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अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव 2024 में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस को भले ही हार का सामना करना पड़ा लेकिन जितनी कड़ी टक्कर उन्होंने रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप को दी उसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। यह भी माना जाना चाहिए कि यदि कमला हैरिस को समय से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया होता तो वे ट्रंप को हरा भी सकती थीं और आज नतीजे कुछ और होते। इसमें कहीं न कहीं निवर्तमान होने जा रहे राष्ट्रपति जो बाइडेन की महत्वाकांक्षा जरूर आड़े आई। 81 वर्ष के बाइडेन को यह समझने में बहुत देर लग गई कि उनकी उम्र और सेहत अब उनके लिए इस पद के माकूल नहीं है और इसका खामियाजा सीधे सीधे उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को भुगतना पड़ा जिन्हें बहुत देर से डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार घोषित किया गया। तब तक बाइडेन पर हमलावर ट्रंप कहीं न कहीं लीड ले चुके थे। लिहाजा कमला हैरिस को ट्रंप के आक्रामक चुनाव प्रचार की चुनौती से निपटने के लिए अपेक्षाकृत बहुत ही कम समय मिला। वहीं कमला हैरिस के मैदान में आने के बाद ट्रंप उनकी छवि पर भी वार करने से नहीं चूके जो स्वाभाविक ही था। कुल मिलाकर हालात कमला के पक्ष में बनने से रह गये और अमेरिका एक बार फिर इतिहास रचने से चूक गया। कमला हैरिस अगर जीत गयी होती तो वे न केवल अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होतीं बल्कि अमेरिका में इस सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली भारतवंशी भी होतीं। लेकिन, बाइडेन की बरजोरी के कारण अमेरिका में नया इतिहास बनने से रह गया। © कुमार कौस्तुभ