देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए, दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए - ये पंक्तियां चंपारण के सपूत प्रोफेसर डॉ मज़हर आसिफ पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। प्रोफेसर आसिफ को अक्टूबर 2024 में देश के प्रतिष्ठित केन्द्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया का कुलपति नियुक्त किया गया। इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की स्थापना के 105वें साल के आगाज के अवसर पर प्रोफेसर आसिफ ने इसके कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला तो उनके जेहन में इस गौरवशाली संस्था की कीर्ति को और बढ़ाने तथा इसे देश के प्रमुख शिक्षा संस्थानों में शुमार करने के अलावा इसे चुनिंदा वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी की फेहरिस्त में शामिल कराने के लिए कुछ खास सपने थे और विश्वविद्यालय को नई बुलंदियों पर पहुंचाने का अपना विशिष्ट विजन था।
प्रोफेसर आसिफ के प्रारंभिक छह महीने के कार्यकाल में विश्वविद्यालय की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर आसिफ के कुशल नेतृत्व में विश्वविद्यालय पठन-पाठन, शोध-अनुसंधान और नवाचार संबंधी शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा समावेशी माहौल बनाने के सिलसिले में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है जिसकी देश-दुनिया में तारीफ हो रही है।
शुरूआती छह महीने में किये गये उल्लेखनीय कार्य -
अप्रैल 2025- तकनीकी शिक्षा को उद्योग से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर प्रोफेशनल स्किल डेवलेपमेंट का उद्घाटन किया गया। यह अत्याधुनिक ‘स्किल हब भविष्य की करियर जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
मार्च 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) के मल्टी डिस्प्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज़ (MCARS) ने टी सेल को जेनेटिक रूप से मॉडिफ़ाई करने में सफलता प्राप्त की है। इस तकनीक के माध्यम से अब ब्लड कैंसर के मरीजों का एक सस्ता और प्रभावी इलाज उपलब्ध है। इस शोध से कैंसर के इलाज का खर्च काफी कम हो सकता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा कैंसर का फायदा मिलेगा।
मार्च 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने इस शैक्षणिक वर्ष से अकादमिक उत्कृष्टता और कौशल विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से 14 नए पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। विदेशी और एनआरआई छात्रों को आकर्षित करने के लिए विश्वविद्यालय ने सार्क देशों के आवेदकों के लिए फीस कम कर दी है। साथ ही यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक के तहत डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए भी विदेशी और एनआरआई कोटे के लिए फीस कम कर दी है। बीडीएस कार्यक्रम (जो एनईईटी के माध्यम से छात्रों को प्रवेश देता है) में दो सीटें विदेशी छात्रों के लिए आरक्षित की गई हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन करने वाले विदेशी नागरिक अब प्रवेश साक्षात्कार के लिए ऑनलाइन उपस्थित हो सकते हैं।
मार्च 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के सेंटर फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (सीआईई) ने स्किल इंडिया पहल के तहत ग्रीष्मकालीन अवकाश को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास आधारित लघु अवधि का कोर्स शुरू करने की घोषणा की है। यह विशेष कोर्स स्कूलों के छात्रों और गृहिणियों को व्यावहारिक कौशल प्रदान करने और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। नियमित छात्र भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
मार्च 2025- भारत में उज्बेकिस्तान के राजदूत सरदोर रुस्तमबेव ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया का दौरा किया। उनके दौरे का मकसद विश्वविद्यालय और उज्बेकिस्तान के प्रमुख संस्थानों के बीच अकादमिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए रास्ते तलाशना था।
मार्च 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया में ओलंपिक मानकों के अनुरूप नई आर्चरी रेंज तैयार की जाएगी। छह महीने में तैयार होने वाली इस रेंज में खिलाड़ियों को बेहतरीन सुविधाएं मिलेंगी। इसके साथ ही फुटबॉल, क्रिकेट और बास्केटबॉल अकादमियां भी शुरू होंगी।
