Thursday, May 8, 2025

चंपारण के लाल प्रोफेसर मज़हर आसिफ - जामिया (JMI) को बुलंदियों पर ले जाने के लिए कृतसंकल्प


देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए, दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए - ये पंक्तियां चंपारण के सपूत प्रोफेसर डॉ मज़हर आसिफ पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। प्रोफेसर आसिफ को अक्टूबर 2024 में देश के प्रतिष्ठित केन्द्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया का कुलपति नियुक्त किया गया। इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की स्थापना के 105वें साल के आगाज के अवसर पर प्रोफेसर आसिफ ने इसके कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला तो उनके जेहन में इस गौरवशाली संस्था की कीर्ति को और बढ़ाने तथा इसे देश के प्रमुख शिक्षा संस्थानों में शुमार करने के अलावा इसे चुनिंदा वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी की फेहरिस्त में शामिल कराने के लिए कुछ खास सपने थे और विश्वविद्यालय को नई बुलंदियों पर पहुंचाने का अपना विशिष्ट विजन था। 


प्रोफेसर आसिफ के प्रारंभिक छह महीने के कार्यकाल में विश्वविद्यालय की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर आसिफ के कुशल नेतृत्व में विश्वविद्यालय पठन-पाठन, शोध-अनुसंधान और नवाचार संबंधी शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा समावेशी माहौल बनाने के सिलसिले में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है जिसकी देश-दुनिया में तारीफ हो रही है।

शुरूआती छह महीने में किये गये उल्लेखनीय कार्य -

अप्रैल 2025- तकनीकी शिक्षा को उद्योग से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर प्रोफेशनल स्किल डेवलेपमेंट का उद्घाटन किया गया। यह अत्याधुनिक ‘स्किल हब भविष्य की करियर जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

मार्च 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) के मल्टी डिस्प्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज़ (MCARS) ने टी सेल को जेनेटिक रूप से मॉडिफ़ाई करने में सफलता प्राप्त की है। इस तकनीक के माध्यम से अब ब्लड कैंसर के मरीजों का एक सस्ता और प्रभावी इलाज उपलब्ध है। इस शोध से कैंसर के इलाज का खर्च काफी कम हो सकता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा कैंसर का फायदा मिलेगा।

मार्च 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने इस शैक्षणिक वर्ष से अकादमिक उत्कृष्टता और कौशल विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से 14 नए पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। विदेशी और एनआरआई छात्रों को आकर्षित करने के लिए विश्वविद्यालय ने सार्क देशों के आवेदकों के लिए फीस कम कर दी है। साथ ही यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक के तहत डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए भी विदेशी और एनआरआई कोटे के लिए फीस कम कर दी है। बीडीएस कार्यक्रम (जो एनईईटी के माध्यम से छात्रों को प्रवेश देता है) में दो सीटें विदेशी छात्रों के लिए आरक्षित की गई हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन करने वाले विदेशी नागरिक अब प्रवेश साक्षात्कार के लिए ऑनलाइन उपस्थित हो सकते हैं।

मार्च 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के सेंटर फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (सीआईई) ने स्किल इंडिया पहल के तहत ग्रीष्मकालीन अवकाश को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास आधारित लघु अवधि का कोर्स शुरू करने की घोषणा की है। यह विशेष कोर्स स्कूलों के छात्रों और गृहिणियों को व्यावहारिक कौशल प्रदान करने और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। नियमित छात्र भी इसका लाभ उठा सकते हैं।

मार्च 2025- भारत में उज्बेकिस्तान के राजदूत सरदोर रुस्तमबेव ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया का दौरा किया। उनके दौरे का मकसद विश्वविद्यालय और उज्बेकिस्तान के प्रमुख संस्थानों के बीच अकादमिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए रास्ते तलाशना था। 

मार्च 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया में ओलंपिक मानकों के अनुरूप नई आर्चरी रेंज तैयार की जाएगी। छह महीने में तैयार होने वाली इस रेंज में खिलाड़ियों को बेहतरीन सुविधाएं मिलेंगी। इसके साथ ही फुटबॉल, क्रिकेट और बास्केटबॉल अकादमियां भी शुरू होंगी।

फरवरी 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रिसर्चर प्रखर श्रीवास्तव को यूरोपियन संघ के प्रोजेक्ट का ओपन साइंस ऑफिसर नियुक्त किया गया। वह लोनली-ईयू प्रोजेक्ट को लीड करेंगे. प्रखर जामिया के मनोविज्ञान विभाग में पीएचडी स्टूडेंट हैं।

जनवरी 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हॉल ऑफ गर्ल्स रेसिडेंस (ओल्ड) ने जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए उपयोग की गई वस्तुओं को संग्रह करने के लिए थ्रिफ्ट स्टोर इनिशिएटिव फॉर सस्टेनेबल लिविंग एंड कम्युनिटी केयर की घोषणा की है। जामिया प्रशासन की इस पहल का उद्देश्य जरूरतमंद व्यक्तियों और परिवारों को पुनर्वितरित करने के लिए धीरे-धीरे इस्तेमाल की गई वस्तुओं और कपड़ों को इकट्ठा करना है। साथ ही छात्र छात्राओं को सामुदायिक देखभाल की भावना को बढ़ावा देना है।

नवंबर 2024- 'कॉल फॉर जस्टिस' नामक एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा विश्वविद्यालय में गैर-मुसलमानों, विशेषकर अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) कर्मचारियों और छात्रों के साथ भेदभाव की रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसे देखते हुए कुलपति प्रोफेसर आसिफ ने जाति, लिंग, धर्म, और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव के किसी भी कार्य के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति (Zero Tolerance Policy) अपनाने का संकल्प लिया है।

प्रोफेसर आसिफ के कुशल नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय अब रक्षा और सामरिक अध्ययन पर नया केंद्र खोलने की तैयारी कर रहा है। इस केंद्र के लिए हाल ही में जामिया के कुलपति प्रोफेसर मज़हर और कुलसचिव ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान रक्षा मंत्रालय की ओर से लोदी रोड में संचालित स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज के साथ सहयोग पर चर्चा कर इसके लिए प्रस्ताव दिया। मुलाकात में रक्षा मंत्री से विश्वविद्यालय में रक्षा और सामरिक अध्ययन शिक्षण और अनुसंधान को मजबूत करने की पहल पर चर्चा की गई। इस केंद्र को खोलने का उद्देश्य जामिया में रक्षा अधिकारियों के बीच विदेशी भाषाओं के शिक्षण को बढ़ाना है। जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ और कुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को प्रस्तावित केंद्र के पीछे की दृष्टि और रक्षा अध्ययन में रणनीतिक सोच और अनुसंधान को मजबूत करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। दोनों पहल रणनीतिक सोच शिक्षण और अनुसंधान को मजबूत करने और विदेशी भाषाओं में सैन्य कर्मियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में जबरदस्त योगदान देंगी।

प्रोफेसर मज़हर आसिफ का जीवन और करियर 

महात्मा गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन की पुण्यभूमि और प्रसिद्ध पत्रकार-साहित्यकार जॉर्ज ऑरवेल की जन्मस्थली बिहार के पूर्वी चंपारण के पताही प्रखंड के छोटे से गांव लहसनिया के साधारण परिवार में जन्मे डॉ. मजहर आसिफ की कहानी आम छात्रों के लिए जबरदस्त प्रेरणा का स्रोत है। अत्यंत साधारण परिवार में पले-बढ़े प्रो. मजहर ने अपने संघर्ष, मेहनत और लगन से शानदार मुकाम हासिल किया है। 

देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के बाद प्रोफेसर मजहर ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय में सेवाएं दी। प्रो. आसिफ ने गुवाहटी विश्वविद्यालय में 1996 में पर्शियन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। 2005 में वह एसोसिएट प्रोफेसर बनाए गए थे। 2013 में उन्हें गुवाहटी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर पदोन्नत हुए। 2017 में वह जेएनयू आ गए और तब से पर्शियन अध्ययन भाषा केंद्र में उर्दू के प्रोफेसर के पद पर कार्य करते रहे हैं। इससे पहले उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में महत्वपूर्ण शिक्षा नीति 2020 की प्रारूप समिति में भी शामिल किया गया था. राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आकार देने में उनका योगदान काफी अहम रहा है।

प्रोफेसर आसिफ ने जेएनयू और मौलाना अबुल कलाम आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषदों के सदस्य के रूप में कार्य किया है। उन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान और राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद जैसी राष्ट्रीय शिक्षा पहलों में भी नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं। प्रो. आसिफ की फारसी, अंग्रेजी और असमिया में नौ पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें एक व्यापक फ़ारसी-असमिया-अंग्रेजी शब्दकोश भी शामिल है। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में 20 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं, जो अकादमिक क्षेत्र में उनकी सक्रिय भागीदारी को दर्शाते हैं।

भारत की राष्ट्रपति ने जामिया मिलिया इस्लामिया के विजिटर के रूप में, 24 अक्टूबर, 2024 को प्रोफेसर मजहर आसिफ को जामिया का कुलपति नियुक्त किया था। उन्हें उनके कार्यालय में प्रवेश करने की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, के लिए नियुक्त किया गया है। 

प्रो.मज़हर आसिफ ने जामिया के 16वें कुलपति का कार्यभार संभालने के बाद सबसे पहले ब्रिगेडियर उस्मान और डॉ. जाकिर हुसैन की मजार पर जाकर श्रद्धांजलि दी। जामिया के इतिहास में यह पहला अवसर था जब किसी नवनियुक्त कुलपति ने सबसे पहले इन विभूतियों को सम्मान अर्पित किया। वह जामिया के पहले कुलपति हैं जिन्होंने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ब्रिगेडियर उस्मान की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। ब्रिगेडियर उस्मान, जिन्हें “नौशेरा का शेर” भी कहा जाता है, भारतीय सेना के आला अधिकारी थे, जो 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हो गए थे। प्रोफेसर मजहर आसिफ ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और जामिया के संस्थापक सदस्य डॉ. एम.ए. अंसारी को भी विश्वविद्यालय परिसर में स्थित उनकी समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। 

जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना के 105 साल पूरे होने के अवसर पर प्रोफेसर आसिफ को विश्वविद्यालयके नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपा जाना एक महत्वपूर्ण सम्मान है। यह विश्वविद्यालय राष्ट्रवाद में निहित पारंपरिक मूल्यों और समकालीन आकांक्षाओं के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है। और इसे आगे बढ़ाना प्रोफेसर आसिफ का महत्वपूर्ण दायित्व है। इसकी शानदार विरासत प्रेरणा का निरंतर स्रोत प्रदान करती है और वर्तमान और भविष्य दोनों पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी।

विश्वविद्यालय में कार्य भार संभालने पर अपने वक्तव्य में प्रोफेसर आसिफ ने कहा कि, "मेरा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा व्यक्तियों की छिपी हुई प्रतिभा को उजागर करके और उन्हें चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करके सशक्त बनाती है। यह एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में कार्य करता है जो बाधाओं को पार करता है, जिससे हमें खुद को मुक्त करने और अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की अनुमति मिलती है। मैं शिक्षा पर मार्टिन लूथर किंग जूनियर के दृष्टिकोण से सहमत हूं, जो इस बात पर जोर देता है कि "शिक्षा का कार्य व्यक्ति को गहनता से सोचना और गंभीर रूप से सोचना सिखाना है। बुद्धिमत्ता प्लस चरित्र - यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है"।

प्रोफेसर आसिफ ने केवल देश के जाने-माने शिक्षाविद के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं बल्कि वे तमाम छात्रों और युवाओं के लिए भी रोल मॉडल हैं। उनका जीवन संघर्षों के बीच कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से शानदार मुकाम हासिल करने का संदेश देता है। डॉ. मजहर की कामयाबी के इस सफर से यह साबित होता है कि अगर इरादे मजबूत हों, मेहनत और लगन सच्ची हो, तो कोई भी मंजिल हासिल करना मुश्किल नहीं है।


संदर्भ 

https://hindi.news18.com/news/bihar/east-champaran-dr-mazhar-asif-from-east-champaran-appointed-as-vice-chancellor-of-jamia-millia-islamia-local18-8802097.html 


https://www.shahtimesnews.com/national/prof-mazhar-asif-joins-jmi-as-its-16th-vice-chancellor-142464 


https://www.shahtimesnews.com/national/prof-mazhar-asif-joins-jmi-as-its-16th-vice-chancellor-142464 


https://www.shahtimesnews.com/national/prof-mazhar-asif-joins-jmi-as-its-16th-vi

ce-chancellor-142464 













8 मई


8 मई 
विश्व रेड क्रॉस दिवस
8 मई को विश्व रेड क्रॉस दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे रेड क्रिसेंट दिवस के रूप में भी जाना जाता है। पहला विश्व रेड क्रॉस दिवस 8 मई, 1948 को मनाया गया था। यह एक विशेष तिथि पर मनाया जाता है क्योंकि यह संस्थापक हेनरी डुनेंट की जयंती है। वास्तव में, हम सभी ने उनके नाम के बारे में सुना है, क्योंकि वे नोबेल शांति पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे और अपने मानवीय झुकाव के लिए प्रसिद्ध हैं। IFRC की स्थापना करते समय, हेनरी डुनेंट ने कुछ सिद्धांत सामने रखे, जिनके बारे में उनका मानना था कि अगर उन्हें आत्मसात किया जाए, तो दुनिया एक बेहतर जगह बन जाएगी। ये थे: सार्वभौमिकता, एकता, स्वैच्छिक सेवा,  स्वतंत्रता, तटस्थता, निष्पक्षता और  मानवता। रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति की स्थापना वर्ष 1863 में जिनेवा, स्विटजरलैंड में एक निजी संगठन के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य युद्ध और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को त्वरित और कुशल मानवीय प्रतिक्रिया प्रदान करना था। रेड क्रॉस समिति में 17 और 25 सदस्य होते हैं, जिन्हें मानवाधिकार कानून के तहत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीवन रक्षक घटनाओं को निर्देशित करने और पीड़ितों की गरिमा की रक्षा करने का अधिकार है। अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट एक अंतर्राष्ट्रीय मानवीय आंदोलन है, जिसमें दुनिया भर में लगभग 17 मिलियन स्वयंसेवक, सदस्य और कर्मचारी शामिल हैं, जिसकी स्थापना मानव जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करने, सभी मनुष्यों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने और मानव पीड़ा को रोकने और कम करने के लिए की गई थी।

यूरोप में विजय दिवस
 8 मई, 1945 को ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य मित्र देश यूरोप में विजय दिवस मनाते हैं। पूर्व सोवियत संघ, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन और पश्चिमी यूरोप के शहरों में झंडे और बैनर लगाए जाते हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी युद्ध मशीन की हार का जश्न मनाते हैं । आठ मई को वह दिन था जब पूरे यूरोप में जर्मन सैनिकों ने आखिरकार अपने हथियार डाल दिए: प्राग में, जर्मनों ने अपने सोवियत विरोधियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, बाद में उनके 8,000 से ज़्यादा सैनिक मारे गए, और जर्मनों ने इससे भी ज़्यादा; कोपेनहेगन और ओस्लो में; बर्लिन के पास कार्लशोर्स्ट में; उत्तरी लातविया में; चैनल द्वीप सार्क पर - जर्मन आत्मसमर्पण अंतिम युद्ध विराम में साकार हुआ। बर्लिन और पूर्वी जर्मनी में और भी आत्मसमर्पण दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए गए। जर्मन-सोवियत टकराव के कुछ हिस्से अगले दिन भी जारी रहे। 9 मई को, सोवियत संघ ने सिलेसिया में 600 और सैनिक खो दिए, इससे पहले कि जर्मनों ने आखिरकार आत्मसमर्पण कर दिया। नतीजतन, वीई दिवस मॉस्को में नौ तारीख तक नहीं मनाया गया।

