30 जून
अंतर्राष्ट्रीय संसदवाद दिवस
अंतर्राष्ट्रीय संसदवाद दिवस (International Day of Parliamentarism) हर वर्ष 30 जून को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसदों की भूमिका, महत्व और योगदान को रेखांकित करना है। यह दिन इंटर-पार्लियामेंटरी यूनियन (IPU) की स्थापना की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 2018 से मनाया जा रहा है।
इसका उद्देश्य देशों की संसदों के बीच संबंध स्थापित करना और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है. इस अवसर पर कई संसदें अपने सदस्यों को अंतर-संसदीय संगठनों, द्विपक्षीय आदान-प्रदान और अन्य कूटनीति पहलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.
यह भी कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय संसदीय दिवस की स्थापना 30 जून 1889 को आईपीयू की स्थापना के साथ हुई थी. संसदीय शासन प्रणालियों के औपचारिक प्रतिनिधित्व के रूप में 1889 में स्थापित किया गया IPU एक ग्लोबल ओर्गनाइजेशन है जो लोकतांत्रिक शासन, मानव प्रतिनिधित्व, लोकतांत्रिक मूल्यों और समाज की नागरिक आकांक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए काम करती है. संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार संसदों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दिवस की स्थापना संसदीय लोकतंत्र के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोगों का राजनीतिक संस्थाओं में विश्वास खत्म हो रहा है और लोकतंत्र स्वयं लोकलुभावन और राष्ट्रवादी आंदोलनों से चुनौतियों का सामना कर रहा है.
सोशल मीडिया दिवस
सोशल मीडिया दिवस प्रतिवर्ष 30 जून को मनाया जाता है। अपने छोटे से जीवनकाल में, सोशल मीडिया ने लोगों के परिवार, मित्रों और विश्व के साथ बातचीत, संवाद और साझा करने के तरीके को पुनः परिभाषित किया है। 2002 में फ्रेंडस्टर और 2003 में माइस्पेस के लॉन्च के साथ, सोशल मीडिया मुख्यधारा बन गया। 2004 में सोशल मीडिया के बादशाह, फेसबुक की स्थापना हुई। ट्विटर (अब एक्स) ने हमें 140 से कम अक्षरों में अपने विचार पोस्ट करके संक्षिप्त होने के लिए प्रोत्साहित किया। जब हम खुद को इमेजरी के माध्यम से बेहतर तरीके से व्यक्त करते हैं, तो इंस्टाग्राम और फ़्लिकर वह सब कुछ साझा करने की पेशकश करते हैं जिसे हम संभाल सकते हैं। और वीडियो की बात करें तो, TikTok और YouTube हर चीज के लिए सोशल प्लेस हैं। सोशल मीडिया दिवस की स्थापना 2010 में मैशेबल द्वारा की गई थी। सोशल मीडिया डे की शुरुआत साल 2010 में हुई थी, जब Mashable नामक एक सोशल मीडिया कंपनी ने इसे मनाने का फैसला किया था. इस दिन का उद्देश्य लोगों को सोशल मीडिया की शक्ति और इसके सकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूक करना था. तब से यह दिन दुनिया भर में मनाया जाता है, जिसमें लोग अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपने अनुभवों को शेयर करते हैं और सोशल मीडिया के इस्तेमाल से होने वाले फायदों के बारे में चर्चा करते हैं।
1997 में एंड्रयू वेनरिच ने पहली सोशल नेटवर्किंग साइट, SixDegrees लॉन्च की. 2001 में SixDegrees बंद हो गया. 2002 Friendster, Myspace और Facebook जैसी साइटें लोकप्रिय हुईं. आज X(Twitter), Instagram, LinkedIn और Snapchat सहित कई अन्य सोशल मीडिया साइटें मौजूद हैं. सोशल मीडिया डे लोगों को सोशल मीडिया के बारे में जागरूक करने और इसके इस्तेमाल से होने वाले फायदों और जोखिमों को समझने का मौका देता है.
