albert-Schweitzer-School में अपने प्रेज़ेंटेशन के दौरान करीब 25 छात्रों और अन्य लोगों के सामने उन्होंने अपनी कुछ कहानियां और कविताएं पेश कीं। इस दौरान उन्होंने अपनी पुस्तक "India I: Sweet" से चुनिंदा कहानियां भी पेश कीं। इनमें से एक कहानी संतरे बेहद पसंद करनेवाले एक बच्चे के बारे में थी जिसके पिता संतरे पसंद नहीं करते थे( ये कहानी आप पिछले पोस्ट्स में पढ़ चुके हैं)
इसके बाद श्री कुमार ने एक कुत्ते के बारे में अपनी कहानी सुनाई, लेकिन भाषा और सांस्कृतिक विविधता के कारण लोगों की इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिलीं।
इस प्रेजेंटेशन की आखिरी कहानी एक चोर के बारे में थी जिसने चोरी छोड़कर सामान्य जीवन बिताना शुरू कर दिया था। लेकिन जीवन के अंतिम दिनों में उसने फिर चोरी शुरू कर दी। मौत के बाद देवताओं के बीच ये विमर्श शुरू हुआ कि उसे स्वर्ग में भेजा जाए या नर्क में भेजने की सजा दी जाए। आखिरकार सबसे बड़े देवता ने उसे वापस धरती पर भेजने का फैसला किया। श्रोताओं को कहानी पसंद आई और इस पर बहस भी हुई कि आखिर क्यों एक चोर को दोबारा नई जिंदगी देकर धरती पर भेजा गया।
जर्मनी में इस तरह के साहित्य-संवादों की परंपरा सराहनीय है..भारत में भी ऐसी परंपरा है, लेकिन जरूरत है इसके विस्तार की ताकि साहित्य से लोगों को गहराई से जोड़ा जा सके और उनकी दिलचस्पी बरकरार रखी जा सके।

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