फ़्रांसीसी राष्ट्रीय दिवस
8 मई को फ्रांस में दोहरा स्मरणोत्सव मनाया जाता है, क्योंकि यह उन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का प्रतीक है, जिन्होंने देश की सामूहिक स्मृति को आकार दिया है। सबसे पहले, इसे विक्टॉएर 1945 या वीई दिवस के रूप में जाना जाता है, जो 14 जुलाई को बैस्टिल दिवस और 11 नवंबर को युद्धविराम दिवस के साथ तीन फ्रांसीसी राष्ट्रीय दिवसों या 'फ़ेट्स नेशनलेस' में से एक है । यह दिन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और नाज़ी जर्मनी पर फ्रांसीसी और उनके सहयोगियों की जीत का स्मरण करता है। फ्रांस में 8 मई को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाए जाने का घटनाक्रम द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऐतिहासिक स्मृति और सुलह प्रयासों की जटिलताओं को दर्शाता है: 20 मार्च, 1953 के दिन 8 मई को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया। फिर 
11 अप्रैल, 1959 को जनरल डी गॉल ने जर्मनी के साथ सुलह प्रयासों के तहत इस अवकाश को समाप्त कर दिया। हालाँकि, कई दिग्गज द्वितीय विश्व युद्ध के अंत का जश्न सेंट जीन डी'आर्क दिवस पर मनाते हैं। इसके बाद 
1965 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 20वीं वर्षगांठ के कारण 8 मई को विशेष रूप से मनाया गया।
8 मई, 1968 को समारोह पुनः शुरू हुआ, लेकिन यह कार्यालय समय के बाद हुआ। इसके बाद 
1975 में राष्ट्रपति गिस्कार्ड डी'एस्टेंग ने 1945 की मित्र देशों की जीत के स्मरणोत्सव को समाप्त कर दिया, जिसका उद्देश्य मेल-मिलाप को बढ़ावा देना और जर्मनी के खिलाफ़ पूर्वाग्रह को रोकना था। इस निर्णय का कई दिग्गजों ने विरोध किया, जो 8 मई को स्मरणोत्सव मनाना जारी रखते हैं। वहीं 2 अक्टूबर, 1981 को राष्ट्रपति मित्तेरंड ने 1945 की विजय की स्मृति को पुनः बहाल किया और 8 मई को अवकाश के रूप में पुनः स्थापित किया। फिर 1982 में 8 मई को फ्रांस में आधिकारिक राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया, जो द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति का प्रतीक है और स्वतंत्रता और शांति के लिए लड़ने वालों के बलिदान का सम्मान करता है।

विश्व थैलेसीमिया दिवस 
विश्व थैलेसीमिया दिवस हर साल 8 मई को मनाया जाता है। यह दिन थैलेसीमिया के रोगियों को समर्पित है, जो इस बीमारी से ग्रस्त हैं। यह एक गंभीर समस्या है, जिससे पूरे विश्व में कई लोग पीड़ित हैं। थैलेसीमिया दिवस की शुरूआत वर्ष 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन (टी.आई.एफ.) द्वारा की गई थी। इसी साल थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन ने 8 मई के दिन थैलेसीमिया के पीड़ित के नाम पर डेडिकेट किया था और इस बीमारी से पीड़ित लोगों के संघर्ष को इस दिन के माध्यम से सुझाने का प्रयास किया था। थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन के अध्यक्ष और संस्थापक जॉर्ज एंगेल्सॉस ने इस बीमारी से पीड़ित पूरे समुद्र तट और उनके माता-पिता के सम्मान में दिन को सलाम की शुरुआत की थी। थैलेसीमिया एक आनुवांशिक (Genetic) ब्लड डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता। हीमोग्लोबिन वह प्रोटीन है जो ऑक्सीजन को पूरे शरीर में पहुंचाता है। जब हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है, तो शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है। बता दें, थैलेसीमिया से ग्रसित व्यक्ति को जिंदगीभर बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है।

आइरिस दिवस 
बेल्जियम देश में, आइरिस दिवस का एक समृद्ध इतिहास है जिसमें फासीवाद पर लोकतंत्र का जश्न शामिल है। चूँकि इस समय बेल्जियम में आइरिस खिलता है, इसलिए यह स्वाभाविक था कि यह फूल लोकतंत्र द्वारा लाई गई सुंदरता और स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। और न केवल बेल्जियम में बल्कि पूरी दुनिया में लोग इस शानदार फूल के साथ-साथ इसके पीछे के अर्थ के लिए इस आइरिस दिवस का आनंद ले सकते हैं!वास्तव में, बेल्जियम में आइरिस दिवस आइरिस महोत्सव का हिस्सा है जो 8 मई को मनाया जाता है। यह तिथि कई कारणों से महत्वपूर्ण है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि यह द्वितीय विश्व युद्ध में नाज़ियों पर जीत का प्रतीकात्मक दिन है। इसके अलावा, आइरिस दिवस उसी दिन मनाया जाता है जिस दिन सेंट माइकल द आर्केंजल का पर्व मनाया जाता है, जिन्हें बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स शहर का संरक्षक संत माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, बेल्जियम में आइरिस दिवस कुछ दशकों तक सार्वजनिक अवकाश रहा, लेकिन 1974 में इसे सूची से हटा दिया गया। हालाँकि, ऐसा लगता है कि कई लोग और सरकारी प्रतिनिधि आइरिस दिवस को न केवल स्थानीय या क्षेत्रीय त्यौहार के रूप में, बल्कि एक सशुल्क सार्वजनिक अवकाश के रूप में भी वापस लाना चाहते हैं। आइरिस' नाम ग्रीक शब्द 'इंद्रधनुष' से आया है और ज़्यादातर पौराणिक कथाओं के जानकार कहेंगे कि आइरिस देवताओं की दूत थी। वह समुद्र और आकाश के बीच की कड़ी थी, या अगर आप चाहें तो इंद्रधनुषी ग्लाइडर।

अंतरराष्ट्रीय वाइकिंग दिवस 
अंतर्राष्ट्रीय वाइकिंग दिवस 8 मई को मनाया जाता है । इसे 2013 में यूरोप में भागीदारों के साथ संगठन डेस्टिनेशन वाइकिंग द्वारा वाइकिंग विरासत के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए लॉन्च किया गया था। वाइकिंग्स, जिन्हें नॉर्समैन भी कहा जाता है, डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन से आने वाले समुद्री योद्धा थे, जिन्होंने 9 वीं से 11 वीं शताब्दी के बीच यूरोप के कई क्षेत्रों पर आक्रमण किया और उपनिवेश स्थापित किए। यह दिन लोगों से वास्तविक वाइकिंग्स के रूप में दिन मनाने, वाइकिंग अनुभवों और आकर्षणों में भाग लेने का आह्वान करता है।

Wednesday, May 7, 2025

7 मई


7 मई
विश्व एथलेटिक्स दिवस 
हर साल 'वर्ल्ड एथलेटिक्स डे' 7 मई को मनाया जाता है. इस खास दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य बच्चों और युवाओं के बीच फिटनेस को लेकर जागरूकता फैलाना है। इस दिन की शुरुआत की सबसे पहली बार 1996 में की गई थी. इसकी शुरुआत ‘इंटरनेशनल एमेच्योर एथलेटिक फेडरेशन’ (आईएएएफ) के द्वारा की गई थी. इसके बाद इसे वर्ल्ड एथलेटिक्स के रूप में मनाया जाता है. पहले हर साल मई के महीने में इसे मनाया जाने लगा लेकिन साल 2021 से 'विश्व एथलेटिक्स दिवस' को 7 मई से हर साल मनाया जाने लगा. 1996 में इंटरनेशनल एमेच्योर एथलेटिक एथलेटिक्स (इंटरनेशनल एमेच्योर एथलेटिक फेडरेशन) द्वारा इस दिन की शुरुआत की गई थी। बता दें कि 1996 में IAAF के अध्यक्ष प्राइमो नेबियोलो ने इस दिन की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य एथलेटिक्स को खेल के रूप में बढ़ावा देना और बच्चों एवं युवाओं को इसमें भाग लेना था। वहीं बता दें कि पहला विश्व एथलेटिक्स दिवस, 7 जुलाई 1996 को मनाया गया था। लेकिन 2009 में IAAF ने इसे 7 मई को अलविदा कहने की घोषणा की. तब से लेकर हर साल यह 7 मई को मनाया जाता है।

Tuesday, May 6, 2025

6 मई


6 मई
नर्स दिवस (अमेरिका)
राष्ट्रीय नर्स सप्ताह प्रत्येक वर्ष 6 मई को शुरू होता है और 12 मई को समाप्त होता है, जो फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्मदिन है। ये स्थायी तिथियाँ नियोजन को बढ़ाती हैं और राष्ट्रीय नर्स सप्ताह को एक स्थापित मान्यता कार्यक्रम के रूप में स्थापित करती हैं। 1998 से, 8 मई को राष्ट्रीय छात्र नर्स दिवस के रूप में नामित किया गया था , जिसे हर साल मनाया जाता है। और 2003 से, राष्ट्रीय स्कूल नर्स दिवस प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय नर्स सप्ताह (6-12 मई) के भीतर बुधवार को मनाया जाता है।
नर्सिंग पेशे को अमेरिकन नर्स एसोसिएशन (एएनए) द्वारा 1896 से समर्थन और बढ़ावा दिया जा रहा है। एएनए के प्रत्येक राज्य और प्रादेशिक नर्स एसोसिएशन राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर नर्सिंग पेशे को बढ़ावा देते हैं। प्रत्येक एसोसिएशन इन तिथियों पर समारोह आयोजित करता है ताकि समुदाय में नर्सों और नर्सिंग द्वारा दिए गए योगदान को मान्यता दी जा सके। 1953 अमेरिकी स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग की डोरोथी सदरलैंड ने राष्ट्रपति आइजनहावर को अगले वर्ष अक्टूबर में "नर्स दिवस" घोषित करने का प्रस्ताव भेजा। यह घोषणा कभी नहीं की गई। 1954 में 11 से 16 अक्टूबर तक राष्ट्रीय नर्स सप्ताह मनाया गया। इस वर्ष फ्लोरेंस नाइटिंगेल के क्रीमिया मिशन की 100वीं वर्षगांठ मनाई गई। प्रतिनिधि फ्रांसेस पी. बोल्टन ने नर्स सप्ताह के लिए बिल प्रायोजित किया। जाहिर है, 1955 के कांग्रेस में राष्ट्रीय नर्स सप्ताह के लिए एक बिल पेश किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कांग्रेस ने विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय सप्ताहों के लिए संयुक्त प्रस्तावों की अपनी प्रथा को बंद कर दिया। 1972 में पुनः प्रतिनिधि सभा द्वारा राष्ट्रपति को "राष्ट्रीय पंजीकृत नर्स दिवस" घोषित करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 1974 जनवरी में, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज (ICN) ने घोषणा की कि 12 मई को "अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस" मनाया जाएगा। (12 मई फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्मदिन है।) 1965 से, ICN "अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस" मनाता आ रहा है। 1974 उसी वर्ष फरवरी में, व्हाइट हाउस द्वारा एक सप्ताह को राष्ट्रीय नर्स सप्ताह के रूप में नामित किया गया, और राष्ट्रपति निक्सन ने एक घोषणा जारी की। 1978 में न्यू जर्सी के गवर्नर ब्रेंडन बर्न ने 6 मई को "नर्स दिवस" घोषित किया। रेड बैंक, न्यू जर्सी के एडवर्ड स्कैनलान ने अपने राज्य में नर्सों की मान्यता को कायम रखने के लिए यह कदम उठाया। श्री स्कैनलान ने चेस के वार्षिक कार्यक्रमों के कैलेंडर में इस तिथि को सूचीबद्ध किया था। उन्होंने अपने स्तर पर इस उत्सव को बढ़ावा दिया।
1981 ए.एन.ए. ने विभिन्न नर्सिंग संगठनों के साथ मिलकर न्यू मैक्सिको में नर्सों द्वारा अपने कांग्रेसी मैनुअल लुजान के माध्यम से प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसके तहत 6 मई 1982 को "नर्सों के लिए राष्ट्रीय मान्यता दिवस" के रूप में स्थापित किया गया। 1982 राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 25 मार्च को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये, जिसमें 6 मई 1982 को "नर्सों के लिए राष्ट्रीय मान्यता दिवस" घोषित किया गया। 1997 एएनए निदेशक मंडल ने राष्ट्रीय छात्र नर्स एसोसिएशन के अनुरोध पर 8 मई को राष्ट्रीय छात्र नर्स दिवस के रूप में घोषित किया।

आहार निषेध दिवस 
6 मई को अंतर्राष्ट्रीय नो डाइट डे (अंतर्राष्ट्रीय नो डाइट दिवस) मनाया जाता है। इसे हिंदी में आहार निषेध दिवस के नाम से जाना जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को शरीर की सकारात्मक छवि अपनाने, अपने शरीर को स्वीकार करने और अनावश्यक डाइटिंग से बचने का संदेश देना है। आज की दुनिया में दुबला-पतला शरीर आदर्श मान लिया गया है, जिससे लोग डाइटिंग और वजन घटाने के चक्कर में अपनी सेहत से समझौता कर बैठते हैं। अंतरराष्ट्रीय नो डाइट डे की शुरुआत साल 1992 में ब्रिटेन की महिला मैरी इवांस द्वारा की गयी थी। मैरी का इस विशेष दिन को मनाने का उद्देश्य था कि लोग अपने बॉडी शेप को अपनाएँ, वे जैसे दिखते हैं, वैसे ही खुद को स्वीकार करें। इसके साथ ही डाइटिंग से होने वाले नुकसान को भी समझें। मैरी इवांस खुद एक एनोरेक्सिया जैसी बीमारी से ग्रसित थीं। बता दें कि इस बीमारी में शरीर का वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह एनोरेक्सिया से पीड़ित लोग अपने वजन को कम करने के लिए विभिन्न तरीकें अपनाते हैं। ऐसे में मैरी इवांस ने डाइट ब्रेकर नामक एक संगठन के स्थापना की जिसके जरिये उन्होंने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय नो डाइट डे का आयोजन किया। इस समारोह के माध्यम से वो लोगों को यह समझाना चाहती थीं कि आप जैसे हैं, वैसे ही खुद को स्वीकार करें, अपने बॉडी शेप के कारण शर्मिंदा महसूस न करें, बल्कि खुल कर जीएं। यह दिन खाने के आनंद को मनाने और शरीर के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने का मौका है। हमें याद रखना चाहिए कि स्वस्थ शरीर डाइट नहीं, संतुलित जीवनशैली से बनता है।

विश्व अस्थमा दिवस 
विश्व अस्थमा दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है जिसे हर साल मई के पहले मंगलवार को दुनिया भर में अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। अस्थमा सांस की बीमारी है जिसमें व्यक्ति की श्वास नली (ब्रोन्कियल ट्यूब) में सूजन और सिकुड़न आ जाती है । यह पुराना श्वसन रोग है। इससे सांस लेने में कठिनाई, बलगम, वायुमार्ग संकुचन हो जाता है।विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन GINA द्वारा किया जाता है, जो 1993 में स्थापित विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक सहयोगी संगठन है। 1998 में, 35 से अधिक देशों ने विश्व अस्थमा दिवस मनाया, जो बार्सिलोना, स्पेन में पहली विश्व अस्थमा बैठक से जुड़ा था। तब से, विश्व अस्थमा दिवस में भागीदारी बढ़ी है, और यह दिन दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण अस्थमा जागरूकता और शिक्षा गतिविधियों में से एक बन गया है। अस्थमा दुनिया भर में बच्चों और वयस्कों में सबसे आम पुरानी बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य शासी प्राधिकरणों ने अस्थमा को निम्न और मध्यम आय वाले देशों में गरीबी का एक कारक और प्रभाव दोनों माना है। WHO के अनुसार, 2019 में दुनिया भर में 26.2 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, और मृत्यु दर (मृत्यु) 4.55 लाख है।

Monday, May 5, 2025

5 मई


5 मई

विश्व हाथ स्वच्छता दिवस 
हर साल 5 मई को विश्व हाथ स्वच्छता दिवस (World Hand Hygiene Day) मनाया जाता है। इस दिवस को वर्ल्ड हैंड हाइजीन डे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है लोगों को हाथों की स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और संक्रामक रोगों को रोकने में मदद करना। हाथों की स्वच्छता स्वस्थ रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और आसान चीजों में से एक है। जब हम अपने हाथों को ठीक से धोते हैं, तो हम हानिकारक जीवाणुओं और वायरस को हटा देते हैं जो बीमारियों का कारण बन सकते हैं। विश्व हाथ स्वच्छता दिवस की शुरुआत 2009 में हुई थी, उस दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहली वैश्विक रोगी सुरक्षा चुनौती शुरू की थी। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों और रोगियों की सुरक्षा में सुधार करना था। इस पहल के तहत डब्ल्यूएचओ ने स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को प्रोत्साहित किया कि वे हाथ स्वच्छता कार्यक्रम विकसित कर सके। आज, यह दिवस वैश्विक स्तर में प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है। यह दिन लोगों को हाथों की स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और संक्रामक रोगों को रोकने में मदद करने के लिए समर्पित है।

अंतर्राष्ट्रीय मिडवाइफ दिवस
अंतर्राष्ट्रीय मिडवाइफ दिवस प्रतिवर्ष 5 मई को मनाया जाता है, और इसकी स्थापना 1992 में अंतर्राष्ट्रीय मिडवाइफ परिसंघ (आईसीएम) द्वारा मिडवाइफरी पेशे के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जश्न मनाने के लिए की गई थी। इस अवसर को दुनिया भर के 50 से अधिक देशों द्वारा मनाया जाता है, साथ ही डब्ल्यूएचओ और यूएनएफपीए जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी । हर साल आईसीएम द्वारा एक थीम चुनी जाती है। उदाहरण के लिए, 2023 की थीम "फिर से एक साथ: साक्ष्य से वास्तविकता तक" थी ।  ऑनलाइन वकालत को प्रोत्साहित करने के लिए आईसीएम द्वारा सोशल मीडिया ग्राफिक्स पैकेज वितरित किए जाते हैं। नर्स और दाइयां स्वास्थ्य सेवा मुहैया करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये वो लोग हैं जो अपनी जिंदगी एक मां और बच्चे की देखभाल करने में बिता देते हैं. ये लोगों को स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां देती हैं और बुजुर्ग लोगों की भी देखभाल करती हैं और उनकी जरूरतों का भी ध्यान रखती हैं. दाइयां अक्सर, अपने समुदायों में देखभाल का पहला और एकमात्र जरिया होती हैं. घर पर शिशु को जन्म देना भले ही ज्यादा कॉमन नहीं है लेकिन फिर भी बहुत सी जगहों पर ऐसा होता है और इसमें दाई एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. वह इस बात का ध्यान रखती हैं शिशु का जन्म सही तरह से हो जाए. इन महिलाओं और उनके काम के सम्मान में यह अंरतराष्ट्रीय मिडवाइव्स दिवस मनाया जाता है. 