यह दिन सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग पर ध्यान देने और लोगों को दूसरों के साथ जुड़ने, विचारों का आदान-प्रदान करने और दुनिया में सकारात्मक
बदलाव लाने के लिए इसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करता है. यह दिन लोगों को सोशल मीडिया का उपयोग करते समय सुरक्षित और जिम्मेदार रहने के बारे में शिक्षित करने का अवसर प्रदान करता है, जिसमें उनकी व्यक्तिगत
जानकारी को सुरक्षित रखना और ऑनलाइन धोखाधड़ी और उत्पीड़न से बचाव करना शामिल है. यह दिन लोगों को समान रुचियों और लक्ष्यों वाले अन्य लोगों के साथ जुड़ने और ऑनलाइन समुदाय बनाने का अवसर प्रदान करता है. यह दिन व्यवसायों को अपने उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने और नए ग्राहकों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है.
क्षुद्रग्रह दिवस
क्षुद्रग्रह दिवस (Asteroid Day) हर साल 30 जून को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को क्षुद्रग्रहों (Asteroids) के बारे में जागरूक करना और उनके पृथ्वी पर संभावित प्रभावों से सुरक्षा के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना है। 30 जून 1908 को रूस के साइबेरिया के टुंगुस्का क्षेत्र में एक विशाल क्षुद्रग्रह विस्फोट हुआ था, जिससे लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर का जंगल नष्ट हो गया था। इसी ऐतिहासिक घटना की स्मृति में यह दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 2016 में क्षुद्रग्रह दिवस को आधिकारिक मान्यता दी थी। साल 1908 में इसी दिन को साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के पास एक बड़ा विस्फोट हुआ था, जिसे तुंगुस्का प्रभाव कहा गया। इसमें कई किमी वर्ग जमीन तहस नहस हो गई थी। इस घटना के प्रतीक के रूप में भी 30 जून को इंटरनेशनल एस्टॉरायड डे मनाया जाता है। एस्टेरायड छोटे चट्टान रूपी पिंड होते हैं, जो हमेशा सूरज के चारों ओर घूमते रहते हैं। एस्टेरायड सामान्य तौर पर मंगल और बृहस्पति गृह के बीच परिक्रमा करते हैं। जानकारों के मुताबिक हमारे सौर मंडल में हजारों की संख्या में एस्टेरायड मौजूद हैं।
हूल दिवस
देश भर में 30 जून को हूल क्रांति दिवस मनाया जाता है और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले आदिवासियों की शौर्य गाथा और बलिदान को याद किया जाता है. संथाली भाषा में हूल का अर्थ क्रांति होता है. हूल का संथाली अर्थ है विद्रोह. 1855 में आज ही दिन भोगनाडीह गांव के सिद्धू-कान्हू की अगुवाई में झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और 400 गांवों के 50,000 से अधिक लोगों ने पहुंचकर जंग का ऐलान कर दिया और हमारी माटी छोड़ो का ऐलान कर दिया. आदिवासियों ने परंपरागत शस्त्र की मदद से इस विद्रोह में हिस्सा लिया. इस विद्रोह के बाद अंग्रेजी सेना बुरी तरह से घबरा गई और आदिवासियों को रोकना शुरू कर दिया. संथालियों ने अपने परंपरागत हथियारों के दम पर ही ब्रिटिश सेना को पस्त कर दिया था। आज ही के दिन यानी 30 जून 1855 को साहिबगंज भोगनाडीह में 10000 लोगों की सभा में सिद्धो को राजा घोषित किया गया. कान्हू को मंत्री चांद को प्रशासक और भैरव को सेनापति चुना गया. अंग्रेज इतिहासकार हंटर ने लिखा इस महान क्रांति में 20000 लोगों को मौत के घाट उतारा गया. आदिवासी इस दिन को अपने संघर्ष और अंग्रेजों के द्वारा मारे गए अपने 20000 लोगों की याद में मनाते हैं. जैसा कि शब्दों से स्पष्ट हो रहा है, यह विद्रोह आदिवासियों की संघर्ष गाथा और उनके बलिदान को आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले नायकों को याद करने का खास दिन है.
No comments:
Post a Comment