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Wednesday, October 7, 2009
मिनी चंबल में नरेगा
मिनी चंबल के नाम से चर्चित रहे वाल्मिकीनगर के जंगलों में पहुंचा नरेगा यानी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम और जंगल के किनारे बसे गांवों के लोगों को जंगलों में भी मिलेगा रोजगार। हाल में दैनिक जागरण में छपी खबर की मानें तो प्रशासन जंगल में नरेगा लागू करके एक ही तीर से दो लक्ष्य साधना चाहता है। पहला लक्ष्य तो गांववालों को रोजगार मुहैया कराना है, दूसरा जंगल को सुरक्षित रखना। इसेक लिए ग्रामीण विकास विभाग और वन विभाग मिल-जुलकर काम कर रहे हैं। नरेगी के तहत गांववालों को जंगल में वन कर्मियों के साथ-साथ गश्ती के काम में लगाने की योजना है। साथ ही तालाब साफ करने,झाड़ी साफ करने, बाड़ लगाने जैसे तमाम काम में देहाती श्रमशक्ति का इस्तेमाल हो सकेगा। प्रशासन के प्रयास सराहनीय हैं, बशर्ते इन्हें तरीके से लागू किया जाए और जिन लोगों को इनका फायदा मिलनेवाला है, वो जंगल को अपना समझकर इन्हें बचाए रखने की मंशा रखें। न्यूनतम रोजगार के रास्ते मोटा फायदा उठाने की मंशा रखनेवालों के लिए जंगल की राह खोलना खतरे से खाली नहीं होगा। इलाके में जंगलों को अवैध तरीके से काटने की घटनाएं आम हैं। सभी जानते हैं कि जंगलों को काटने और तबाह करनेवाले परदेस से नहीं आते ऐसे में रक्षक ही भक्षक बन जाए तो कोई बड़ी बात नहीं..सबसे बड़ी चुनौती नीति को लागू करने की इच्छाशक्ति और लोगों में जंगल को जीवन से जोड़ने की भावना को जगाना है, जो शायद सरकारी योजनाओं से परे है।
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