कार्टूनिस्ट दिवस
5 मई को राष्ट्रीय कार्टूनिस्ट दिवस मनाया जाता है , जो कार्टूनिस्टों और उनके काम का विश्वव्यापी उत्सव है । राष्ट्रीय कार्टूनिस्ट सोसाइटी ने 1990 के दशक में कार्टूनिंग उद्योग के लिए समर्थन को बढ़ावा देने और समाज पर उनके प्रभाव को पहचानने के लिए इस तिथि की घोषणा की थी। इस दिवस की स्थापना 'राष्ट्रीय कार्टूनिस्ट दिवस समिति के सह-अध्यक्ष पॉली कीनर और केन एल्विन द्वारा की गई थी। हर साल 5 मई को अमेरिका सहित कई देशों में मनाया जाने वाला कार्टूनिस्ट दिवस उन सभी रचनात्मक स्याही से सने कलाकारों, अतीत और वर्तमान, और उनके द्वारा बनाए गए आकर्षक टुकड़ों का सम्मान करता है। वर्षों से, उनकी प्रतिभाएँ हमारे जीवन में हास्य, मनोरंजन लाती हैं और साथ ही विचार और बहस को भी उत्तेजित करती हैं।
अमेरिकी कॉमिक स्ट्रिप लेखक और कलाकार रिचर्ड आउटकॉल्ट (14 जनवरी, 1863 - 25 सितंबर, 1928) को आधुनिक कॉमिक स्ट्रिप का आविष्कारक माना जाता है। 15 साल की उम्र में, उन्होंने सिनसिनाटी में मैकमिकन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ डिज़ाइन में तीन साल तक अध्ययन किया। आउटकॉल्ट ने द येलो किड और बस्टर ब्राउन नामक कॉमिक स्ट्रिप्स बनाईं । 5 मई, 1895 को न्यूयॉर्क वर्ल्ड के पाठकों ने अपने सुबह के अख़बार में एक रोमांचक नई चीज़ देखी। पन्नों पर, उन्हें आउटकॉल्ट के पूर्ण-रंगीन चित्र मिले, जिसमें एक बड़े कान वाला, नंगे पाँव छोटा लड़का शरारती मुस्कान के साथ दिखाया गया था। कार्टून की पहली रंगीन किस्त होगन्स एले कहलाती है, जिसे बाद में द येलो किड  के नाम से जाना गया और वह व्यावसायिक रूप से सफल पहला कार्टून आइकन था।

Sunday, May 4, 2025

4 मई


4 मई
अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस 
हर साल 4 मई को वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस (International Firefighters’ Day) मनाया जाता है। यह दिवस अग्निशामकों के साहस और बलिदान को याद करने, उनके योगदान को मान्यता देने, अग्नि सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनसे बचने के उपायों के बारे में शिक्षित करने में मदद करता है। इसके साथ ही यह दिवस सरकारों और संगठनों को अग्निशमन सेवाओं को बेहतर बनाने और अग्निशामकों को बेहतर प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है। अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस 1992 में अंतर्राष्ट्रीय अग्निशामक संगठन (CTIF) द्वारा स्थापित किया गया था। वहीं पहली बार यह दिवस 4 मई 1999 को मनाया गया था। यह दिवस 4 मई को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यह दिन सेंट फ्लोरियन डे के साथ भी मेल खाता है। बता दें कि सेंट फ्लोरियन रोमन साम्राज्य में अग्निशामकों के एक दल के कमांडर थे।उन्हें अग्निशामकों का संरक्षक संत माना जाता है क्योंकि उन्होंने वीरतापूर्वक कई लोगों की जान बचाई थी। इसी कड़ी में मई को अंतर्राष्ट्रीय अग्निशामक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय सेंट फ्लोरियन के सम्मान में लिया गया था।

राष्ट्रीय कोयला खनिक दिवस
कोयला खनिकों द्वारा देश के विकास में दिए गए योगदान को मान्यता देने के लिए भारत में हर साल 4 मई को राष्ट्रीय कोयला खनिक दिवस मनाया जाता है। बता दें कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय कोयला खनिक दिवस घोषित किए जाने के बाद पहली बार 2017 में चिह्नित किया गया था। खान अधिनियम, 1952 और इसके संबंधित नियम श्रमिकों के बचाव के लिए चिकित्सा सुविधाओं, सुरक्षा और स्वास्थ्य उपायों और बचाव केंद्रों और प्रशिक्षित कर्मियों के प्रावधान को अनिवार्य बनाते हैं। कोयला खान (संरक्षण और विकास) अधिनियम, 1974, श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हुए कोयला संसाधनों के संरक्षण और कोयला खदानों के विकास को अनिवार्य बनाता है। हालाँकि, इन कानूनों का कार्यान्वयन कई मामलों में अपर्याप्त रहा है, जिससे कोयला खनिकों में व्यावसायिक बीमारियों का प्रचलन बढ़ गया है। भारत में कोयला खनन की शुरुआत 1774 में हुई जब ईस्ट इंडिया कंपनी के जॉन समर और सुएटोनियस ग्रांट हीटली ने दामोदर नदी के पश्चिम किनारे के साथ रानीगंज कोल फील्ड में वाणिज्यिक की खोज की। इसी दौरान देश में 1760 और 1840 के बीच औद्योगिक क्रांति भी चली थी। जिसमें कोयले का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर ईंधन और लोकोमोटिव इंजन और गर्मी इमारतों में किया गया। इसके बाद 1853 में रेलवे लोकोमोटिव की शुरुआत के बाद कोयले की मांग बढ़ती गई। लेकिन ये समय इतना अच्छा भी नहीं रहा क्योंकि इस दौरान कोयला खदानों में मजदूरों के शोषण और नरसंहार की भी कई घटनाएं सामने आई थीं। 

स्मरण दिवस
नीदरलैंड में विभिन्न घटनाओं के उपलक्ष्य में पूरे वर्ष स्मरण समारोह आयोजित किए जाते हैं। स्मरण दिवस पर इन सभी घटनाओं को एक साथ याद किया जाता है।
4 मई को युद्ध के सभी डच पीड़ितों - नागरिकों और सैन्य कर्मियों - को याद करते हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद से नीदरलैंड के राज्य में या उससे आगे सशस्त्र संघर्ष या शांति मिशनों में मारे गए हैं। राष्ट्रीय समिति जीवित बचे लोगों, निकटतम रिश्तेदारों और अन्य मेहमानों के लिए एक स्मारक सेवा और एम्स्टर्डम के डैम स्क्वायर में स्मरण दिवस समारोह का आयोजन करती है, जिसमें आम जनता शामिल हो सकती है। नीदरलैंड में सभी को 20.00 बजे दो मिनट का मौन रखने के लिए कहा जाता है, और झंडे लगाने के निर्देश लागू होते हैं।
अधिकांश डच नगरपालिकाएं 4 मई को स्मरणोत्सव समारोह आयोजित करती हैं। राजा विलेम-अलेक्जेंडर और रानी मैक्सिमा डैम स्क्वायर पर स्मरण दिवस समारोह में भाग लेते हैं। नीदरलैंड की मुक्ति के कुछ समय बाद ही गेरबैंडी सरकार ने 31 अगस्त को रानी विल्हेल्मिना के जन्मदिन पर पहला मुक्ति दिवस समारोह आयोजित करने का फैसला किया। 30 अगस्त की शाम को लोगों ने उन जगहों पर मौन जुलूस निकाला जहाँ उनके प्रियजनों की मृत्यु हुई थी। पूरे देश में लोगों ने अपने-अपने स्मरणोत्सव आयोजित किए। 1949 से 1955 तक हर साल रानी जुलियाना और प्रिंस बर्नहार्ड अपने घर के पास स्टेशन्सप्लेन, बर्न में शहीदों के लिए आयोजित समारोह में शामिल हुए। 1956 में रानी जुलियाना ने डैम स्क्वायर पर राष्ट्रीय स्मारक का अनावरण किया। 1957 से रानी जुलियाना और प्रिंस बर्नहार्ड डैम स्क्वायर पर राष्ट्रीय स्मारक पर शाम 16 बजे आयोजित स्मरण दिवस समारोह में शामिल हुए। 1968 में सरकार ने हर साल 4 मई को स्मरण दिवस मनाने का फैसला किया। 1988 से स्मरण दिवस समारोह रात 20 बजे आयोजित किया जाता है।

पक्षी दिवस
अमेरिका में पक्षी दिवस हर साल 4 मई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पक्षियों के संरक्षण, उनके आवास की सुरक्षा और उनके महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। चार्ल्स अल्मनजो बैबकॉक, ऑयल सिटी, पेनसिल्वेनिया के स्कूलों के अधीक्षक, ने 1894 में पहला पक्षी दिवस स्थापित किया। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में पक्षियों के उत्सव को समर्पित पहला अवकाश भी था। बैबकॉक ने पक्षियों के संरक्षण को नैतिक मूल्य के रूप में बढ़ावा देने के लिए 4 मई को प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले इस दिवस की स्थापना की। पक्षी प्रकृति का अभिन्न अंग हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। वे न केवल कीटों का नियंत्रण करते हैं, बल्कि परागण, बीज फैलाव और पर्यावरणीय संकेतक के रूप में भी कार्य करते हैं। 4 मई , 1894 को , पेंसिल्वेनिया के ऑयल सिटी में स्कूलों के अधीक्षक चार्ल्स अल्मनजो बैबकॉक की पहल पर पहली बार बर्ड डे मनाया गया। 1910 तक, बर्ड डे व्यापक रूप से मनाया जाने लगा, अक्सर आर्बर डे के साथ । दो छुट्टियों के राज्यव्यापी पालन ने जनता के व्यापक वर्ग, विशेष रूप से स्कूली बच्चों में संरक्षण प्रशिक्षण और जागरूकता पैदा की। 1901 में, बैबकॉक ने बर्ड डे: हाउ टू प्रिपेयर फॉर इट प्रकाशित किया । इस पुस्तक में बर्ड डे का इतिहास, समकालीन स्कूली प्रथाओं के आधार पर इसके पालन के लिए सुझाव और पक्षी संरक्षण के महत्व पर जोर देने वाली जानकारीपूर्ण सामग्री शामिल थी। इसने स्कूली पाठ्यक्रम में पक्षी संरक्षण शिक्षा को कैसे एकीकृत किया जाए, इस पर मार्गदर्शन भी दिया।

विश्व हास्य दिवस 
प्रतिवर्ष मई महीने के पहले रविवार को विश्व हास्य दिवस मनाया जाता है। इस साल 2025 में यह दिन 4 मई को मनाया जा रहा है। हम सभी को सेहतमंद बने रहने के लिए दिल खोलकर हंसना तथा दूसरों को भी हंसाना चाहिए। हंसने मात्र से हमारा तनाव दूर होकर हम खुश हो जाते हैं तथा यही हंसी हमारे जीवन को खुशनुमा बनाने तथा अच्छी सेहत के लिए कारगर विकल्प भी है। इसका विश्व दिवस के रूप में प्रथम आयोजन ११ मई, १९९८ को मुंबई में किया गया था। विश्व हास्य योग आंदोलन की स्थापना का श्रेय डॉ मदन कटारिया को जाता है। साल 1998 में विश्व हास्य दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। भारतीय डॉक्टर मदन कटारिया ने इसकी शुरुआत की थी। वह वर्ल्डवाइड लाफ्टर योगा मूवमेंट के संस्थापक थे। वह हंसी को लाफ्टर थेरेपी मानते थे। उन्होंने दुनियाभर में लोगों को हंसी के महत्व के बारे में जागरूक करने और  हंसी योग क्लबों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए इसकी शुरुआत की थी। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में सबसे पहले 10 मई 1998 को विश्व हास्य दिवस मनाया गया था। वर्तमान समय में यह दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में मनाया जाता है। हास्य योग के अनुसार, हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपर्ण बनाने के सभी तत्व उपस्थित रहते हैं। विश्व हास्य दिवस का आरंभ संसार में शांति की स्थापना और मानवमात्र में भाईचारे और सदभाव के उद्देश्य से हुई। विश्व हास्य दिवस की लोकप्रियता हास्य योग आंदोलन के माध्यम से पूरी दुनिया में फैल गई। आज पूरे विश्व में छह हजार से भी अधिक हास्य क्लब हैं।
यह भी कहा जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय हास्य दिवस का सपना 1997 में लेखक, पेशेवर वक्ता और हास्य सलाहकार, इज़ी गेसेल द्वारा देखा गया था । उनके अनुसार हर साल 14 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय हंसी दिवस मनाया जाता है, यह दिन लोगों को हर दिन ज़ोर से हंसने की याद दिलाता है। संस्थापक इज़ी गेसेल कहते हैं कि ज़ोर से हंसना उतना ही ज़रूरी है जितना कि साँस लेना। वे कहते हैं, "हँसी साँस लेने के ठीक बाद आती है, जो कि सबसे स्वास्थ्यप्रद चीज़ है जो आप कर सकते हैं। यह तनाव को दूर करता है, आशावाद को बढ़ाता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है, बदलाव के प्रति प्रतिरोध को कम करता है, और आपके सभी रिश्तों को बेहतर बनाता है।"

Saturday, May 3, 2025

3 मई


3 मई
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025 (World Press Freedom Day 2025) हर साल 3 मई को मनाया जाता है, ताकि पत्रकारिता की आज़ादी और निष्पक्ष मीडिया की अहमियत को समझा जा सके. यह दिन हमें याद दिलाता है कि एक स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र की रीढ़ है और पत्रकारों की सुरक्षा, सत्य और पारदर्शिता के लिए खड़े होना बेहद जरूरी है. हर साल 3 मई को प्रेस की स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों का जश्न मनाया जाता है, दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन किया जाता है, मीडिया को उनकी स्वतंत्रता पर हमलों से बचाया जाता है और अपने पेशे के दौरान अपनी जान गंवाने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि दी जाती है।  यूनेस्को के महाधिवेशन की संस्तुति के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की गई थी। तब से, 3 मई को विंडहोक घोषणा की वर्षगांठ को दुनिया भर में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1991 में यूनेस्को के महाधिवेशन के छब्बीसवें सत्र में अपनाई गई सिफारिश के बाद 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की गई थी  । यह बदले में अफ्रीकी पत्रकारों के आह्वान का जवाब था, जिन्होंने 1991 में ऐतिहासिक  विंडहोक घोषणा तैयार की थी । 3 मई सरकारों को प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने की आवश्यकता की याद दिलाता है और यह मीडिया पेशेवरों के बीच प्रेस की स्वतंत्रता और पेशेवर नैतिकता के मुद्दों के बारे में चिंतन का दिन भी है। उतना ही महत्वपूर्ण यह है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मीडिया के लिए समर्थन का दिन है जो प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध या उन्मूलन के निशाने पर है। यह उन पत्रकारों की याद का दिन भी है जिन्होंने एक कहानी की तलाश में अपनी जान गंवा दी।यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज भी दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो। 