फरवरी 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रिसर्चर प्रखर श्रीवास्तव को यूरोपियन संघ के प्रोजेक्ट का ओपन साइंस ऑफिसर नियुक्त किया गया। वह लोनली-ईयू प्रोजेक्ट को लीड करेंगे. प्रखर जामिया के मनोविज्ञान विभाग में पीएचडी स्टूडेंट हैं।
जनवरी 2025- जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हॉल ऑफ गर्ल्स रेसिडेंस (ओल्ड) ने जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए उपयोग की गई वस्तुओं को संग्रह करने के लिए थ्रिफ्ट स्टोर इनिशिएटिव फॉर सस्टेनेबल लिविंग एंड कम्युनिटी केयर की घोषणा की है। जामिया प्रशासन की इस पहल का उद्देश्य जरूरतमंद व्यक्तियों और परिवारों को पुनर्वितरित करने के लिए धीरे-धीरे इस्तेमाल की गई वस्तुओं और कपड़ों को इकट्ठा करना है। साथ ही छात्र छात्राओं को सामुदायिक देखभाल की भावना को बढ़ावा देना है।
नवंबर 2024- 'कॉल फॉर जस्टिस' नामक एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा विश्वविद्यालय में गैर-मुसलमानों, विशेषकर अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) कर्मचारियों और छात्रों के साथ भेदभाव की रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसे देखते हुए कुलपति प्रोफेसर आसिफ ने जाति, लिंग, धर्म, और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव के किसी भी कार्य के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति (Zero Tolerance Policy) अपनाने का संकल्प लिया है।
प्रोफेसर आसिफ के कुशल नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय अब रक्षा और सामरिक अध्ययन पर नया केंद्र खोलने की तैयारी कर रहा है। इस केंद्र के लिए हाल ही में जामिया के कुलपति प्रोफेसर मज़हर और कुलसचिव ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान रक्षा मंत्रालय की ओर से लोदी रोड में संचालित स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज के साथ सहयोग पर चर्चा कर इसके लिए प्रस्ताव दिया। मुलाकात में रक्षा मंत्री से विश्वविद्यालय में रक्षा और सामरिक अध्ययन शिक्षण और अनुसंधान को मजबूत करने की पहल पर चर्चा की गई। इस केंद्र को खोलने का उद्देश्य जामिया में रक्षा अधिकारियों के बीच विदेशी भाषाओं के शिक्षण को बढ़ाना है। जामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ और कुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को प्रस्तावित केंद्र के पीछे की दृष्टि और रक्षा अध्ययन में रणनीतिक सोच और अनुसंधान को मजबूत करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। दोनों पहल रणनीतिक सोच शिक्षण और अनुसंधान को मजबूत करने और विदेशी भाषाओं में सैन्य कर्मियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में जबरदस्त योगदान देंगी।
प्रोफेसर मज़हर आसिफ का जीवन और करियर
महात्मा गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन की पुण्यभूमि और प्रसिद्ध पत्रकार-साहित्यकार जॉर्ज ऑरवेल की जन्मस्थली बिहार के पूर्वी चंपारण के पताही प्रखंड के छोटे से गांव लहसनिया के साधारण परिवार में जन्मे डॉ. मजहर आसिफ की कहानी आम छात्रों के लिए जबरदस्त प्रेरणा का स्रोत है। अत्यंत साधारण परिवार में पले-बढ़े प्रो. मजहर ने अपने संघर्ष, मेहनत और लगन से शानदार मुकाम हासिल किया है।
देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के बाद प्रोफेसर मजहर ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय में सेवाएं दी। प्रो. आसिफ ने गुवाहटी विश्वविद्यालय में 1996 में पर्शियन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। 2005 में वह एसोसिएट प्रोफेसर बनाए गए थे। 2013 में उन्हें गुवाहटी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर पदोन्नत हुए। 2017 में वह जेएनयू आ गए और तब से पर्शियन अध्ययन भाषा केंद्र में उर्दू के प्रोफेसर के पद पर कार्य करते रहे हैं। इससे पहले उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में महत्वपूर्ण शिक्षा नीति 2020 की प्रारूप समिति में भी शामिल किया गया था. राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आकार देने में उनका योगदान काफी अहम रहा है।
