‘तीन बांध’
-प्रो. रामस्वार्थ ठाकुर
चंपारण में या और भी कहीं ऐसा क्षेत्र शायद ही कहीं हो, जहां तीन बांध होने के प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद हों। बिहार के पकड़ीदयाल अनुमंडल के बड़कागांव पंचायत में यह प्रमाण देखा जा सकता है। बड़कागांव के पश्चिम में लगभग 10 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में सिकरहना नदी का पूर्वी किनारा है। इस नदी से पूरब का क्षेत्र हमेशा बाढ़ से तबाह होता रहा है। हहराज, भेड़ियाही, गोंढ़वा, कुंअवा, ठिकहां, फुलवार, हरकबारा, बड़कागांव आदि आवासी ग्रामीण क्षेत्र इस नदी के सीधे प्रभाव में रहते आए हैं। वर्षा में जब भी बाढ़ आती है, यह पूरा क्षेत्र जलमग्न हो जाता है। अंग्रेज शासन में इस बाढ़ के नुकसान को देखा और महसूस किया गया। फलतः सरकार की ओर से समय-समय पर बांध बनवाए गए। आज यहां बड़कागांव से उत्तर दिशा में दो बांधों के टूटने के अवशेष मौजूद हैं। पता नहीं किन कारणों से ये बांध उत्तर दिशा में ही पूरब से पश्चिम की ओर बंधवाए गए, जबकि नदी का बहाव उत्तर से दक्षिण- गांव के पश्चिम में है। बड़कागांव और अन्य सभी गांवों में नदी का पानी पश्चिम से घुसता था और पूरे क्षेत्र में फैल जाता था। पूर्व के दोनों बांध देश की आजादी से पहले ही बनाए गए थे। ये दोनों बांध कब और क्यों टूटे ये अभिलेख से खोज के विषय हो सकते हैं। अभी इन दोनों भग्न बांधों के अवशेष मौजूद हैं जो यूं तो सरकारी जमीन है, लेकिन इन पर अवैध कब्जा है। बताते हैं कि बांधों की सरकारी जमीन का ये अवैध कब्जा कम से कम सौ एकड़ का है। देश की स्वाधीनता के बाद देश में आम चुनाव के वक्त इस क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या सिकरहना नदी की बाढ़ से बचाव की ही थी। पहले आम चुनाव में जीतकर विधायक बने कांग्रेस के श्री गदाधर सिंह ने कड़ी मिहनत से इलाके में एक नए बांध के प्रस्ताव को पास करवाकर कार्यान्वित भी करवाया जो आज बड़कागांव के पश्चिम में सिकरहना नदी के पूर्वी किनारे को बांधता हुआ उत्तर से दक्षिण तक गया है। यह यहां इस क्षेत्र का तीसरा बांध है। इस बांध से इलाके को हर साल आनेवाली बाढ़ से सुरक्षा जरूर मिली, लेकिन मूल रूप से इस क्षेत्र की नैसर्गिक बनावट जल ग्रहण की है, इस कारण बारिश ज्यादा होने पर इलाके को बाढ़ जैसे समस्या से जूझना पड़ता ही है। 2007 में भी पूरा इलाका बारिश के पानी की बाढ़ से ही डूब गया था। ऐसे में जरूरत पूर्व में टूटे दो बांधों के संदेशों को सुनने और समझने की है।
1 comment:
INFORMATIVE & CONSTRUCTIVE CRITICAL
The short article about the 3 dams in champaran of Prof. Thakur is well composed and neatly written. Not only it gives important informations of flood factors in the villages of Champaran, but also it raises questions about maintenance, repair and upgrading of these dams.
Magister Anant Kumar, Writer
Kassel-Germany/ Motihari-India
Member of German Writers Association
www.anant-kumar.de
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