पोलैंड का संविधान दिवस 
संविधान दिवस (जिसे तीसरी मई राष्ट्रीय अवकाश भी कहा जाता है ; पोलिश : Święto Konstytucji 3 Maja ) एक पोलिश राष्ट्रीय और सार्वजनिक अवकाश है। यह 3 मई 1791 के संविधान की घोषणा का जश्न मनाता है - यूरोप का पहला आधुनिक संविधान। उत्सव की शुरुआत 19वीं सदी की शुरुआत में वारसॉ के डची से हुई थी, लेकिन यह 1919 में द्वितीय पोलिश गणराज्य में ही आधिकारिक अवकाश बन पाया । पोलिश पीपुल्स रिपब्लिक के दौरान इसे हटा दिया गया , आधुनिक पोलैंड में साम्यवाद के पतन के बाद इसे फिर से स्थापित किया गया । 3 मई 1791 का संविधान पोलैंड के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक माना जाता है , हालाँकि यह 1792 के रुसो-पोलिश युद्ध तक केवल एक वर्ष के लिए ही प्रभावी रहा । इतिहासकार नॉर्मन डेविस इसे "यूरोप में अपनी तरह का पहला संविधान " कहते हैं; अन्य विद्वान इसे दुनिया का दूसरा सबसे पुराना संविधान भी कहते हैं। 3 मई का संविधान पोलिश-लिथुआनियाई राष्ट्रमंडल के लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक दोषों को दूर करने के लिए बनाया गया था । संविधान ने देश के कुछ दिग्गजों द्वारा पोषित मौजूदा अराजकता को अधिक लोकतांत्रिक संवैधानिक राजतंत्र के साथ बदलने की कोशिश की । 3 मई के संविधान को अपनाने से राष्ट्रमंडल के पड़ोसियों की सक्रिय शत्रुता भड़क उठी, जिसके कारण 1792 में पोलैंड का दूसरा विभाजन , 1794 का कोसियुस्को विद्रोह और 1795 में पोलैंड का अंतिम, तीसरा विभाजन हुआ । 

Friday, May 2, 2025

2 मई


2 मई
विश्व टूना दिवस 
विश्व टूना दिवस 2 मई को पूरे विश्व भर में मनाया जाता है. साल 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल विश्व टूना दिवस मनाने का ऐलान किया था. जिसके बाद विश्व टूना दिवस का उद्घाटन समारोह मई 2017 में हुआ था। विश्व टूना दिवस अत्यधिक मछली पकड़ने के गंभीर मुद्दे और इस वैश्विक समस्या के समाधान के लिए अंतरर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर है. यह टिकाऊ मत्स्य प्रबंधन प्रथाओं के महत्व और अवांछित प्रजातियों की आकस्मिक पकड़ को कम करने की आवश्यकता की याद दिलाने के रूप में भी मनाया जाता है. यह दिन टूना उद्योग के सामने आने वाले एक महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है. विश्व टूना दिवस पहली बार 2017 में मनाया गया था. इस दिन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा टूना की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और टूना मत्स्य पालन के संरक्षण और प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. टूना उद्योग कई देशों के लिए खाद्य सुरक्षा, आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करता है. टूना ओमेगा-3, विटामिन बी12 और प्रोटीन से भरपूर है, जो इसे अत्यधिक पौष्टिक और मूल्यवान खाद्य पदार्थ बनाता है. हालांकि, हाल के वर्षों में टूना की आबादी में काफी गिरावट आई है। 

विश्व अस्थमा दिवस 
दुनियाभर में हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को  विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। साल 2023 में 'वर्ल्ड अस्थमा डे' 2 मई को मनाया गया। यह खास दिन हर साल लोगों को अस्थमा से बचाव और रोकथाम के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। अस्थमा सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियों में से एक है। यह रोग फेफड़ों पर अटैक करके सांस को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों को अस्थमा की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है उन्हें अपने आहार और जीवनशैली पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। वर्ल्ड अस्थमा डे को सबसे पहले मनाने की शुरुआत साल 1993 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा द्वारा की गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अनुमान लगाया गया कि वैश्विक स्तर पर 339 मिलियन से अधिक लोग अस्थमा से पीड़ित है जबकि साल 2016 में वैश्विक स्तर पर अस्थमा के कारण 417,918 मौतें हुई थीं।

Thursday, May 1, 2025

1 मई


1 मई
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस 
मजदूर दिवस हर वर्ष 1 मई को मनाया जाता है। इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Labour Day) के नाम से भी जाना जाता है। इसका उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना, उनके योगदान को सम्मान देना और उन्हें एक बेहतर कार्य वातावरण देना है। इस दिन की शुरुआत 19वीं सदी में अमेरिका के शिकागो शहर से हुई। जब मजदूरों से 12 से 16 घंटे तक काम कराया जाता था, वो भी बिना किसी छुट्टी और सुविधा के। शोषण और अमानवीय व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाते हुए, 1 मई 1886 को शिकागो के हेमार्केट में हजारों मजदूरों ने आंदोलन किया, जिसमें उन्होंने 8 घंटे के कार्यदिवस की मांग की। यह आंदोलन बाद में हिंसक हो गया, लेकिन इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी। इस ऐतिहासिक घटना के उपलक्ष्य में 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मान्यता दी गई। हालांकि पहली बार मजदूर दिवस 1889 में मनाने का फैसला लिया गया। भारत में पहली बार मजदूर दिवस 1923 में मनाया गया था। इस दिन की शुरुआत चेन्नई में कम्युनिस्ट नेता सिंगारवेलु चेट्टियार ने की थी। उन्होंने मजदूरों के हक और अधिकारों की मांग को लेकर मद्रास हाई कोर्ट के सामने पहली बार मजदूर दिवस की सभा आयोजित की थी। इसी सभा में पहली बार भारत में 'मई दिवस' मनाया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय स्थापना दिवस 
दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्थापना आज ही के दिन हुई थी। 1 मई 1922 को स्थापित दिल्ली विश्वविद्यालय देश को 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एक है। दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना 1922 में केंद्रीय विधान सभा के अधिनियम द्वारा की गई थी। हरि सिंह गौर ने 1922 से 1926 तक विश्वविद्यालय के पहले कुलपति के रूप में कार्य किया। उस समय दिल्ली में केवल चार कॉलेज थे, जो उस समय पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध थे। ब्रिटिश भारत में सत्ता की सीट 1911 में कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दी गई थी । वाइसरीगल लॉज एस्टेट अक्टूबर 1933 तक भारत के वायसराय का निवास स्थान रहा , जब इसे दिल्ली विश्वविद्यालय को दे दिया गया। तब से, इसमें कुलपति और अन्य कार्यालयों का कार्यालय रहा है। जब सर मौरिस ग्वायर 1937 में ब्रिटिश भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा करने के लिए भारत आए, तो वे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति बने। उनके कार्यकाल के दौरान, विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किए गए और प्रयोगशालाएँ स्थापित की गईं। संकाय के सदस्यों में भौतिकी में दौलत सिंह कोठारी और वनस्पति विज्ञान में पंचानन माहेश्वरी शामिल थे । ग्वायर को "विश्वविद्यालय का निर्माता" कहा जाता है। उन्होंने 1950 तक कुलपति के रूप में कार्य किया।

Wednesday, April 30, 2025

30 अप्रैल


30 अप्रैल 
अंतरराष्ट्रीय जैज़ दिवस 
30 अप्रैल को संपूर्ण विश्व में ‘अंतरराष्ट्रीय जैज दिवस’(International Jazz Day) के रूप में मनाया जाता है। यह संगीत प्रेमियों का खास दिवस है। नवंबर‚ 2011 में यूनेस्को जनरल कॉन्फ्रेस ने प्रति वर्ष 30 अप्रैल को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी। जैज़ का संगीत रूप अफ्रीकी अमेरिकियों द्वारा विकसित किया गया था। यह European harmonic structure और African rhythms दोनों से प्रभावित है। इसकी उत्पत्ति 19वीं और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी। अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में ये काफी लोकप्रिय है। इस संगीत विधा का सबसे अहम यंत्र सैक्सोफोन है।

आयुष्मान भारत दिवस 
हर साल 30 अप्रैल को भारत में आयुष्मान भारत दिवस (आयुष्मान भारत दिवस) मनाया जाता है। इस दिन को हुक्म का उद्देश्य आयुष्मान भारत योजना को बढ़ावा देना है। आपको बता दें कि आयुष्मान भारत दिवस योजना भारत सरकार के लक्ष्य की उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करती है। आयुष्मान भारत योजना भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण प्रयास है जिसका उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना है।
आयुष्मान भारत दिवस, इस योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसे और अधिक सफल बनाने के लिए सामूहिक काम करने का अवसर प्रदान करता है।2018 में भीमराव अंबेडकर की जयंती के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र से आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की।
इस योजना को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) भी कहा जाता है, जिसे भारत सरकार ने लगभग 50 करोड़ आर्थिक रूप से वंचित लोगों को सस्ती और आसान स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए शुरू किया

बच्चों के शारीरिक दंड के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस 

30 अप्रैल को, बच्चों के शारीरिक दंड के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, बच्चों के विरुद्ध हिंसा का अंत करने के लिए विश्व भर के साझेदारों से आह्वान किया जाता है कि वे बच्चों के शारीरिक दंड पर प्रतिबंध लगाने के लिए उनके साथ शामिल हों।

इजरायल का स्वतंत्रता दिवस
योम हात्ज़मौत इजरायल का स्वतंत्रता दिवस है , जो हर साल अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत में मनाया जाने वाला एक बड़ा उत्सव है - जिस दिन (हिब्रू कैलेंडर में) 1948 में इजरायल ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी। पूरे इजरायल में, स्वतंत्रता को चिह्नित करने के लिए कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाते हैं - राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों स्तरों पर, लगभग हर शहर, कस्बे और गाँव में किसी न किसी तरह का उत्सव मनाया जाता है। 2025 में, योम हात्ज़मौत (इजरायली स्वतंत्रता दिवस) 30 अप्रैल को सूर्यास्त से 1 मई को सूर्यास्त तक पड़ता है। योम हात्ज़मौत के लिए प्रमुख राजकीय समारोह यरुशलम में माउंट हर्ज़ल में योम हात्ज़मौत की पूर्व संध्या पर होता है। यह कार्यक्रम योम हाज़िकारन (इज़राइल का स्मारक दिवस, जो तुरंत पहले आता है) के अंत और योम हात्ज़मौत के उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस समारोह में प्रदर्शन, भाषण और बारह मशालों की औपचारिक रोशनी शामिल है जो इज़राइल की बारह जनजातियों का प्रतीक हैं, बारह नागरिकों द्वारा जिन्होंने देश पर बहुत प्रभाव डाला है। इसी समय, देश भर के कस्बों और शहरों में पार्टियाँ और आतिशबाजी का प्रदर्शन होता है।

मेक्सिको में बाल दिवस 
बाल दिवस ( एल दीया डेल नीनो ) 30 अप्रैल को मेक्सिको में बच्चों के सम्मान में मनाया जाता है।  बाल दिवस मेक्सिको में एक राष्ट्रीय उत्सव है।मेक्सिको में बाल दिवस 1925 से प्रतिवर्ष मनाया जाता रहा है। बच्चों को समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, इसलिए यह दिन बच्चों को प्यार करने, स्वीकार करने और उनकी सराहना करने के महत्व पर केंद्रित होता है।

Tuesday, April 29, 2025

29 अप्रैल


29 अप्रैल 
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस 
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस हर वर्ष 29 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन विश्व प्रसिद्ध नृत्यकार ज्याँ-जार्ज नोवेरे की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें आधुनिक बैले नृत्य का जनक माना जाता है। इस दिवस की स्थापना यूनेस्को की अंतर्राष्ट्रीय थियेटर संस्था (ITI) ने 1982 में की थी, जिसका उद्देश्य विश्व भर में नृत्य की कला को बढ़ावा देना और इसकी सामाजिक, सांस्कृतिक और शारीरिक महत्ता को समझाना है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। जॉर्जेस नोवेरे एक मशहूर बैले मास्टर थे, जिन्हें फादर ऑफ बैले के नाम से भी जाना जाता है। 29 अप्रैल 1727 को ही जॉर्जेस नोवरे का जन्म हुआ था। साल 1982 में आईटीआई की नृत्य समिति ने जॉर्जेस नोवरे के जन्मदिन 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी। जिसके बाद से हर साल 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाने लगा। उन्होंने नृत्य पर ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम की एक किताब भी लिखी थी, जिसमें नृत्य से जुड़ी एक-एक चीज़ मौजूद हैं। कहते हैं इसे पढ़कर कोई भी नृत्य करना सीख सकता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का मकसद ना केवल दुनिया के सभी डांसर्स का प्रोत्साहन बढ़ाना है, बल्कि लोगों को डांस से होने वाले फायदों के बारे में भी बताना है। नृत्य कला के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा मिलता है, जिससे समृद्धि और एकता का वातावरण बनता है। 

विश्व इच्छा दिवस

विश्व इच्छा दिवस हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे बच्चों की इच्छाओं को पूरा करने के उद्देश्य से स्थापित Make-A-Wish Foundation की स्थापना की याद में मनाया जाता है। इस संगठन की शुरुआत 1980 में अमेरिका में हुई थी, जब एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित सात वर्षीय बच्चे क्रिस ग्रेच की पुलिस अधिकारी बनने की अंतिम इच्छा को पूरा किया गया। इसी से प्रेरित होकर यह संस्था बनी, जो आज दुनिया के कई देशों में बच्चों की इच्छाएँ पूरी कर रही है।विश्व इच्छा दिवस हमें यह सिखाता है कि छोटी-छोटी इच्छाएँ किसी के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं। यह दिन संवेदना, करुणा और मानवता का संदेश देता है। इस अवसर पर लोग दान करते हैं, स्वेच्छा से काम करते हैं और बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए प्रयास करते हैं।

वायरल वीडियो दिवस

वायरल वीडियो दिवस हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन इंटरनेट पर तेजी से फैलने वाले वीडियो और उनकी प्रभावशीलता को मनाने के लिए समर्पित है। सोशल मीडिया के इस युग में, एक साधारण वीडियो लाखों लोगों तक पहुँच सकता है और हँसी, प्रेरणा, जागरूकता या सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बन सकता है। वायरल वीडियो मनोरंजन के साथ-साथ सूचना और शिक्षा का भी एक प्रभावी जरिया बन चुके हैं। वायरल वीडियो दिवस हमें यह याद दिलाता है कि एक छोटा सा क्लिप भी बड़ा असर डाल सकता है, बशर्ते उसमें सच्चाई, भावना और नवीनता हो।

Monday, April 28, 2025

28 अप्रैल


28 अप्रैल 
कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य हेतु विश्व दिवस

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) हर साल 28 अप्रैल को कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस मनाता है। 2003 में शुरू हुई यह पहल दुनिया भर में सुरक्षित, स्वस्थ और सभ्य काम को बढ़ावा देने वाला एक अंतरराष्ट्रीय अभियान है। ILO द्वारा इस दिन को मना कर दुनिया भर में काम से जुड़ी दुर्घटनाओं और खराब स्वास्थ्य की रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाने और प्रयास करने में मदद की जाती है। 2003 में आईएलओ ने इस दिन को औपचारिक तौर पर मनाना शुरू किया. 28 अप्रैल को काम के दौरान मारे गए मजदूरों को भी याद किया जाता है

श्रमिक स्मृति दिवस
श्रमिक स्मृति दिवस , जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक स्मृति दिवस या मृत और घायलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्मरण दिवस के रूप में भी जाना जाता है , 28 अप्रैल को दुनिया भर में प्रतिवर्ष मनाया जाता है, जो अपने काम के कारण मारे गए, विकलांग, घायल या अस्वस्थ हुए श्रमिकों के लिए स्मरण और कार्रवाई का एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है । कनाडा में, इसे राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है । 1989 में, AFL-CIO ने हर साल काम पर मारे गए और घायल हुए लाखों कामगारों को सम्मानित करने के लिए 28 अप्रैल को "श्रमिक स्मृति दिवस" घोषित किया। 28 अप्रैल उस तारीख की सालगिरह है जिस दिन 1970 का व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य अधिनियम लागू हुआ था, और जब व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रशासन का गठन हुआ था (28 अप्रैल, 1971)। इससे पहले, 1984 में, कनाडाई यूनियन ऑफ पब्लिक एम्प्लॉइज (CUPE) ने शोक दिवस की स्थापना की थी। कनाडाई लेबर कांग्रेस ने 1985 में 28 अप्रैल को स्मरण का वार्षिक दिवस घोषित किया, जो 1914 में पारित एक व्यापक श्रमिक मुआवजा अधिनियम ( कार्यस्थल सुरक्षा और बीमा बोर्ड प्रविष्टि देखें ) की सालगिरह है। 1991 में, कनाडाई संसद ने कार्यस्थल पर मारे गए या घायल हुए व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय शोक दिवस का सम्मान करते हुए एक अधिनियम पारित किया , जिससे 28 अप्रैल एक आधिकारिक श्रमिक शोक दिवस बन गया।