प्रोफेसर आसिफ ने जेएनयू और मौलाना अबुल कलाम आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषदों के सदस्य के रूप में कार्य किया है। उन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान और राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद जैसी राष्ट्रीय शिक्षा पहलों में भी नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं। प्रो. आसिफ की फारसी, अंग्रेजी और असमिया में नौ पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें एक व्यापक फ़ारसी-असमिया-अंग्रेजी शब्दकोश भी शामिल है। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में 20 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं, जो अकादमिक क्षेत्र में उनकी सक्रिय भागीदारी को दर्शाते हैं।
भारत की राष्ट्रपति ने जामिया मिलिया इस्लामिया के विजिटर के रूप में, 24 अक्टूबर, 2024 को प्रोफेसर मजहर आसिफ को जामिया का कुलपति नियुक्त किया था। उन्हें उनके कार्यालय में प्रवेश करने की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के लिए या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, के लिए नियुक्त किया गया है।
प्रो.मज़हर आसिफ ने जामिया के 16वें कुलपति का कार्यभार संभालने के बाद सबसे पहले ब्रिगेडियर उस्मान और डॉ. जाकिर हुसैन की मजार पर जाकर श्रद्धांजलि दी। जामिया के इतिहास में यह पहला अवसर था जब किसी नवनियुक्त कुलपति ने सबसे पहले इन विभूतियों को सम्मान अर्पित किया। वह जामिया के पहले कुलपति हैं जिन्होंने कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ब्रिगेडियर उस्मान की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। ब्रिगेडियर उस्मान, जिन्हें “नौशेरा का शेर” भी कहा जाता है, भारतीय सेना के आला अधिकारी थे, जो 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हो गए थे। प्रोफेसर मजहर आसिफ ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और जामिया के संस्थापक सदस्य डॉ. एम.ए. अंसारी को भी विश्वविद्यालय परिसर में स्थित उनकी समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना के 105 साल पूरे होने के अवसर पर प्रोफेसर आसिफ को विश्वविद्यालयके नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपा जाना एक महत्वपूर्ण सम्मान है। यह विश्वविद्यालय राष्ट्रवाद में निहित पारंपरिक मूल्यों और समकालीन आकांक्षाओं के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है। और इसे आगे बढ़ाना प्रोफेसर आसिफ का महत्वपूर्ण दायित्व है। इसकी शानदार विरासत प्रेरणा का निरंतर स्रोत प्रदान करती है और वर्तमान और भविष्य दोनों पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी।
विश्वविद्यालय में कार्य भार संभालने पर अपने वक्तव्य में प्रोफेसर आसिफ ने कहा कि, "मेरा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा व्यक्तियों की छिपी हुई प्रतिभा को उजागर करके और उन्हें चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करके सशक्त बनाती है। यह एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में कार्य करता है जो बाधाओं को पार करता है, जिससे हमें खुद को मुक्त करने और अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की अनुमति मिलती है। मैं शिक्षा पर मार्टिन लूथर किंग जूनियर के दृष्टिकोण से सहमत हूं, जो इस बात पर जोर देता है कि "शिक्षा का कार्य व्यक्ति को गहनता से सोचना और गंभीर रूप से सोचना सिखाना है। बुद्धिमत्ता प्लस चरित्र - यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है"।
प्रोफेसर आसिफ ने केवल देश के जाने-माने शिक्षाविद के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं बल्कि वे तमाम छात्रों और युवाओं के लिए भी रोल मॉडल हैं। उनका जीवन संघर्षों के बीच कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से शानदार मुकाम हासिल करने का संदेश देता है। डॉ. मजहर की कामयाबी के इस सफर से यह साबित होता है कि अगर इरादे मजबूत हों, मेहनत और लगन सच्ची हो, तो कोई भी मंजिल हासिल करना मुश्किल नहीं है।
संदर्भ
https://hindi.news18.com/news/bihar/east-champaran-dr-mazhar-asif-from-east-champaran-appointed-as-vice-chancellor-of-jamia-millia-islamia-local18-8802097.html
https://www.shahtimesnews.com/national/prof-mazhar-asif-joins-jmi-as-its-16th-vice-chancellor-142464
https://www.shahtimesnews.com/national/prof-mazhar-asif-joins-jmi-as-its-16th-vice-chancellor-142464
https://www.shahtimesnews.com/national/prof-mazhar-asif-joins-jmi-as-its-16th-vi
ce-chancellor-142464