Sunday, April 27, 2025

27 अप्रैल


27 अप्रैल 
वर्ल्ड डिज़ाइन डे
वर्ल्ड डिज़ाइन डे हर वर्ष 27 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन रचनात्मकता, नवाचार और डिज़ाइन की सामाजिक भूमिका को उजागर करने के लिए समर्पित है। इस दिवस की शुरुआत इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ डिजाइन (ICoD) द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य यह दिखाना है कि डिज़ाइन केवल सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि समाज के विकास, समस्याओं के समाधान और स्थायी भविष्य की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 1995 से मनाया जाने वाला  अंतर्राष्ट्रीय डिज़ाइन दिवस 27 अप्रैल 1963 को परिषद की स्थापना की याद दिलाता है। 2020 तक, इस आयोजन को विश्व डिज़ाइन दिवस के रूप में मनाया जाता था। अंतर्राष्ट्रीय डिज़ाइन दिवस  डिज़ाइन के महत्व और बदलाव लाने की इसकी क्षमता को पहचानने का एक अवसर है। यह दिन डिजाइन के अध्ययन और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में इसकी भूमिका के लिए समर्पित है

दक्षिण अफ्रीका स्वतंत्रता दिवस 
हर साल 27 अप्रैल को दक्षिण अफ़्रीकी लोग स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। यह दिन उस पहले चुनाव के सम्मान में मनाया जाता है जिसमें सभी जातियों के दक्षिण अफ़्रीकी वोट कर सकते थे। 1994 में हुए उस चुनाव में नेल्सन मंडेला देश के राष्ट्रपति चुने गए थे। स्वतंत्रता दिवस दक्षिण अफ्रीका में एक राष्ट्रीय अवकाश है । यह हर साल 27 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन दक्षिण अफ्रीका में पहले लोकतांत्रिक चुनावों की याद दिलाता है। स्वतंत्रता दिवस दक्षिण अफ्रीका में लोकतंत्र और स्वतंत्रता का जश्न मनाता है। दक्षिण अफ्रीका में पहला लोकतांत्रिक चुनाव 26-29 अप्रैल, 1994 को हुआ था। यह पहला चुनाव था जिसमें सभी जातियों के दक्षिण अफ्रीकी मतदान कर सकते थे। यह दक्षिण अफ्रीका के इतिहास में भी पहली बार था जब सभी मतदाताओं को समान नागरिक माना गया। इसने रंगभेद की समाप्ति और दक्षिण अफ्रीका में एक नए युग की शुरुआत को चिह्नित किया। स्वतंत्रता दिवस पहली बार 27 अप्रैल 1995 को मनाया गया था। इस अवकाश की तुलना संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस (4 जुलाई) और फ्रांस के बैस्टिल दिवस (14 जुलाई) से की जा सकती है ।

किंग्स डे 
किंग्स डे डच राष्ट्रीय अवकाश है जो 27 अप्रैल को राजा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यदि 27 अप्रैल रविवार को पड़ता है, तो किंग्स डे पिछले दिन मनाया जाता है। नीदरलैंड में कई सालों से राजा का जन्मदिन एक उत्सव के रूप में मनाया जाता रहा है। रानी दिवस 1890 में मनाया गया था जब राजकुमारी विल्हेल्मिना अपने पिता की मृत्यु के बाद रानी बनी थीं। रानी जुलियाना, विल्हेल्मिना की बेटी, को 1948 में ताज पहनाया गया था और 1949 से रानी दिवस समारोह 30 अप्रैल को उनके जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाने लगा। रानी जुलियाना की बेटी बीट्रिक्स 30 अप्रैल, 1980 को रानी बनीं। उनका जन्मदिन 31 जनवरी को है, लेकिन रानी दिवस 30 अप्रैल को ही मनाया जाता है - जो रानी बीट्रिक्स के स्वयं के राज्याभिषेक दिवस और उनकी माँ के जन्मदिन के साथ मेल खाता है। 2013 में यह घोषणा की गई थी कि 2014 से नीदरलैंड में क्वींस डे को किंग्स डे के रूप में मनाया जाएगा, जो 30 अप्रैल के बजाय 27 अप्रैल को मनाया जाएगा। यह घोषणा रानी द्वारा अपने सबसे बड़े बेटे विलेम अलेक्जेंडर के पक्ष में सिंहासन त्यागने के बाद की गई थी, जिनका जन्मदिन 27 अप्रैल को है। किंग्स डे नीदरलैंड में एक आधिकारिक सार्वजनिक अवकाश है। बैंक, डाकघर और कई व्यवसाय बंद रहते हैं। दुकानों में खुलने का समय अलग-अलग होता है। कुछ दुकानें हमेशा की तरह खुली रहती हैं, कुछ दिन के कुछ हिस्से के लिए खुली रहती हैं और कुछ पूरे दिन बंद रहती हैं। सार्वजनिक परिवहन सामान्य या विशेष समय सारिणी के अनुसार चलता है और बड़े समारोहों से लोगों को घर ले जाने के लिए अतिरिक्त ट्रेन सेवाएँ होती हैं। हर साल, शाही परिवार किंग्स डे पर एक या कुछ जगहों पर जाता है। स्थानीय ऐतिहासिक घटनाओं के इर्द-गिर्द प्रदर्शन और प्रदर्शन करके उनका मनोरंजन किया जाता है। शाही परिवार के सदस्य आम तौर पर अच्छे स्वभाव के साथ खेलों में शामिल होते हैं और उन्हें देखने के लिए आने वाले हज़ारों लोगों का अभिवादन करते हैं।


Saturday, April 26, 2025

26 अप्रैल


26 अप्रैल 
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस
विश्व बौद्धिक संपदा दिवस प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बौद्धिक संपदा के बारे में लोगों की जागरूकता और समझ को बढ़ाना है। बता दें कि विश्व बौद्धिक संपदा दिवस को विश्व आईपी दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस कार्यक्रम की स्थापना विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा 2000 में " पेटेंट , कॉपीराइट , ट्रेडमार्क और डिज़ाइन के दैनिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने " और "रचनात्मकता का जश्न मनाने और दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के विकास में रचनाकारों और नवप्रवर्तकों द्वारा किए गए योगदान " के लिए की गई थी। 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यह उस तारीख से मेल खाता है जिस दिन 1970 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना करने वाला कन्वेंशन लागू हुआ था। विश्व बौद्धिक संपदा दिवस डब्ल्यूआईपीओ का सबसे बड़ा बौद्धिक संपदा (आईपी) सार्वजनिक आउटरीच अभियान है। विश्व बौद्धिक संपदा दिवस दुनिया भर के अन्य लोगों के साथ मिलकर यह विचार करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है कि बौद्धिक संपदा (आईपी) वैश्विक कला परिदृश्य को कैसे विकसित करने में मदद करती है और मानव प्रगति को आगे बढ़ाने वाले तकनीकी नवाचार को सक्षम बनाती है। यह अभियान नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने में आईपी अधिकारों, जैसे  पेटेंट ,  ट्रेडमार्क ,  औद्योगिक डिजाइन ,  कॉपीराइट , की भूमिका को उजागर करने का भी एक अवसर है। वर्ष 2000 में, WIPO के  सदस्य देशों ने  26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया - जिस दिन  1970 में WIPO  अभिसमय लागू हुआ था - जिसका उद्देश्य बौद्धिक संपदा के बारे में सामान्य समझ को बढ़ाना था। तब से, विश्व आईपी दिवस दुनिया भर के आविष्कारकों और रचनाकारों द्वारा किए गए योगदान का जश्न मनाने और यह पता लगाने का एक अनूठा अवसर रहा है कि आईपी किस प्रकार संगीत और कला के उत्कर्ष में योगदान देता है और तकनीकी नवाचार में योगदान देता है जो हमारी दुनिया को आकार देने में मदद करता है।

राष्ट्रीय आर्बर दिवस 
हर साल अप्रैल में, राष्ट्रीय आर्बर दिवस हमें पेड़ लगाने और जश्न मनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसे वृक्षारोपण दिवस के नाम से भी जाना जाता है। अमेरिका में यह उत्सव हर साल अप्रैल के आखिरी शुक्रवार को मनाया जाता है।  10 अप्रैल, 1872 को पत्रकार और समाचार पत्र संपादक जे.स्टर्लिंग मॉर्टन ने नेब्रास्का राज्य में आर्बर डे की स्थापना की, इस उम्मीद के साथ कि यह पूरे देश में फैलेगा। इस पहले उत्सव ने नेब्रास्का के लोगों को यथासंभव अधिक से अधिक पेड़ लगाने की चुनौती दी। चूँकि अग्रदूतों ने पूर्व के पेड़ों और जंगलों को नहीं देखा था, इसलिए उन्होंने पहले ही वर्ष 1 मिलियन से अधिक पेड़ लगाकर चुनौती का जवाब दिया। नेब्रास्का समाचार पत्र के संपादक और नेब्रास्का सिटी, एनई के निवासी जे. स्टर्लिंग मॉर्टन को पेड़ों से बहुत लगाव था और वे व्यक्तियों और नागरिक समूहों से पेड़ों को लगाने की जोरदार वकालत करते थे। नेब्रास्का क्षेत्र के सचिव बनने के बाद, उन्होंने पेड़ों के महत्व के बारे में अपना संदेश और फैलाया। और 4 जनवरी, 1872 को, मॉर्टन ने पहली बार राज्य कृषि बोर्ड की बैठक में "आर्बर डे" नामक एक पेड़ लगाने की छुट्टी का प्रस्ताव रखा।आर्बर डे की आधिकारिक घोषणा 1874 में नेब्रास्का के गवर्नर रॉबर्ट डब्ल्यू. फर्नास ने की थी और उस वर्ष यह दिन 10 अप्रैल को मनाया गया था। 1885 में, आर्बर डे को नेब्रास्का में एक कानूनी राज्य अवकाश घोषित किया गया और 22 अप्रैल को इसके स्थायी वार्षिक पालन की तिथि के रूप में चुना गया। आज आर्बर डे सभी 50 राज्यों में मनाया जाता है। राज्य स्तर पर इसे मनाने की सबसे आम तिथि अप्रैल का आखिरी शुक्रवार है - राष्ट्रीय आर्बर दिवस - लेकिन कई राज्य आर्बर दिवस अन्य समय पर भी मनाए जाते हैं, जो पेड़ लगाने के लिए सबसे अच्छे मौसम के साथ मेल खाते हैं, दक्षिण में जनवरी और फरवरी से लेकर सुदूर उत्तर में मई तक। आर्बर लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है एक प्रकार की घास या जड़ी-बूटी।

Friday, April 25, 2025

25 अप्रैल


25 अप्रैल 


विश्व मलेरिया दिवस 
विश्व मलेरिया दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम है जो प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है , यह विभिन्न स्थानीय और सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों और नीति निर्माताओं से मलेरिया से लड़ने और उन्मूलन के लिए आवश्यक कार्रवाई को बढ़ावा देने का एक वैश्विक आह्वान है। मलेरिया नामक परजीवी संक्रमण मादा (एनोफिलीज) मच्छर द्वारा फैलता है और यह गंभीर, कभी-कभी घातक बीमारी का कारण बन सकता है। मलेरिया से हर साल 200 करोड़ लोगों को खतरा होता है, जिसमें 90 स्थानिक देशों के निवासी और 12.5 करोड़ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक शामिल हैं। प्लास्मोडियम परजीवी एक जटिल जीवन चक्र प्राप्त करते हैं जिसके परिणामस्वरूप समय-समय पर बुखार होता है। अधिकांश रोगी उपचार के बाद मलेरिया के लक्षणों से जल्दी ठीक हो जाते हैं, लेकिन उपचार में देरी होने पर गंभीर मलेरिया संबंधी एनीमिया, सेरेब्रल मलेरिया, कोमा या मृत्यु जैसी गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं। विश्व मलेरिया दिवस, जिसे पहली बार 2008 में मनाया गया था, अफ्रीका मलेरिया दिवस से विकसित हुआ था, जिसे 2001 से अफ्रीकी देशों द्वारा सम्मानित किया गया था। स्मरणोत्सव ने मलेरिया को रोकने और अफ्रीकी देशों में इसकी मृत्यु दर को कम करने के लिए लक्षित उद्देश्यों की स्थिति का मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान किया। 2007 में, यह प्रस्ताव रखा गया था कि दुनिया भर में मलेरिया के प्रसार को स्वीकार करने और बीमारी को खत्म करने के वैश्विक अभियान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व स्वास्थ्य सभा (विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आयोजित एक सभा) के 60वें सत्र में अफ्रीका मलेरिया दिवस का नाम बदलकर विश्व मलेरिया दिवस कर दिया जाए।

 टेलीफोन दिवस
25 अप्रैल को हम टेलीफोन दिवस मनाते हैं। 
इस दिन टेलीफोन के आविष्कारक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल को याद किया जाता है और टेलीफोन के महत्व को रेखांकित किया जाता है। यह दिन 1876 में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल द्वारा भाषण के पहले सफल प्रसारण की याद दिलाता है। तब से, टेलीफोन ने लोगों के एक-दूसरे से संवाद करने के तरीके में क्रांति ला दी है और यह हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। 

डीएनए दिवस
25 अप्रैल को, डीएनए दिवस भी मनाते हैं। 1953 में इसी दिन, जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक ने विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक छोटे से पत्र में डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) की अपनी खोज की औपचारिक घोषणा की थी । 2003 में, अमेरिकी सीनेट और प्रतिनिधि सभा ने एक बार के उत्सव के रूप में 25 अप्रैल को राष्ट्रीय डीएनए दिवस के रूप में घोषित किया। 2003 के बाद से हर साल, राष्ट्रीय मानव जीनोम अनुसंधान संस्थान द्वारा राष्ट्रीय डीएनए दिवस समारोह का आयोजन किया जाता रहा है। तब से, कई समूहों ने 25 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय डीएनए दिवस और विश्व डीएनए दिवस के रूप में भी घोषित किया है। 

इटली में मुक्ति दिवस 
मुक्ति दिवस इटली में एक राष्ट्रीय अवकाश है जो प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिवस द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में 1945 में मुसोलिनी के इतालवी सामाजिक गणराज्य के पतन और इटली में नाजी कब्जे की समाप्ति का प्रतीक है। मुक्ति दिवस ( फेस्टा डेला लिबरेज़ियोन ) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाज़ियों और मुसोलिनी की सेना के खिलाफ़ लड़ने वाले इटालियंस को याद करता है। यह दिन उन लोगों को सम्मानित करता है जिन्होंने इतालवी प्रतिरोध में सेवा की। इटली में कई जगहों पर मार्चिंग बैंड, संगीत समारोह, खाद्य उत्सव, राजनीतिक रैलियाँ और अन्य सार्वजनिक समारोह होते हैं। इस अवसर पर इटली में सार्वजनिक अवकाश रहता है।25 अप्रैल, 1945 को मित्र देशों की सेना ने इटली को नाजी कब्जे और बेनिटो मुसोलिनी के शासन से मुक्त कराया। मुसोलिनी एक इतालवी राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 1922 से 1943 तक नेशनल फ़ासीस्ट पार्टी का नेतृत्व किया। इसके बाद उन्होंने 1943 से 1945 तक इटली के उन हिस्सों में इतालवी सोशल रिपब्लिक का नेतृत्व किया, जो मित्र देशों की सेनाओं के कब्ज़े में नहीं थे।
मुक्ति दिवस मनाने के लिए होने वाली परेड में आमतौर पर इतालवी ध्वज को देखा जाता है। 'बेला चियाओ' गीत भी साल के इस समय के आसपास अक्सर बजाया जाता है, क्योंकि इसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इतालवी प्रतिरोध द्वारा गाया गया था।

विश्व पेंगुइन दिवस 
विश्व पेंगुइन दिवस हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन पेंगुइन संरक्षण और इन आकर्षक पक्षियों और उनके आवासों की सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। यह अंटार्कटिका में एडेली पेंगुइन के वार्षिक उत्तरी प्रवास के साथ मेल खाता है। पेंगुइन की 18 प्रजातियाँ हैं और उनके सभी प्राकृतिक आवास दक्षिणी गोलार्ध में हैं।  जन्म से लेकर, वे अपना पूरा जीवन अंटार्कटिक बर्फ के आसपास बिताते हैं। ये अद्भुत जीव अन्य पक्षियों की तरह अपने अंडे भी सेते हैं; केवल वे -50 डिग्री सेल्सियस के करीब तापमान में ऐसा कर सकते हैं - यह बहुत ठंडा है! पेंगुइन दिवस की शुरुआत 1972 में हुई जब गेरी वालेस ने कैलिफोर्निया के अलामोगोर्डो में अपनी पत्नी (एलेटा) के कैलेंडर पर इस कार्यक्रम को लिखा। बाद में वे इस उत्सव को कैलिफोर्निया के रिजक्रेस्ट में नौसेना हथियार केंद्र में ले आए, जहाँ पेंगुइन गश्ती दल ने इस खबर को प्रसारित किया। 25 अप्रैल वह तारीख भी है जिस दिन एडेली पेंगुइन अंटार्कटिका की ओर उत्तर की ओर अपना प्रवास शुरू करते हैं।

Wednesday, April 23, 2025

24 अप्रैल


24 अप्रैल 
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस
पंचायती राज मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को मनाए जाने वाले पंचायती राज दिवस, वर्ष 1993 में लागू हुए संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 की याद में मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय स्थानीय स्वशासन और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का जश्न मनाता है। पंचायती राज मंत्रालय, नोडल मंत्रालय, सामाजिक न्याय और सेवाओं के कुशल वितरण के साथ समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण, सक्षमता और जवाबदेही के मिशन पर काम करता है। एक मजबूत स्थानीय स्वशासन ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगा, जिससे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव को बढ़ावा मिलेगा और हमारी ग्रामीण आबादी के जीवन में बदलाव आएगा। संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के अधिनियमन 24 अप्रैल, 1993 को लागू हुआ था, इस उपलब्धि को चिह्नित करते हुए पंचायती राज मंत्रालय प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (एनपीआरडी) पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाता है। इस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई थी. पूरे देश को चलाने में सिर्फ केंद्र सरकार या सिर्फ राज्य सरकार सक्षम नहीं हो सकती है. ऐसे में स्थानीय स्तर पर भी प्रशासनिक व्यवस्थ जरूरी है. इस काम के लिए बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में 1957 में एक समिति का गठन किया गया था. समिति ने अपनी सिफारिस में जनतांत्रिक विकेंद्रीकरण की सिफारिश की जिसे पंचायती राज कहा गया है.राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस जमीनी स्तर से राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण के इतिहास को बताता है. उनकी आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति को दर्शाता है. राजस्थान देश का पहला राज्य बना जहां पंचायती राज व्यवस्था लागू किया गया. इस योजना का शुभारम्भ तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को किया था. भारत में पंचायती राज व्यवस्था की देखरेख के लिए 27 मई 2004 को पंचायती राज मंत्रालय को एक अलग मंत्रालय बनाया गया. भारत में हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का कारण 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 है जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था.

ज़ीरो शैडो डे
24 अप्रैल को बेंगलुरु में 'जीरो शैडो डे' मनाया जाता है, जब दोपहर 12:17 पर सूरज ठीक सिर के ऊपर होता है और किसी भी सीधी वस्तु की छाया जमीन पर नहीं दिखती है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) के साइंटिस्ट निरुज मोहन रामानुजम के अनुसार, जब सूरज अपनी उच्चतम स्थिति यानी जेनिथ पर पहुंचता है, तब यह घटना होती है. उस समय किसी भी सीधी खड़ी वस्तु की छाया ठीक नीचे गिरती है और दिखाई नहीं देती. भारत में वे सभी स्थान जो कर्क रेखा (Tropic of Cancer) के दक्षिण में आते हैं, जैसे बेंगलुरु, चेन्नई और मैंगलुरु में वर्ष में दो बार जीरो शैडो डे नजर आता है. बेंगलुरु में यह घटना आमतौर पर 24–25 अप्रैल और फिर 18 अगस्त के आसपास होती है. जीरो शैडो डे सिर्फ कुछ पल के लिए होता है. लेकिन साल में दो बार इसे देखा जा सकता है. सबसे लंबा समय किसी एक स्थान पर नहीं बल्कि भूमध्य रेखा (Equator) के आसपास के क्षेत्रों में होता है, क्योंकि वहां सूरज एकदम सिर के ऊपर ज्यादा देर तक रहता है. चेन्नई और त्रिवेंद्रम जैसे शहरों में सूरज की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण जीरो शैडो का प्रभाव थोड़ा अधिक देर तक देखा जा सकता है. हालांकि वह भी केवल कुछ मिनटों की बात होती है.

Tuesday, April 22, 2025

23 अप्रैल


23 अप्रैल 
विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस
यूनेस्को द्वारा विश्व पुस्तक तथा स्वामित्व (कॉपीराइट) दिवस का औपचारिक शुभारंभ 23 अप्रैल 1995 को हुआ था। इसकी नींव तो 1923 में स्पेन में पुस्तक विक्रेताओं द्वारा प्रसिद्ध लेखक मीगुयेल डी सरवेन्टीस को सम्मानित करने हेतु आयोजन के समय ही रख दी गई थी। उनका देहांत भी 23 अप्रैल को ही हुआ था।
मध्यकाल में 23 अप्रैल के दिन प्रेमी अपनी प्रेमिका को गुलाब का फूल भेंट करता था तो प्रेमिका उत्तर में अपने प्रेमी को एक पुस्तक देती थी। ऐसी एक फूल के बदले पुस्तक देने की परंपरा भी उस समय प्रचलित थी। 23 अप्रैल का दिन साहित्यिक क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है चूँकि यह तिथि साहित्य के क्षेत्र से जुड़ी अनेक विभूतियों का जन्म या निधन का दिन है। विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस  पुस्तकों और पढ़ने के आनंद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाने वाला एक उत्सव है। हर साल 23 अप्रैल को दुनिया भर में पुस्तकों के दायरे को पहचानने के लिए उत्सव मनाया जाता है - अतीत और भविष्य के बीच एक कड़ी, पीढ़ियों और संस्कृतियों के बीच एक पुल। 23 अप्रैल विश्व साहित्य में एक प्रतीकात्मक तिथि है। यह वह तिथि है जिस दिन कई प्रमुख लेखक, विलियम शेक्सपियर, मिगुएल डे सर्वेंट्स और इंका गार्सिलसो डे ला वेगा सभी की मृत्यु हुई थी। 1995 में पेरिस में आयोजित यूनेस्को के महासम्मेलन के लिए यह तिथि स्वाभाविक रूप से चुनी गई थी, ताकि इस तिथि पर पुस्तकों और लेखकों को विश्वव्यापी श्रद्धांजलि दी जा सके, तथा सभी को पुस्तकों तक पहुँच बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।यह आयोजन विश्व के 100 देशों में इंग्लैंड तथा आयरलैंड को अपवादस्वरूप छोड़कर किया जाता है। स्थानीय कारणों से इंग्लैंड तथा आयरलैंड में यह आयोजन 3 मार्च को होता है।

विश्व अंग्रेजी दिवस 
विश्व अंग्रेजी दिवस, जिसे अंग्रेजी भाषा दिवस के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 23 अप्रैल को अंग्रेजी नाटककार और कवि विलियम शेक्सपियर की जयंती और पुण्यतिथि मनाने के लिए मनाया जाता है।
यह बहुभाषावाद और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के साथ-साथ दुनिया में अंग्रेजी भाषा के महत्व को मनाने के लिए 2010 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा पहली बार स्थापित किया गया था। यह दिन भाषा से जुड़े इतिहास, संस्कृति, विकास और उपलब्धियों की संभावनाओं को दर्शाता है। वैश्विक संचार विभाग ने 2010 में संगठन की छह आधिकारिक भाषाओं में से प्रत्येक के लिए भाषा दिवस की शुरुआत की, जिसके कारण विश्व अंग्रेजी दिवस या अंग्रेजी भाषा दिवस की स्थापना हुई।

बाबू वीर कुंवर सिंह का विजयोत्सव दिवस 
आज ही के दिन 23 अप्रैल 1858 को वीर कुंवर सिंह ने जगदीशपुर स्थित अपने किले पर अंग्रेजों को हराकर अपना अधिकार फिर से प्राप्त किया था। इसलिए आज के दिन को विजयोत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता है। कुंवर सिंह (1777 – 26 अप्रैल 1858) 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान एक उल्लेखनीय नेता थे। वह वर्तमान में जगदीसपुर के शाही उज्जैनिया (पंवार) राजपूत घर से संबंधित थे, वर्तमान में भारत के बिहार, भोजपुर जिले का हिस्सा है। 80 साल की उम्र में, उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के आदेश के तहत सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र सैनिकों का चयन बैंड का नेतृत्व किया। वह बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य आयोजक थे। उन्हें वीर कुंवर सिंह के रूप में जाना जाता है। अपनी आखिरी लड़ाई में, जगदीसपुर के पास 23 अप्रैल 1858 को लड़ा, ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में सेना पूरी तरह से रुक गई थी। 22 और 23 अप्रैल को घायल होकर उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ बहादुरी से लड़ा और उनकी सेना की मदद से ब्रिटिश सेना को हटा दिया, संघ जैक को जगदीशपुर किले से नीचे लाया और अपना ध्वज फहराया। वह 23 अप्रैल 1858 को अपने महल में लौट आया और जल्द ही 26 अप्रैल 1858 को उसकी मृत्यु हो गई।

22 अप्रैल


22 अप्रैल 
पृथ्वी दिवस 
अर्थ डे यानी पृथ्वी दिवस हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है। इसे इंटरनेशनल मदर अर्थ डे (International Mother Earth Day) के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसके साथ ही हर व्यक्ति को पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत करने और पृथ्वी की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध करने के लिए इस दिन प्रयास किया जाता है। 1969 में यूनेस्को सम्मेलन में पहली बार शांति कार्यकर्ता जॉन मैककोनेल (John McConnell) ने पृथ्वी दिवस को मनाने का प्रस्ताव रखा था। पहले इस दिन को सेलिब्रेट करने का मकसद अर्थ को सम्मान देना था। सबसे पहली बार 22 अप्रैल, 1970 को संयुक्त राज्य अमेरिका में पृथ्वी दिवस मनाया गया। इसके बाद डेनिस हेस (Denis Hayes ) ने 1990 में विश्व स्तर पर इसे मनाए जाने का प्रस्ताव रखा। इसमें 141 देशों ने भागीदारी की। 2016 में पृथ्वी दिवस को जलवायु संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया गया।

Monday, April 21, 2025

21 अप्रैल


21 अप्रैल 
सिविल सेवा दिवस 
भारत सरकार हर साल 21 अप्रैल को 'सिविल सेवा दिवस' के रूप में मनाती है। यह सिविल सेवकों के लिए नागरिकों के हित के लिए खुद को फिर से समर्पित करने और सार्वजनिक सेवा और काम में उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का अवसर है। इस तरह का पहला समारोह 21 अप्रैल 2006 को विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था। इस तिथि का कारण यह है कि 21 अप्रैल 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मेटकाफ हाउस में स्वतंत्र भारत के पहले बैच के सिविल सेवकों को संबोधित किया था। उन्होंने अपने प्रेरक भाषण में सिविल सेवकों को 'भारत का स्टील फ्रेम' कहा था। राष्ट्रीय राजधानी में, सिविल सेवकों द्वारा दिखाए गए उत्कृष्टता को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। 

जनसंपर्क दिवस 
पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया हर वर्ष 21 अप्रैल को जनसंपर्क दिवस मनाती है। 21 अप्रैल, 1968 को दिल्ली में पहला अखिल भारतीय जनसंपर्क सम्मेलन आयोजित किया गया था। सम्मेलन का विषय था 'पेशेवर दृष्टिकोण'। यह हमारे देश में एक बहुत ही महत्वपूर्ण जनसंपर्क सम्मेलन था, जब जनसंपर्क को एक पेशेवर दृष्टिकोण दिया गया (प्रचार, प्रेस, सूचना से अलग) और जनसंपर्क पेशे के लिए आचार संहिता को अपनाया गया। वास्तव में यह भारत में पेशेवर जनसंपर्क की शुरुआत थी। इस दिन देश भर में जनसंपर्क से जुड़े लोगों द्वारा विभिन्न आयोजन होते हैं। उन्होंने कहा कि जनसंपर्क, सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्थान या संगठन के कार्यों को आम जनता का प्रभावी तरीके से पहुंचाने की रचनात्मक विधा है। वर्तमान में जनसंपर्क हर क्षेत्र से जुड़े संस्थान के लिए जरूरी है। सोशल मीडिया के दौर में इसकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है। 21 अप्रैल को राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के रूप में मनाने के पीछे उद्देश्य भारत में जनसंपर्क कार्य और जनसंपर्क पेशेवरों पर ध्यान केंद्रित करना है, जिनकी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। इस दिन के लिए एक विशेष थीम निर्धारित की जाती है, ताकि थीम में चुने गए मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें।
पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई), पीआर व्यवसायियों का राष्ट्रीय संघ, 1958 में एक पेशे के रूप में जनसंपर्क की मान्यता को बढ़ावा देने और एक रणनीतिक प्रबंधन कार्य के रूप में जनसंपर्क के उद्देश्यों और संभावनाओं को जनता के सामने प्रस्तुत करने के लिए स्थापित किया गया था।
1966 तक यह सोसायटी एक अनौपचारिक संस्था के रूप में काम करती रही, जब इसे भारतीय सोसायटी अधिनियम XXVI, 1961 के तहत पंजीकृत किया गया, जिसका मुख्यालय मुंबई में था। भारत में पेशेवर पीआर प्रैक्टिशनर्स के पितामह काली एच. मोदी 1966 से 1969 तक पीआरएसआई के संस्थापक अध्यक्ष थे। 1969 तक मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता में इसकी शाखाएँ शुरू की गईं।


विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस 
World Creativity and Innovation Day

विश्व रचनात्मकता और नवाचार दिवस हर साल 21 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में रचनात्मक सोच और नवाचार के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है, जिससे सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिल सके। संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित यह दिवस विशेष रूप से युवाओं को अपनी प्रतिभा और सोच को सकारात्मक दिशा में लगाने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन बताता है कि हर व्यक्ति के भीतर रचनात्मक क्षमता होती है – बस जरूरत है उसे पहचानने और अपनाने की।

राष्ट्रीय किंडरगार्टन दिवस
राष्ट्रीय किंडरगार्टन दिवस फ्रेडरिक विल्हेम अगस्त फ्रोबेल के जन्म दिवस 21 अप्रैल 1782 को मनाया जाता है। हर साल 21 अप्रैल को राष्ट्रीय किंडरगार्टन दिवस उस व्यक्ति के जन्मदिन का सम्मान करता है जिसने पहला किंडरगार्टन शुरू किया था। फ्रेडरिक विल्हेम ऑगस्ट फ्रोबेल (21 अप्रैल, 1782 - 21 जून, 1852) को 1837 में जर्मनी में सबसे पहला किंडरगार्टन शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। फ्रोबेल एक जर्मन शिक्षक और जोहान पेस्टालोज़ी के छात्र थे। फ्रोबेल ने आधुनिक शिक्षा की नींव रखी, यह मानते हुए कि बच्चे खेल और अनुभव के माध्यम से सीखते हैं। पहला किंडरगार्टन (जिसका मतलब है बच्चों के लिए बगीचा) 1837 में ब्लैंकेनबर्ग, जर्मनी में विकसित किया गया था। किंडरगार्टन ने बच्चों के लिए फ्रोबेल के सामाजिक अनुभव को बढ़ावा दिया। इसने उन्हें घर से स्कूल में आसानी से जाने में भी मदद की। 1856 में, विस्कॉन्सिन के वॉटरटाउन में संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला किंडरगार्टन खोला गया। मार्गरेट शूर्ज़ द्वारा स्थापित, यह किंडरगार्टन एक जर्मन-भाषा कक्षा थी, जैसा कि इस क्षेत्र में कई थे। किंडरगार्टन ने देश भर में निजी अंग्रेजी-भाषी संस्थानों में अपना रास्ता बना लिया। हालाँकि, 1873 तक यह किसी भी सार्वजनिक स्कूल प्रणाली का हिस्सा नहीं बन पाया था।

Sunday, April 20, 2025

20 अप्रैल


20 अप्रैल 
चीनी भाषा दिवस 
दुनिया भर में 20 अप्रैल यूएन चीनी भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को कैन्जी को श्रद्धांजलि देने के लिए चुना गया है, जो लगभग 5,000 साल पहले चीनी मसालों का आविष्कार करने के लिए जाना जाता है।पहला चीनी भाषा दिवस 2010 में 12 नवंबर को मनाया गया था, लेकिन 2011 के बाद से यह तारीख 20 अप्रैल को मनाया जाने लगा। यह दिन बहुभाषावाद और सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ पूरे संगठन में अपने छह आधिकारिक कार्यकलापों के समान उपयोग को बढ़ावा देता है.

420 दिवस 
हर साल 20 अप्रैल को भांग उत्पादक, उपभोक्ता, समर्थक और जिज्ञासु लोग 420 दिवस मनाते हैं। कभी एक अपरंपरागत दिन रहा यह दिन अब उन लोगों के लिए एक नारा बन गया है जो औषधीय और मनोरंजक उपयोगों के लिए मारिजुआना को वैध बनाना चाहते हैं।1970 के दशक से लोग 420 दिवस मनाते आ रहे हैं। लेकिन 420 क्यों? इस बारे में कई मिथक प्रचलित हैं कि 420 का मतलब कैनाबिस या मारिजुआना धूम्रपान कैसे हुआ। उनमें से ज़्यादातर असत्य या अप्रमाणित हैं। हालाँकि, जैसा कि टाइम पत्रिका में बताया गया है,एक कहानी कैलिफोर्निया के मैरिन काउंटी के सैन राफेल हाई स्कूल के पाँच किशोरों की है। 1971 में, वे शाम 4:20 बजे मिलते थे और अंततः, 420 मारिजुआना के लिए उनका कोड बन गया। 1991 में, हाई टाइम्स पत्रिका ने ओकलैंड, कैलिफोर्निया में डेडहेड्स के एक समूह द्वारा शुरू में वितरित एक फ़्लायर छापा। फ़्लायर मारिजुआना धूम्रपान करने के लिए 420 इवेंट का निमंत्रण था। यह 20 अप्रैल, 1990 को शाम 4:20 बजे हुआ था।

हमशक्ल दिवस 
नेशनल लुक अलाइक डे की शुरुआत 1980 के दशक में फीचर टेलीविजन रिपोर्टर जैक एट्ज़ेल ने की थी। वह फोटोग्राफर रिक मिनुटेलो के साथ पिट्सबर्ग के डाउनटाउन में थे, और समाचार के लिए लाइट फीचर की तलाश कर रहे थे। रिक ने कहा, "हमारी तरफ आ रहा यह आदमी हम्फ्री बोगार्ट जैसा दिखता है।" उसने सिगरेट पी रखी थी। जैक ने कहा, "चलो उससे बात करते हैं। मैं उससे पूछूंगा कि लोगों को लगता है कि वह किसकी तरह दिखता है।" उन्होंने दूसरों से यही सवाल पूछने में कुछ घंटे बिताए। अगले दिन एट्ज़ेल ने चेस कैलेंडर ऑफ़ इवेंट्स के लोगों से संपर्क किया और लुक अलाइक डे की घोषणा की ताकि वे अगले दस सालों तक उसी मज़ेदार कहानी पर निर्भर रह सकें।अगर आपको अपना हमशक्ल मिल जाए तो आप उसे हमशक्ल कह सकते हैं। हालाँकि, अपने हमशक्ल को देखने का मतलब है कि आपने अपनी आत्मा के हमशक्ल को देखा है जो धरती पर घूमता है। लोककथाओं में, अपने हमशक्ल को देखना एक बुरे शगुन का संकेत है। हालाँकि, पिछले कुछ सालों में, इस शब्द का मतलब किसी ऐसे व्यक्ति से हो गया है जो बिल्कुल आपके जैसा दिखता है।

Friday, April 18, 2025

19 अप्रैल


19 अप्रैल 
विश्व लिवर दिवस 
विश्व यकृत दिवस (WLD) एक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है जिसे हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य आम जनता में यकृत रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ द लिवर (ईएएसएल) ने 2010 में विश्व लिवर दिवस की शुरुआत की थी। 1966 में ईएएसएल की स्थापना के उपलक्ष्य में 19 अप्रैल को इस दिवस की स्थापना की गई थी। विश्व यकृत दिवस लोगों को यकृत रोगों की गंभीरता, प्रारंभिक पहचान और रोकथाम के बारे में शिक्षित करने से संबंधित गतिविधियों पर केंद्रित है। मानव शरीर में दूसरा सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण अंग होने के नाते, यकृत कई कार्य करता है, जिनमें चयापचय, पाचन, प्रतिरक्षा, विषाक्त पदार्थों का निस्पंदन, और विटामिन, खनिज, ग्लूकोज आदि का भंडारण शामिल है, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है। हालांकि यकृत में स्वयं उपचार की अनूठी विशेषता है, जहां यह 60 से 70% तक क्षतिग्रस्त होने के बाद फिर से विकसित या पुनर्जीवित हो सकता है, यकृत में किसी भी असामान्यता से गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं।यकृत एक आवश्यक अंग है जो 500 से अधिक कार्य करता है, जिसमें पोषक तत्वों को संसाधित करना, विषाक्त पदार्थों को छानना और वसा को पचाने में मदद करने के लिए पित्त का उत्पादन करना शामिल है। यह ग्लूकोज को संग्रहीत करने और छोड़ने के लिए भी जिम्मेदार है, जो आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
अपने लीवर की देखभाल करना समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने और हेपेटाइटिस, सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी लीवर की बीमारियों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। स्वस्थ आहार खाने, शराब का सेवन सीमित करने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने जैसे सरल कदम आपके लीवर को बेहतर स्थिति में रखने में मदद कर सकते हैं।

उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस
19 अप्रैल 1975 भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक दिवस है। इस दिन भारतीय प्रथम उपग्रह ‘आर्यभट ’ का सफलतापूर्वक प्रमोचन हुआ, जो उपग्रह प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अग्रणी बना। इस घटना की स्मृति में वर्ष 2000 से हर वर्ष 19 अप्रैल को उपग्रह प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रही विविध उपलब्धियों को दर्शाते हुए प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है।

 साईकिल दिवस
साइकिल दिवस 19 अप्रैल को साइकेडेलिक क्रांति और डॉ. अल्बर्ट हॉफमैन द्वारा 1943 में एलएसडी पर पहली साइकेडेलिक यात्रा का एक अनौपचारिक उत्सव है, जो सैंडोज़ लैब्स से घर लौटते समय उनकी साइकिल की सवारी के साथ-साथ था । यह आमतौर पर साइकेडेलिक्स का सेवन करके और बाइक की सवारी करके मनाया जाता है, कभी-कभी परेड में, और अक्सर साइकेडेलिक-थीम वाले उत्सवों के साथ। छुट्टी का नाम और घोषणा सबसे पहले 1985 में उत्तरी इलिनोइस विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के प्रोफेसर थॉमस रॉबर्ट्स ने की थी , लेकिन संभवतः साइकेडेलिक युग की शुरुआत से ही साइकेडेलिक उत्साही लोगों द्वारा मनाया जाता रहा है , और कम से कम 2004 से लोकप्रिय संस्कृति में मनाया जाता है। नाम के बावजूद, साइकिल दिवस पैडल बाइक या क्वीन के बारे में नहीं है; यह एलएसडी नामक दवा के वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को पहचानने का दिन है। साइकिल दिवस, अविश्वसनीय रूप से, लिसेर्जिक एसिड डाइएथाइलैमाइड (LSD) का उत्सव है। या यूँ कहें कि यह उस खोज का स्मरण करता है कि LSD (और, इसके बाद, अन्य मनो-सक्रिय पदार्थ) कम खुराक में भी चेतना में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं। 1943 में यही वह दिन था जब LSD के निर्माता स्विस रसायनज्ञ अल्बर्ट हॉफ़मैन ने एक नया बैच बनाने और बाइक की सवारी करने का फ़ैसला किया। उन्होंने स्विट्जरलैंड के बेसल की सड़कों पर अपने (संभवतः बहुत घबराए हुए और भ्रमित) सहायक के साथ एक अजीबोगरीब साइकिल की सवारी की। रोलिंग स्टोन के अनुसार , 19 अप्रैल को शाम 4:20 बजे उन्होंने खुद को खुराक देने का फैसला किया। उन्होंने महसूस किया कि इसका नतीजा यह हुआ कि जब उन्होंने शुरुआत में लिसर्जिक एसिड डाइएथाइलैमाइड (एलएसडी) यौगिक बनाया था, तो उन्हें जो भी शारीरिक परिणाम मिलने की उम्मीद थी, वह नहीं मिले, बल्कि वे नशे में धुत हो गए। घर की ओर छह मील की यात्रा उनके मन में एक रहस्योद्घाटन थी, हालांकि मार्ग या साइकिल चलाते समय जो कुछ भी हुआ, उसके संदर्भ में यह कोई असाधारण बात नहीं थी। वह सुरक्षित रूप से घर पहुंचे, बिना किसी दुर्भाग्यपूर्ण दुष्प्रभाव के, बस एक नया विचार जो वैज्ञानिकों के मस्तिष्क रसायन विज्ञान को आगे देखने के तरीके को बदल देगा। इस यात्रा को 1993 में एक अज्ञात कलाकार द्वारा भी याद किया गया, जिसने साइकिल पर सवार वैज्ञानिक की शायद अब तक की सबसे शानदार छवि बनाई थी। साइकिल दिवस की शुरुआत 1980 के दशक तक नहीं हुई थी, जब एक प्रोफेसर ने एक छोटी-सी पार्टी आयोजित करना शुरू किया जो अंततः एक विश्वव्यापी घटना बन गई। इसे विश्व साइकिल दिवस के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त अवकाश है जो 3 जून को मनाया जाता है। हॉफमैन की प्रसिद्ध साइकिल यात्रा और उसके बाद उनके सम्मान में छुट्टी साइकिल चलाने की दुनिया में एक मजेदार कहानी के लिए प्लाट है, लेकिन एलएसडी को एक ऐसे पदार्थ के रूप में मान्यता देना जिसे मनोरोग उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, साइकिल चलाने से कहीं बड़ा है। उनके शोध ने मस्तिष्क की बेहतर समझ विकसित करने में मदद की: यह विचार कि मानसिक बीमारी का हमेशा मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेपों से ही इलाज नहीं किया जा सकता है, मस्तिष्क रसायन विज्ञान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

18 अप्रैल


18  अप्रैल 
विश्व विरासत दिवस 
हर साल 18 अप्रैल को, ICOMOS “स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस” मनाता है, जिसकी शुरुआत 1983 में 22वें यूनेस्को आम सम्मेलन में अनुमोदन से हुई थी। 1982 में, द इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) ने हर साल 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाने का विचार प्रस्तावित किया. अगले वर्ष, प्रस्ताव को यूनेस्को के सामान्य सम्मेलन में मंजूरी दे दी गई. तब से, हर साल 18 अप्रैल को विशेष दिन मनाया जाता है. विरासत स्मारक और स्थल अक्सर मानवीय गतिविधियों, प्राकृतिक आपदाओं और शहरीकरण का शिकार होते हैं. यह दिन उनकी सुरक्षा और संरक्षण के महत्व को पुनः स्थापित करता है. स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में स्थानीय समुदायों और व्यक्तियों को अपने जीवन, पहचान और समुदायों के लिए सांस्कृतिक विरासत के महत्व पर विचार करने और इसकी विविधता और भेद्यता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और इसे बचाने और संरक्षित करने के लिए आवश्यक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।


Wednesday, April 16, 2025

17 अप्रैल


17 अप्रैल 
विश्व हीमोफीलिया दिवस 
विश्व हीमोफीलिया दिवस एक वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम है जो हर साल 17 अप्रैल को मनाया जाता है , जिसकी शुरुआत विश्व हीमोफीलिया महासंघ (डब्ल्यूएचएफ) द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और स्थानीय नीति निर्माताओं से हीमोफीलिया पर बेहतर नियंत्रण और रोकथाम को बढ़ावा देने के साथ-साथ बेहतर उपचार और देखभाल के प्रावधान के लिए आह्वान करना है। हीमोफीलिया एक दुर्लभ गंभीर, वंशानुगत रक्तस्रावी विकार है, जो फैक्टर VIII और फैक्टर IX प्रोटीन (रक्त के थक्के जमने/जमाव के लिए आवश्यक कारक) की खराबी के कारण होता है, जिससे रक्त के जमने में असामान्यता होती है। हालाँकि सभी जातियों और नस्लों के लोगों में हीमोफीलिया का निदान किया जा सकता है, लेकिन पुरुषों के प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि यह बीमारी X गुणसूत्र से जुड़ी होती है। विश्व हीमोफीलिया दिवस पहली बार 17 अप्रैल 1989 को विश्व हीमोफीलिया महासंघ (WFH) द्वारा फ्रैंक श्नेबेल के जन्मदिन के सम्मान में मनाया गया था, जो WFH के संस्थापक थे। हीमोफीलिया की खोज 10वीं शताब्दी तक नहीं हुई थी, जब लोगों ने छोटी-छोटी दुर्घटनाओं से होने वाली पुरुषों की असंगत मौतों पर ध्यान देना शुरू किया। उस समय इस स्थिति को अबुलकासिस कहा जाता था। 

विश्व सर्कस दिवस 
17 अप्रैल को अद्भुत और आकर्षक विश्व सर्कस दिवस मनाया जाता है! यह दिन 1800 के दशक से मनाया जाता रहा है और यह 1768 में लंदन में फिलिप एस्टले द्वारा बनाए गए पहले आधुनिक सर्कस की वर्षगांठ का प्रतीक है। तब से, सर्कस के करतब दुनिया भर में मनोरंजन का एक पसंदीदा रूप बन गए हैं, जो अपनी कलात्मकता, कौशल और हास्य के अनूठे मिश्रण से युवा और बूढ़े दोनों को प्रसन्न करते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि सर्कस के पहले करतब प्राचीन रोम में शुरू हुए थे। सर्कस सार्वजनिक मनोरंजन का पहला रूप है जहाँ पुरुषों और महिलाओं को अलग नहीं किया जाता था। सर्कस मैक्सिमस प्राचीन रोम में पुराने साम्राज्य के युग में बनाया गया पहला सर्कस अखाड़ा था। इसमें प्रति शो कम से कम 250,000 दर्शक बैठ सकते थे। रोमन युग के कुछ प्रसिद्ध सर्कस अखाड़ों में सर्कस नेरोनिस, सर्कस फ्लेमिनियस और सर्कस ऑफ़ मैक्सेंटियस शामिल हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला आधुनिक सर्कस जॉन बिल रिकेट्स ने 3 अप्रैल, 1793 को स्थापित किया था। पेपिन और ब्रेशर्ड के सर्कस के रूप में जाना जाने वाला, उनका सर्कस समूह 19वीं शताब्दी की शुरुआत में मॉन्ट्रियल से हवाना तक गया था। जोशुआ पर्डी 1835 में सर्कस के करतबों के लिए मुख्य स्थल के रूप में एक बड़े तम्बू को पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे। इसे 1835 में थॉमस टैपलिन कुक द्वारा इंग्लैंड लाया गया था, क्योंकि यह बहुत अधिक व्यावहारिक, लचीला था, और दर्शकों को एक विस्तृत खुली जगह में इकट्ठा होने की अनुमति देता था।

विश्व हाइकू कविता दिवस 
17 अप्रैल को हाइकू कविता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह जापानी कविता की एक अनोखी शैली है, जो तीन पंक्तियों में लिखी जाती है और 5-7-5 के शब्दांश पैटर्न का पालन करती है. हाइकू कविता दिवस इस शैली का सम्मान करता है और लोगों को हाइकू कविता लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है. हाइकू मूल रूप से रेंगू नामक जापानी कविता के दूसरे रूप की शुरुआत के रूप में पाया गया था। होक्कू, जिस रूप में उस समय हाइकू पाया जाता था, को अपने मूल रूप रेंगा और इसके रेंकू मूल से स्वतंत्र रूप से प्रकट होने में 1600 के दशक के मध्य तक का समय लगा। 1800 के दशक के अंत में होक्कू का नाम बदलकर हाइकू कर दिया गया, जब इसे प्रसिद्ध जापानी कवि, लेखक और साहित्यिक आलोचक मासाओका शिकी ने स्वतंत्र रूप से लिखा। दो अन्य महारथी जो हाइकू कविता को एक स्वतंत्र कला के रूप में स्थापित करने के लिए जिम्मेदार थे, वे हैं मात्सुओ बाशो और उएशिमा ओनित्सुरा।20वीं सदी के आरंभ में, पश्चिमी कवियों ने, विशेषकर इमेजिस्ट आंदोलन के एज्रा पाउंड जैसे कवियों ने, हाइकु की संक्षिप्तता और विशद कल्पना से प्रेरणा ली, इसके तत्वों को अपनी रचनाओं में शामिल किया और इस प्रकार हाइकु को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंचाया। डेनिश व्यक्ति हेंड्रिक डोएफ  ने 19वीं सदी में नागासाकी में व्यापार आयुक्त के रूप में, उन्होंने पूर्वी कविता की कला के प्रति प्रेम विकसित किया। हालाँकि वे इसे स्वयं पश्चिम में लाने में सफल रहे, लेकिन आम तौर पर इसे शुरू में बहुत ज़्यादा पसंद नहीं किया गया। वास्तव में, हाइकू को अंग्रेजी भाषा में आने में 1900 के दशक के मध्य तक का समय लग गया।

Tuesday, April 15, 2025

16 अप्रैल


16 अप्रैल 
विश्व आवाज दिवस 
हर साल 16 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व आवाज़ दिवस ब्राज़ील के आवाज़ देखभाल पेशेवरों के एक समूह से जुड़ा है, जिन्होंने 1999 में ब्राज़ीलियाई आवाज़ दिवस की स्थापना करके आवाज़ का जश्न मनाने का फैसला किया था। कई लोग धूम्रपान, चिल्लाना, शराब पीना या खराब तरीके से बोलने की तकनीक से अपनी आवाज़ का दुरुपयोग करते हैं। जब समस्याएँ होती हैं, तो अक्सर उपचार को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, जिससे और भी गंभीर समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। इस समस्या को हल करने के लिए, विश्व आवाज़ दिवस को मानव आवाज़ के बारे में जागरूकता, मान्यता और उत्सव मनाने के एक विशेष दिन के रूप में स्थापित किया गया था। विश्व आवाज दिवस की स्थापना 16 अप्रैल को की गई थी जिसका मुख्य लक्ष्य आवाज के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना तथा आवाज संबंधी समस्याओं के प्रति सतर्कता बढ़ाना था। इस उत्सव की शुरुआत ब्राज़ील में 1999 में ब्राज़ीलियन नेशनल वॉयस डे के रूप में हुई थी। यह चिकित्सकों, भाषण-भाषा रोग विशेषज्ञों और गायन शिक्षकों की एक मिश्रित पहल का परिणाम था, जो डॉ. नेडियो स्टीफ़न की अध्यक्षता में पूर्व एसोसिएशन 'सोसाइडेड ब्रासीलीरा डे लारिंगोलोजिया ई वोज़ - एसबीएलवी' (ब्राज़ीलियन सोसाइटी ऑफ़ लैरींगोलॉजी एंड वॉयस) से संबंधित थे। ब्राज़ील की इस पहल का अर्जेंटीना और पुर्तगाल जैसे अन्य देशों ने भी अनुसरण किया और ब्राज़ीलियन नेशनल वॉयस डे अंतर्राष्ट्रीय वॉयस डे बन गया। संयुक्त राज्य अमेरिका में, अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ ओटोलरींगोलॉजी - हेड एंड नेक सर्जरी ने आधिकारिक तौर पर 2002 में इस उत्सव को मान्यता दी और उस वर्ष इस आयोजन को 'विश्व आवाज़ दिवस' नाम दिया गया।

भारत में रेल परिवहन दिवस 
आज ही के दिन देश में पहली बार ट्रेन चलाई गई थी। 16 अप्रैल 1853 के दिन इस ट्रेन को मुंबई के बोरीबंदर अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से ठाणे के बीच चलाया गया था। ट्रेन ने 35 किलोमीटर का सफर बिना किसी परेशानी के पूरा कर लिया था। ट्रेन में 20 डिब्बे थे, जिनमें करीब 400 यात्री सवार थे। ट्रेन दिन के 3 बजकर 35 मिनट पर बोरीबंदर से रवाना हुई और 4 बजकर 45 मिनट पर ठाणे पहुंची। ट्रेन को चलाने के लिए ब्रिटेन से 3 इंजन मंगवाए गए थे। इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर माना जाता है। भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। 1 मार्च 1969 को देश की पहली सुपरफास्ट ट्रेन ब्रॉडगेज लाइन पर दिल्ली से हावड़ा के बीच चलाई गई।

राजस्थान पुलिस दिवस 
राजस्थान राज्य के गठन के पश्चात तत्कालीन महामहिम राज्य प्रमुख द्वारा राजस्थान पुलिस के एकीकरण के लिए 16 अप्रैल, 1949 को राजस्थान पुलिस (एकीकरण) अध्यादेश 1949 के जरिये राजस्थान पुलिस का एकीकरण किया गया था। इस कारण राजस्थान पुलिस के लिए 16 अप्रैल महत्वपूर्ण दिन है। राजस्थान पुलिस ने नई शुरुआत कर इस दिन को पुलिस दिवस के रूप में धूमधाम व समारोहपूर्वक राज्य, रेंज, जिला और यूनिट स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है।

विश्व सर्कस दिवस
हर साल अप्रैल के तीसरे शनिवार को विश्व सर्कस दिवस सर्कस कला के प्रति जागरूकता बढ़ाता है। यह दिन शौकिया और पेशेवर दोनों तरह के सर्कस कलाकारों का ध्यान आकर्षित करता है। आधुनिक समय का सर्कस प्राचीन रोम में आयोजित होने वाले सर्कस से बहुत अलग दिखता है। और यह एक अच्छी बात भी है। उस समय के सर्कस में ग्लेडिएटर की लड़ाई, जानवरों का वध और अन्य खूनी खेल शामिल थे। "सर्कस" शब्द लैटिन शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है वृत्त। रोमन अपने कार्यक्रम वृत्ताकार एम्फीथिएटर में आयोजित करते थे। उस समय, सर्कस रोमनों के लिए मनोरंजन का प्राथमिक स्रोत थे। भले ही सर्कस वर्षों में बदल गया हो, लेकिन जनता का मनोरंजन करना अभी भी प्राथमिक लक्ष्य था।जिस तरह के सर्कस के बारे में हम जानते हैं, वह 1768 में शुरू हुआ था। उस समय, फिलिप एस्टली नामक अंग्रेज घुड़सवार ने ट्रिक हॉर्स राइडिंग प्रदर्शन करना शुरू किया था। एस्टली ने अंततः अपने घुड़सवारी कार्यक्रमों के बीच के अंतराल को भरने के लिए कलाबाजों, बाजीगरों और एक जोकर को काम पर रखा। इस वजह से, एस्टली को "आधुनिक सर्कस का जनक" के रूप में जाना जाने लगा। अंत में, जॉन बिल रिकेट्स नामक एक अंग्रेज ने सर्कस को संयुक्त राज्य अमेरिका में लाया। अमेरिका में पहला सर्कस 1793 में फिलाडेल्फिया में हुआ था। 1872 तक, पीटी बार्नम की बदौलत, सर्कस को "पृथ्वी पर सबसे बड़ा शो" के रूप में जाना जाने लगा।

Monday, April 14, 2025

15 अप्रैल


15 अप्रैल 
विश्व कला दिवस 
हर साल 15 अप्रैल को विश्व कला दिवस मनाने से कलात्मक कृतियों और समाज के बीच संबंधों को मजबूत करने, कलात्मक अभिव्यक्तियों की विविधता के बारे में अधिक जागरूकता को बढ़ावा देने और सतत विकास में कलाकारों के योगदान को उजागर करने में मदद मिलती है। यह स्कूलों में कला शिक्षा पर प्रकाश डालने का भी अवसर है, क्योंकि संस्कृति समावेशी और न्यायसंगत शिक्षा का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
विश्व कला दिवस, कला के विकास, प्रसार और आनंद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाने वाला उत्सव,  2019 में यूनेस्को के आम सम्मेलन के 40 वें सत्र में घोषित किया गया था । कला दुनिया भर के सभी लोगों के लिए रचनात्मकता, नवाचार और सांस्कृतिक विविधता का पोषण करती है और ज्ञान साझा करने और जिज्ञासा और संवाद को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

गुरु नानक जयंती 
 15 अप्रैल 1469 को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म हुआ था। उन्होंने धार्मिक सौहार्द्र को सर्वोपरि बताया और सिख धर्म की नींव रखी। वह कई भाषाओं के ज्ञाता थे और उन्होंने दुनिया के विविध स्थानों की यात्राएं कीं। 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी राय भोइ की(अब पाकिस्तान में), जिसे अब ननकाना साहिब कहा जाता है, में बाबा मेहता कालू और माता तृप्ता के यहां जन्मे बालक को नानक का नाम दिया गया। उस समय कौन जानता था कि यह बालक विश्व भर में सिखों के प्रथम गुरु के रूप में पूजनीय होगा। उन्होंने धार्मिक सौहार्द्र को सर्वोपरि बताया और सिख धर्म की नींव रखी। 

हिमाचल दिवस 
15 अप्रैल को प्रतिवर्ष हिमाचल दिवस के रूप में मनाया जाता है.15 अप्रैल 1948 को पहाड़ी क्षेत्र की 30 रियासतें आजाद भारत में शामिल हुई और हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ. 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना और हिमाचल प्रदेश को “ग\” श्रेणी का राज्य बनाया गया. उसके बाद 1 नवम्बर, 1956 को हिमाचल प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया।1966 में पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को हिमाचल प्रदेश में शामिल किया गया। 18 दिसम्बर, 1970 को संसद ने हिमाचल प्रदेश अधिनियम पारित किया तथा 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश पूर्ण राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। हिमाचल प्रदेश भारत का 18वां राज्य था। तब से लेकर आज तक हिमाचल प्रदेश विकास की राह पर लगातार अग्रसर है.हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार को हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है. डॉ. परमार का हिमाचल निर्माण में बहुत बड़ा योगदान रहा है. हिमाचल प्रदेश भारत के उत्तरी भाग में स्थित है। इसके उत्तर में जम्मू-कश्मीर, पश्चिम में पंजाब, दक्षिण-पश्चिम में हरियाणा, दक्षिण—पूर्व में उत्तराखंड तथा पूर्व में तिब्बत स्थित है। हिमाचल प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर है।

Sunday, April 13, 2025

14 अप्रैल


14 अप्रैल 
अंबेडकर जयंती 
हर साल 14 अप्रैल के दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है. इस दिन को भीम जयंती के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन 'भारतीय संविधान के जनक' डॉ. भीम राव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. साल 1891 में जन्मे अंबेडकर न केवल भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता थे, बल्कि स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री, न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक भी थे. ऐसे में हर साल उनकी जयंती को पूरे देश में पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है. अंबेडकर जयंती पहली बार 14 अप्रैल 1928 को पुणे में मनाई गई थी. इसकी पहल सामाजिक कार्यकर्ता जनार्दन सदाशिव रणपिसे ने की थी. तब से यह परंपरा हर साल चलती आ रही है और आज यह न केवल भारत में बल्कि विश्वभर के कई देशों में बसे भारतीय समुदायों द्वारा भी मनाई जाती है.अंबेडकर जयंती का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता, भाईचारा और न्याय के विचारों को फैलाना है. डॉ. अंबेडकर ने संविधान निर्माण में जो योगदान दिया, वह भारत को एक आधुनिक, लोकतांत्रिक और समतावादी राष्ट्र बनाने की नींव था. उन्होंने महिलाओं, पिछड़े वर्गों और दलित समुदाय को अधिकार दिलाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. उनका कहना था, 'शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो.' यह संदेश आज भी लोगों को प्रेरित करता है.

विश्व क्वांटम दिवस 
14 अप्रैल को विश्व क्वांटम दिवस (World Quantum Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता और समझ को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है. 14 अप्रैल को विश्व क्वांटम दिवस के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि प्लैंक स्थिरांक (Planck constant), जो क्वांटम यांत्रिकी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण संख्या है, का पहला अंक "4.14" है. क्वांटम यांत्रिकी परमाणुओं और कणों का विज्ञान है - जो दुनिया के निर्माण खंड हैं। क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करके, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने क्रांतिकारी तकनीकें बनाई हैं जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, हमारे स्मार्टफ़ोन और कंप्यूटर में अर्धचालक चिप्स आंशिक रूप से क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करके काम करते हैं। क्वांटम यांत्रिकी की हमारी समझ के आधार पर लेजर, एलईडी लाइट और एलईडी मॉनिटर विकसित किए गए थे। ग्लोबल पोजिशन सिस्टम (GPS) जो हमें दुनिया को नेविगेट करने में मदद करता है, अल्ट्रा-सटीक परमाणु घड़ियों के क्वांटम यांत्रिकी पर निर्भर करता है। अस्पतालों में चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) स्कैनर क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग करते हैं। क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम सेंसर और क्वांटम संचार उपकरण जैसी भविष्य की तकनीकें नए और विघटनकारी अनुप्रयोग भी पेश कर सकती हैं। इस दिन का उद्देश्य क्वांटम यांत्रिकी के प्रति रुचि जगाना और उत्साह उत्पन्न करना है।2025 में क्वांटम मैकेनिक्स के 100 साल पूरे हुए। 14 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व क्वांटम दिवस, 65 से अधिक देशों के क्वांटम वैज्ञानिकों की एक पहल है, जिसका उद्देश्य क्वांटम भौतिकी के बारे में लोगों की समझ को बढ़ावा देना है। अमेरिकी सीनेट ने 2 मई 2023 को विश्व क्वांटम दिवस मनाने और उसका समर्थन करने के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी ।



Saturday, April 12, 2025

13 अप्रैल


13 अप्रैल 
 जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस
जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत की आजादी के इतिहास की वो दुखद घटना है, जो 13 अप्रैल 1919 को  घटना घटी थी। इस दिन पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग में निहत्थे मासूमों का भयानक कत्लेआम हुआ था। अंग्रेजों ने निहत्थे और मासूम भारतीयों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं। यह घटना अमृतसर हत्याकांड के रूप में भी जाना जाती है। तब देश में  रोलेट एक्ट के विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे थे। बैसाखी के ही दिन, 13 अप्रैल 1919 को समूचे देश के साथ अमृतसर के जलियांवाला बाग में भी रौलेट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्वक प्रदर्शन के लिए हजारों लोग इकट्ठा हुए थे। इस दौरान ही अचानक वहां दल-बल के साथ अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर पहुंच गया, जिसने कोई भी चेतावनी दिए बिना ही निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोली चलाने का आदेश दे दिया। बाहर निकलने के रास्ते बंद कर दिए गए थे। करीब 10 मिनट तक गोलियां चलती रहीं। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहे थे, कई कुएं में भी कूद गए लेकिन फिर भी जान बचाने में नाकाम रहे। जलियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा किए गए नरसंहार का बदला बाद में ऊधम सिंह ने लिया।

सियाचिन दिवस 
हर साल 13 अप्रैल को भारतीय सेना द्वारा सियाचिन दिवस (Siachen Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें 1984 में ऑपरेशन मेघदूत की सफलता की याद दिलाता है। बता दें कि ऑपरेशन मेघदूत के तहत भारतीय सेना ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र , सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण हासिल किया था। इस दिन, भारतीय सेना द्वारा सियाचिन ग्लेशियर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 1970 के दशक से भारत और पाकिस्तान के बीच इस पर विवाद चल रहा था। अंततः भारत की जीत हुई। यह दिन सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर नियंत्रण करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन हमें भारतीय जवानों द्वारा दिखाए गए साहस और धैर्य की याद दिलाता है।

अंतरराष्ट्रीय पगड़ी दिवस 
सिखों को उनके धर्म के अनिवार्य भागों के रूप में पगड़ी लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता के लिए 2004 से हर साल 13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस (अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस) मनाया जाता है। पगड़ी सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह सिख धर्म के सिद्धांतों का पालन करने और अपनी धार्मिक पहचान को बनाए रखने का प्रतीक है. 13 अप्रैल को बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है, जो सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह दिन सिख समुदाय के लिए एकता और भाईचारा का संदेश देता है. इस दिन 13 अप्रैल 1699 को, दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की। जिससे यह दुनिया भर के सिखों के लिए एक प्रमुख तारीख बन गई। और इसी के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 

अंतरराष्ट्रीय जाट दिवस 
13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय जाट दिवस मनाया जाता है।जलियांवाला बाग हत्याकांड में सबसे ज्यादा जाट समाज ने कुर्बानियां दी थी, इन कुर्बानियों की याद में 13 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय जाट दिवस (अंतरराष्ट्रीय जाट दिवस) मनाया जाता है।इसके अलावा इन दिनों खरीफ की फसल का लगभग काम पूरा हो चुका होता है और किसान रबी की फसल बोने की तैयारी करते हैं और जाट समाज के ज्यादातर लोग कृषि से जुड़े हुए हैं तो वह अपने पूर्वजों को याद करके अप्रैल महीने में फिर से रबी की फसल बोने की तैयारी करते हैं इसीलिए अप्रैल में इंटरनेशनल जाट दिवस मनाया जाता है। इस दिन जाट समुदाय के लोग जगह-जगह कार्यक्रम करते हैं और अपने समाज से जुड़े हुए नेताओं और महान हस्तियों को याद करते हुए पुष्प अर्पित करते हैं।